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प्रापर्टी डीलर से लूटकांड के आरोपित पुलिसकर्मी फरार, अफसरों में हड़कंप

प्रॉपर्टी डीलर से लूटकांड के जिन आरोपित पुलिस कर्मियों को अफसरों ने पुलिस लाइन में नजरबंद रखने का दावा किया था वे पुलिस की नाक के नीचे से फरार हो गए हैं।

By BhanuEdited By: Updated: Mon, 15 Apr 2019 08:46 AM (IST)
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प्रापर्टी डीलर से लूटकांड के आरोपित पुलिसकर्मी फरार, अफसरों में हड़कंप
देहरादून, जेएनएन। प्रॉपर्टी डीलर से लूटकांड के जिन आरोपित पुलिस कर्मियों को अफसरों ने पुलिस लाइन में नजरबंद रखने का दावा किया था, वे पुलिस की नाक के नीचे से फरार हो गए हैं। मामले का पता चलने के बाद अफसरों में हड़कंप है। देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने मामले की जांच सीओ पुलिस लाइन जया बलूनी को सौंपी है।

बीती चार अप्रैल की रात देहरादून के प्रापर्टी डीलर अनुरोध पंवार से गढ़वाल के पुलिस महानिरीक्षक (आइजी) अजय रौतेला की सरकारी स्कार्पियो में सवार तीन पुलिस कर्मियों ने मोटी रकम लूट ली थी। रकम एक करोड़ रुपये बताई जा रही है। मामले का खुलासा पांच अप्रैल को हुआ। 

आइजी गढ़वाल अजय रौतेला और एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने मामले की जांच की। मामला सही पाए जाने पर दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में लूट का मुकदमा दर्ज करा दिया गया। इसी दिन तीनों पुलिस कर्मी दारोगा दिनेश नेगी, सिपाही मनोज अधिकारी व हिमांशु उपाध्याय को निलंबित कर पुलिस लाइन से संबद्ध कर दिया गया। साथ ही तीनों की निगरानी बढ़ा दी गई, ताकि वे पुलिस लाइन से बाहर कदम न रख सकें। 

ताजा घटनाक्रम के अनुसार शनिवार को सुबह पुलिस लाइन में रोज की तरह गणना चल रही थी तो तीनों नहीं मिले। इसके बाद जब उन्हें मोबाइल फोन पर संपर्क करने का प्रयास किया गया तो उनके मोबाइल स्विच ऑफ मिले। परिजनों से भी पूछताछ की गई, लेकिन कोई जानकारी नहीं मिल पाई। इस पर उच्चाधिकारियों को सूचित किया गया। एसएसपी निवेदिता कुकरेती ने बताया कि तीनों निलंबित पुलिसकर्मियों का शनिवार से पता नहीं चल रहा है। मामले की विभागीय जांच शुरू कर दी गई है।

पहले साजिशकर्ता, अब आरोपितों की फरारी बनी पहेली

हाई प्रोफाइल लूटकांड की कथित तौर पर साजिश रचने का आरोपित दिल्ली फरार हुआ और अब वारदात को अंजाम देने वाले पुलिसकर्मी गायब हो गए। ऐसे में सवाल उठना लाजिमी है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ और क्यों होने दिया गया। गौरतलब है कि लूटकांड की जांच में पहले ही दिन से अफसरों का उदासीन रवैया इस ओर संकेत कर रहा है कि किसी बड़े अफसर या नेता को बचाने की कोशिश हो रही है, जो अब लगभग पुख्ता होने लगी है। नहीं तो बेवजह दून पुलिस से जांच हटाकर एसटीएफ को नहीं दी जाती। 

दरअसल, लूटकांड में दस अप्रैल को प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार की ओर से डालनवाला कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराए जाने के तुरंत बाद ही तीनों पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया। तब अफसरों ने कहा था कि आगे की कार्रवाई जांच में पुख्ता साक्ष्य मिलने के बाद की जाएगी, तब तक तीनों को पुलिस लाइन में निगरानी में रखा गया है। 

सीसीटीवी फुटेज और मोबाइल कॉल रिकॉर्ड की जांच से यह साबित भी हो चुका है कि वारदात हुई और निलंबित पुलिसकर्मियों की उसमें संलिप्तता है। अब  तीनों पुलिसकर्मी शनिवार को अचानक गायब हो गए। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या निगरानी का दावा केवल दिखावे के लिए किया गया था। क्या अफसरों को इसका आभास ही नहीं था कि पुलिसकर्मी यहां से गायब भी हो सकते हैं। या उन्हें भागने का पूरा मौका दिया गया। 

