Uttarakhand के मदरसों को लेकर बड़ा खुलासा, यहां पढ़ रहे 96 हिंदू बच्चे; दूसरे राज्यों से भी लाकर रखे गए छात्र
Uttarakhand Madrassas उत्तराखंड के दौरे पर आए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने बताया कि उत्तराखंड में सरकारी मदद और मान्यता से चल रहे मदरसों में अभी भी 96 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को इस मामले में 15 दिन का समय दिया गया है। दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत व अपराध की श्रेणी में आता है।
राज्य ब्यूरो, जागरण देहरादून: Uttarakhand Madrassas: उत्तराखंड में सरकारी मदद और मान्यता से चल रहे मदरसों में अभी भी 96 हिंदू बच्चे पढ़ रहे हैं। उत्तराखंड के दौरे पर आए राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में पत्रकारों से बातचीत में यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि आयोग को पूर्व में भी ऐसी जानकारी मिली थी, तब ऐसे बच्चों की संख्या 749 थी। उन्होंने कहा कि संविधान में स्पष्ट है कि किसी भी बच्चे को उसके माता-पिता की लिखित अनुमति के बिना किसी दूसरे धर्म की शिक्षा नहीं दी जा सकती।
कानून के तहत हुआ उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन
उत्तराखंड में मदरसा बोर्ड का गठन इस्लामिक धार्मिक शिक्षा देने के उद्देश्य से एक कानून के तहत हुआ है। ऐसे में मदरसों में हिंदू बच्चों को पढ़ाया जाना आपराधिक षड्यंत्र प्रतीत होता है। इसमें शिक्षा और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग, दोनों बराबर के भागीदार हैं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग को इस मामले में 15 दिन का समय दिया गया है।कानूनगो के अनुसार उन्होंने सोमवार सुबह देहरादून के कारगी ग्रांट में तीन मदरसों का निरीक्षण किया। इनमें दो मदरसों वली उल्लाह दहलवी और दारूल उलूम में 21 बच्चे ऐसे पाए गए, जिन्हें उत्तर प्रदेश व बिहार से यहां लाकर शिक्षा के बुनियादी अधिकार से वंचित रखा गया है। एक मदरसा ऐसा भी मिला, जो स्थानीय बच्चों को शुल्क लेकर पढ़ा रहा था। जांच में बात सामने आई कि उसका एक स्थानीय स्कूल के साथ टाइअप है।
उन्होंने कहा कि इस तरह का टाइअप शिक्षा के अधिकार के कानून की परिधि से बाहर है। इससे साफ है कि शिक्षा विभाग में किसी न किसी स्तर पर गड़बड़ी व भ्रष्टाचार है। इसी के चलते ऐसे अवैध टाइअप चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि इन मदरसों के बच्चे डाक्टर, इंजीनियर आदि बनने के स्थान पर मुफ्ती, मौलवी बनना चाहते हैं। अल्पसंख्यक बच्चों के साथ इस प्रकार का भेदभावपूर्ण व्यवहार खेदजनक है।
दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत
उन्होंने कहा कि दूसरे राज्यों के बच्चों को यहां लाकर मदरसों में रखना गलत व अपराध की श्रेणी में आता है। जो बच्चे लाए गए हैं, उन्हें वापस पहुंचाने को भी कदम उठाए जाएंगे। इसलिए इस प्रकरण में सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। दिल्ली पहुंचकर इस मामले में नोटिस भी जारी किए जाएंगे।
कानूनगो के अनुसार अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने जानकारी दी कि मदरसों की मैपिंग में जिलों के डीएम सहयोग नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयोग अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य के सभी डीएम को दिल्ली बुलाकर स्पष्टीकरण मांगेगा कि अनमैप्ड मदरसों की मैपिंग में हीलाहवाली क्यों की जा रही है।एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि राज्य में अवैध रूप से संचालित मदरसों की संख्या 400 से अधिक है। जितने भी अवैध मदरसे हैं, इन्हें बंद करना होगा। प्रत्येक बच्चे को स्कूल भेजना सरकार की जिम्मेदारी है। जो बच्चे मदरसों में हैं, उन्हें भी शिक्षा मिलनी चाहिए। इसके लिए पहले मैपिंग होनी आवश्यक है और इस क्रम में 10 जून तक समय दिया गया है।
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