Move to Jagran APP

दिल्ली-मुरादाबाद में पहचान छिपाकर रह रहा था सवा करोड़ के घोटाले का आरोपित, 17 साल बाद रामपुर से गिरफ्तार

उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने 17 साल से फरार सवा करोड़ रुपये का घोटाला करने के आरोपित को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित पर पुलिस ने 25 हजार का इनाम घोषित किया था। आरोपित ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर सवा करोड़ रुपये का गबन कर कलियर दरगाह शरीफ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था। तब से वह फरार चल रहा था।

By Soban singh Edited By: Abhishek Pandey Updated: Tue, 16 Jul 2024 09:09 AM (IST)
Hero Image
सवा करोड़ के घोटाले का आरोपित 17 साल बाद गिरफ्तार

जागरण संवाददाता, देहरादून। रुड़की स्थित दरगाह शरीफ पिरान कलियर के दस्तावेजों में हेराफेरी कर सवा करोड़ रुपये का घोटाला करने के आरोपित लेखाकार को उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ (स्पेशल टास्क फोर्स) ने 17 साल बाद गिरफ्तार किया है। आरोपित पहचान छिपाकर कभी दिल्ली में तो कभी मुरादाबाद में रह रहा था। आरोपित की गिरफ्तारी पर हरिद्वार पुलिस ने 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक स्पेशल टास्क फोर्स आयुष अग्रवाल ने बताया कि बजोड़ी टोली, जिला रामपुर (उत्तर प्रदेश) निवासी जमाल खान वर्ष 2007 में दरगाह शरीफ पिरान कलियर में तैनात था। आरोपित ने दस्तावेजों में हेराफेरी कर सवा करोड़ रुपये का गबन कर कलियर दरगाह शरीफ की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया था।

दस्तावेजों की जांच में घोटाले का पर्दाफाश हुआ। इस मामले में आरोपित लेखागार के विरुद्ध 17 अक्टूबर 2007 को रुड़की कोतवाली में मुकदमा दर्ज किया गया। तब से वह फरार चल रहा था। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक हरिद्वार ने जमाल खान की गिरफ्तारी पर 25 हजार रुपये का इनाम घोषित किया था।

एसएसपी ने बताया कि आरोपित की तलाश में कई जगह दबिश दी गई, लेकिन उसका कहीं पता नहीं लग पाया। पुलिस ने उसकी काल डिटेल खंगाली तो पता चला कि वह फोन इस्तेमाल नहीं कर रहा था। पुलिस ने मैनुअल ढंग से आरोपित के बारे में जानकारी जुटानी शुरू कर दी।

रविवार को सूचना मिली कि आरोपित अपने गांव में आया है और पहचान छिपाकर कर रह रहा है। इंस्पेक्टर अबुल कलाम के नेतृत्व में एक टीम बजोड़ी टोली, रामपुर, उत्तर प्रदेश भेजी गई, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया।

परिवार से मिलने रात को आता था

पिछले 17 साल में आरोपित जमाल खान पहचान छिपाकर कभी दिल्ली में तो कभी मुरादाबाद में रह रहा था। वह गुजर-बसर के लिए दुकानों आदि में काम करता था। इस बीच वह कभी-कभी अपने घर बजोड़ी टोली गांव भी आता था, लेकिन वह रात को आता और तड़के निकल जाता था। ताकि गांव में किसी को संदेह न हो।

मैनुअल पुलिसिंग पर अधिक जोर

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक आयुष अग्रवाल ने बताया कि लंबे समय से फरार चल रहे इनामी बदमाशों को पकड़ने के लिए मैनुअल पुलिसिंग की तरफ अधिक ध्यान है, क्योंकि शातिर अपराधी फोन काल व अन्य इलेक्ट्रॉनिक साधनों का कम इस्तेमाल करते हैं। मैनुअल पुलिसिंग से ही 17 साल से फरार चल रहे घोटाले के आरोपित को पकड़ा जा सका। इससे पहले एसटीएफ ने 10 साल से फरार चल रहे हत्यारोपित को मुंबई से गिरफ्तार किया था। आरोपित पुलिस से बचने के लिए मुंबई में ठेली लगाकर सूप बेच रहा था।

इसे भी पढ़ें: राशनकार्ड नहीं तो मतदाता पहचान पत्र से बनेगा आयुष्मान कार्ड, कैबिनेट में जल्द लाया जाएगा प्रस्ताव

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।