वहीं, सवाल यह भी है कि जांच मिलने के तीन दिन बाद भी एसटीएफ ने क्यों आरोपित पुलिस कर्मियों को अपनी अभिरक्षा में नहीं लिया। एसटीएफ के अपर पुलिस अधीक्षक स्वतंत्र कुमार ने कहा कि अभी तो हमने जांच शुरू की है, पुख्ता सबूत मिलने के बाद ही आगे की कार्रवाई की दिशा तय होगी।

पुलिस लाइन में आती थी एक लग्जरी कार

पुलिस लाइन में अक्सर एक लग्जरी कार का आना-जाना होता था। लूटकांड के एक-दो रोज पहले और बाद में भी यह गाड़ी पुलिस लाइन में देखी गई थी। पुलिस अब तक यह पता नहीं लगा पाई है कि यह कार किसकी थी और उसमें बैठा शख्स कौन था और किससे मिलने पुलिस लाइन में आता था।

नहीं बख्शे जाएंगे आरोपित  

डीजी लॉ एंड ऑर्डर, उत्तराखंड अशोक कुमार के अनुसार प्रॉपर्टी डीलर से हुई लूट के आरोपितों को किसी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। जो भी दोषी होंगे, उन पर कार्रवाई होगी। वहीं निलंबित पुलिसकर्मियों के देहरादून में न होने की जानकारी मिली है। यह बेहद गंभीर है। इस पर एसएसपी देहरादून से रिपोर्ट मांगी गई है।

दागी पुलिस वालों पर दोहरी कार्रवाई से उठे सवाल

दागी पुलिसवालों को बचाने में उनके ही अफसरों का हाथ रहा है। अब तक पुलिस की छवि खराब करने वाली जितनी भी घटनाएं हुईं, उनमें जांच के सिवा कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई। जबकि अपने अधिकारों की मांग करने वाले पुलिसकर्मियों को नौकरी तक गंवानी पड़ गई। विभाग में इस दोहरी कार्रवाई से सवाल खड़े हो रहे हैं। 

जिस पुलिस से आमजन न्याय की उम्मीद करते हैं, उसकी छवि उत्तराखंड में कुछ वर्षों से बिगडऩे लगी है। खासकर भ्रष्टाचार के मामले में पुलिस पर दोहरी कार्रवाई के आरोप लगते रहे हैं। कई बार कार्रवाई के नाम पर औपचारिकता निभाई गई। आइजी की गाड़ी का उपयोग कर लूटकांड को अंजाम देने का आरोप एक दारोगा और दो सिपाहियों पर लगने लगने के बाद एक बार फिर पुलिस शर्मसार है। 

इस मामले में सीसीटीवी फुटेज से लेकर पीड़ित की तहरीर में लूट की पूरी कहानी बयां की गई। पुलिस को सबूत भी मिल गए। मगर, कार्रवाई के नाम पर जांच पर जांच बिठाई जा रही है। 

डीजी लॉ एंड ऑर्डर अशोक कुमार का कहना है कि  मेरे संज्ञान में जो मामला आया, उस पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई हुई है। लूट के आरोपितों के खिलाफ भी कार्रवाई होगी। किसी भी सूरत में दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। विवेचना पूरी होते ही सब कुछ साफ हो जाएगा। 

केस-1 

हरिद्वार में तैनात एएसपी पर महिला सिपाही ने यौन उत्पीडऩ के आरोप लगाए थे। सिपाही की तहरीर रातोंरात बदल गई और विभागीय कार्रवाई की संस्तुति की गई। मगर आरोपित को प्रमोशन देकर मनमाफिक पोस्टिंग दे दी गई। 

केस-2

ऋषिकेश में तैनात एलआइयू की महिला दारोगा ने एक योग शिक्षक से पांच लाख रुपये की रिश्वत ली। मामला पुलिस मुख्यालय पहुंचा तो मुकदमा दर्ज कराया गया। मगर, आरोपित के खिलाफ निलंबन के सिवाय आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

केस-3 

हरिद्वार के सिडकुल में एक युवती दो पुलिस सिपाहियों पर दुष्कर्म का आरोप लगाते हुए इंसाफ मांगने पहुंची थी। आरोप है कि यहां दारोगा ने पीडि़ता के साथ दुराचार किया। इस मामले की जांच भी आरोपित दारोगा की पत्नी को सौंपी गई। 

केस-4

दून के पटेलनगर क्षेत्र में दारोगा और कुछ पुलिस कर्मियों पर एक मुकदमे के आरोपितों के गहने और वाहन चोरी करने के आरोप लगे थे। मामले में जांच चली तो आरोपित दारोगा और सिपाही के ट्रांसफर कर दिए। बाद में दारोगा इंस्पेक्टर बन गया और दोबारा दून में पोस्टिंग मिल गई।

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