Abhimanyu Easwaran के लिए पिता ने जमा-पूंजी खर्च कर बनाई क्रिकेट एकेडमी, खुद 'कोच' बन संजोया बेटे का सपना
Abhimanyu Easwaran बंगाल के लिए खेलने वाले उत्तराखंड मूल के क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन की सफलता में जितना श्रेय उनके सपने और जुनून को जाता है उतना ही योगदान उनके पिता आरपी ईश्वरन के समर्पण व संघर्ष का भी है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Wed, 04 Jan 2023 01:50 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : Abhimanyu Easwaran: सफलता अकेले नहीं आती। उसके साथ सपने, समर्पण और संघर्ष भी जुड़े होते हैं। बंगाल के लिए खेलने वाले उत्तराखंड मूल के क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन की सफलता में जितना श्रेय उनके सपने और जुनून को जाता है, उतना ही योगदान उनके पिता के समर्पण व संघर्ष का भी है।
अभिमन्यु भारतीय टेस्ट टीम में चयन के बाद भी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पदार्पण भले न कर पाए हों, मगर अपने शानदार खेल से वह टीम इंडिया की प्लेइंग इलेवन में एंट्री की चौखट पर खड़े हैं। मंगलवार को रणजी ट्राफी में एक और शतक जड़कर उन्होंने अपने इस दावे को और पुख्ता कर दिया।
अभिमन्यु के पिता ने बनवाया है यह मैदान
रोचक बात यह है कि अभिमन्यु ने दून के जिस मैदान पर यह शतक जड़ा, उसका निर्माण उनके ही पिता आरपी ईश्वरन ने बेटे के सपने को साकार करने के लिए कराया था।पेशे से चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) आरपी ईश्वरन ने बेटे अभिमन्यु के क्रिकेट के प्रति जुनून को देखते हुए जमा पूंजी खर्च कर अंतरराष्ट्रीय सुविधाओं से युक्त अभिमन्यु क्रिकेट एकेडमी तैयार कर डाली। यहीं से क्रिकेट की बारीकियां सीख कर दायें हाथ के सलामी बल्लेबाज अभिमन्यु भारतीय टेस्ट टीम तक पहुंचे हैं।
इसलिए खेलते हैं बंगाल से
वर्ष 1995 में जन्मे 27 वर्षीय अभिमन्यु के पिता आरपी ईश्वरन ने बताया कि उन्होंने पूरे देश में क्रिकेट का ग्राफ चेक करने के बाद अभिमन्यु को बंगाल से खिलाने का निर्णय किया था।यह भी पढ़ें : Ranji Trophy: अपने गृह राज्य उत्तराखंड के खिलाफ अभिमन्यु ईश्वरन का शतक, बंगाल का कर रहे प्रतिनिधित्व
उनके एक दोस्त ने भी बताया था कि बंगाल में अच्छा क्रिकेट होता है। इसके अलावा उस दौरान उत्तराखंड को बीसीसीआइ से मान्यता भी नहीं मिली थी। ऐसे में उत्तराखंड के खिलाड़ी दूसरे राज्यों का रुख कर रहे थे।
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