उत्तराखंड में 806 शिक्षकों को तबादलों में सशर्त राहत, पढ़िए पूरी खबर
मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति ने तबादला एक्ट के प्रविधानों में छूट देते हुए 806 शिक्षकों प्रधानाध्यापकों प्रधानाचार्यों के इच्छित स्थानों पर तबादलों को सशर्त हरी झंडी दिखा दी
By Edited By: Updated: Sat, 21 Dec 2019 08:43 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। मुख्य सचिव की अध्यक्षता में समिति ने तबादला एक्ट के प्रविधानों में छूट देते हुए 806 शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों, प्रधानाचार्यों के इच्छित स्थानों पर तबादलों को सशर्त हरी झंडी दिखा दी। तबादलों में राहत पाने वालों में वे शिक्षक भी हैं, जिन्हें समिति के पिछले फैसले के मुताबिक दुर्गम में ही रोका गया था। इन शिक्षकों को सुगम में तैनाती मिल सकेगी। इन सबके लिए शर्त ये है कि तबादले वाले इच्छित स्थान रिक्त होने चाहिए।
माध्यमिक के 227 और बेसिक के 579 शिक्षकों को राहत मिली है। 50 प्रधानाचार्यों और प्रधानाध्यापकों के तबादला प्रस्ताव को अपरिपक्व करार देकर रोका गया। प्रवक्ता और एलटी संवर्ग के उच्च संदर्भित प्रस्तावों पर समिति ने विचार करने से इन्कार कर दिया है। तबादला एक्ट के दायरे से बाहर रह गए कार्मिकों को तबादलों में राहत देने को मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति की बैठक बीती दो दिसंबर को सचिवालय में हुई थी।
बैठक में विद्यालयी शिक्षा समेत पांच महकमों के तबादलों से संबंधित प्रस्तावों पर निर्णय लेते हुए मध्य सत्र के बाद तबादलों को हरी झंडी दिखाई गई। शुक्रवार को कार्मिक ने समिति के फैसले को अमलीजामा पहनाते हुए संबंधित महकमों को आदेश जारी किए हैं। समिति के सामने सबसे ज्यादा मामले विद्यालयी शिक्षा महकमे के रखे गए थे। गंभीर बीमारियों से ग्रसित छह प्रवक्ताओं को राज्य मेडिकल बोर्ड की सिफारिश पर प्रस्तावित विद्यालयों में तैनाती पर सहमति दी गई।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में विभिन्न विभागों में तीन साल से अधिक समय से रिक्त पद होंगे फ्रीजराजकीय इंटर कॉलेजों में कार्यरत 16 तदर्थ प्रधानाचार्यों, सात प्रधानाचार्यों, सात प्रधानाचार्याओं, 16 प्रधानाध्यापकों व एक प्रधानाध्यापिका के तबादला प्रस्तावों को समिति ने अपरिपक्व पाया। इनमें अधिकतर प्रधानाचार्यों व प्रधानाध्यापकों की गृह जिले में तैनाती को समिति ने अपात्र भी माना है।
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