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धोखाधड़ी के आरोपित को पकड़ कर पुलिस को सौंपा Dehradun News

ठगी करने के आरोपित को पकड़ कर पीड़ि‍त बुधवार को रायपुर थाने पहुंच गए। आरोपित से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 10 Oct 2019 05:39 PM (IST)
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धोखाधड़ी के आरोपित को पकड़ कर पुलिस को सौंपा Dehradun News
देहरादून, जेएनएन। किसी को वाहन बेचने के नाम पर तो किसी को जमीन दिलाने के नाम पर ठगी करने के आरोपित को पकड़ कर पीड़ि‍त बुधवार को रायपुर थाने पहुंच गए। आरोपित से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया। रायपुर पुलिस के अनुसार आरोपित पर रायपुर के अलावा नेहरू कॉलोनी में भी मुकदमा दर्ज है।

इंस्पेक्टर रायपुर देवेंद्र सिंह चौहान ने बताया कि आरोपित की पहचान अभिषेक यादव के रूप में हुई है। उन्होंने बताया कि  कोतवाली क्षेत्र के अमरदीप नाम के एक व्यक्ति को अभिषेक ने कुछ महीने पहले एक गाड़ी बेची थी। अमरदीप जब इस गाड़ी को अपने नाम ट्रांसफर कराने आरटीओ पहुंचे तो पता चला कि उसके मालिक ने गाड़ी के नंबर को ब्लॉक करा दिया है। इस पर अमरदीप ने अभिषेक से रकम वापस करने को कहा तो वह आनाकानी करने लगा। इस अमरदीप ने अभिषेक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया। बाद में जांच में पता चला कि अभिषेक ने इस तरह से कई लोगों के साथ फर्जीवाड़ा कर चुका है। उसके खिलाफ नेहरू कॉलोनी थाने में मुकदमा दर्ज है। इसके साथ ही अन्य थानों से अभिषेक के खिलाफ आई शिकायतों और दर्ज मुकदमों की जानकारी मंगाई जा रही है। उधर इस मामले को लेकर थाने पहुंचे पीड़ि‍त काफी देर तक हंगामा करते रहे, जिन्हें पुलिस ने समझा-बुझा कर शांत कराया।

तेरह साल पहले प्लॉट बुक कराया, कब्जे को अब तक दौड़

मेरठ के एक चिकित्सक ने वर्ष 2006 में रुड़की में 300 गज का एक प्लॉट बुक कराया था, जिसका कब्जा अब तक नहीं मिल पाया। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के गठन से पहले चिकित्सक ने दिल्ली से लेकर मेरठ, देहरादून व रुड़की तक में पुलिस को शिकायत की, मगर इसका कोई लाभ नहीं मिला, जबकि रियल एस्टेट कंपनी के संचालक अब फरार हो चुके हैं। हालांकि, रेरा ने प्रकरण पर सुनवाई करते हुए कंपनी को पूरी राशि 10.35 फीसद ब्याज सहित लौटाने के आदेश दिए हैं।

मेरठ के मोदीपुरम स्थित अक्षरधाम कॉलोनी निवासी डॉ. अशोक कटारिया ने केकेआर डेवलपर्स लि. की रुड़की स्थित 'दि अर्जुन सिटी' नामक प्लॉटेड परियोजना में वर्ष 2006 में प्लॉट बुक कराया था। इसके लिए उन्होंने जून 2007 तक 5.13 लाख रुपये जमा कराए। लंबे समय बाद भी प्लॉट पर कब्जा न मिलने और न ही रकम लौटाए जाने पर उन्होंने आर्थिक अनुसंधान शाखा नई दिल्ली, मेरठ, देहरादून समेत थाना सिविल लाइंस रुड़की में शिकायत दर्ज कराई। पुलिस के स्तर पर कोई ठोस कार्रवाई तो नहीं की गई, मगर कंपनी संचालक जरूर फरार हो गए। इसके बाद थक हारकर डॉ. कटारिया ने रेरा में शिकायत दर्ज कराई।

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रेरा ने संबंधित कंपनी को नोटिस जारी किया तो पता चला कि रुड़की स्थित कार्यालय बैंक की ओर से सील किए जाने पर बंद कर दिया गया है। इसी तरह अन्य पतों से भी नोटिस बैरंग लौट आए। इसे स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी करार देते हुए रेरा अध्यक्ष विष्णु कुमार ने रियल एस्टेट कंपनी को 45 दिन के भीतर डॉ. कटारिया की राशि वापस लौटाने के आदेश जारी कर दिया। चूंकि इस मामले में कंपनी संचालक फरार चल रहे हैं तो रेरा ने यह चेतावनी भी जारी की है कि बकाया राशि की वसूली भू-राजस्व के एरियर की भांति दी जाएगी। इसके लिए कंपनी की तमाम संपत्तियों की पहचान के बाद उन्हें जब्त भी किया जा सकता है।

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