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हाईप्रोफाइल लूटकांड: आरोपित पुलिसकर्मी व साजिशकर्ता गए जेल

आइजी गढ़वाल की सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रॉपर्टी डीलर को लूटने के आरोपित पुलिसकर्मियों व साजिश में शामिल प्रॉपर्टी डीलर को डालनवाला कोतवाली पुलिस ने कोर्ट में पेश कर दिया।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 19 Apr 2019 08:53 AM (IST)
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हाईप्रोफाइल लूटकांड: आरोपित पुलिसकर्मी व साजिशकर्ता गए जेल
देहरादून, जेएनएन। आइजी गढ़वाल की सरकारी गाड़ी में सवार होकर प्रॉपर्टी डीलर को लूटने के आरोपित पुलिसकर्मियों व साजिश में शामिल प्रॉपर्टी डीलर को डालनवाला कोतवाली पुलिस ने बुधवार को कोर्ट में पेश कर दिया। अदालत में सहायक अभियोजन अधिकारी ने संगीन जुर्म बताते हुए आरोपितों को न्यायिक हिरासत में लेने का अनुरोध किया। वहीं, बचाव पक्ष के अधिवक्ता ने धारा 365 व 392 लगाए जाने का विरोध किया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत ने सभी को 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार सुद्धोवाला भेज दिया। रिमांड पर अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी।

राज्य की ओर से पैरवी करते हुए सहायक अभियोजन अधिकारी अनूप चौधरी ने अदालत को बताया कि बीती चार अप्रैल की रात प्रॉपर्टी डीलर अनुरोध पंवार निवासी कैनाल रोड, बल्लूपुर को डब्ल्यूआइसी में अनुपम शर्मा ने प्रॉपर्टी से संबधित रकम लेने के लिए बुलाया। अनुरोध जब वहां से बैग लेकर लौट रहे थे तो रास्ते में होटल मधुबन के पास एक सफेद रंग की स्कॉर्पियो में बैठे तीन लोगों ने ओवरटेक कर उन्हें रोक लिया। उनके रुकते ही स्कॉर्पियो से दो वर्दीधारी पुलिसकर्मी उतरे। चुनाव की चेकिंग के नाम पर उन्होंने कार की तलाशी ली और उसमें रखा बैग कब्जे में ले लिया। छह अप्रैल को अनुरोध ने दून पुलिस से शिकायत की। पुलिस ने जांच शुरू की तो पाया कि स्कॉर्पियो आइजी गढ़वाल के नाम आवंटित है और उसमें बैठे दारोगा दिनेश नेगी, सिपाही हिमांशु उपाध्याय और मनोज अधिकारी ने वारदात को अंजाम दिया है। मामले में दस अप्रैल को डालनवाला कोतवाली में लूट की धारा में मुकदमा दर्ज किया गया, बाद में जांच एसटीएफ को सौंप दी गई। 

मंगलवार की रात चारों को गिरफ्तार कर लिया गया। आरोपितों पर आइपीसी की धारा 341 (किसी को गलत तरीके से रोकना, हिरासत में लेना), 365 (अपहरण) व 170 (सरकारी पद का दुरुपयोग), 392 (लूट) और 120बी (साजिश रचना) की धाराओं में मुकदमा दर्ज है। पुलिस कर्मियों ने लोकसेवक के पद पर रहते हुए अपराध किया है, जो नरमी बरतने के योग्य नहीं है। बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं ने लूट और अपहरण की धारा लगाए जाने पर आपत्ति जताई, लेकिन कोर्ट ने प्रकरण को बेहद गंभीर बताते हुए सभी को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया।

सरकारी गाड़ी कब्जे में नहीं

वारदात में प्रयुक्त आइजी गढ़वाल की सरकारी स्कॉर्पियो को अभी एसटीएफ ने माल मुकदमा नहीं बनाया है। हालांकि, गाड़ी को उसी दिन से पुलिस लाइन में रखा गया है। एसटीएफ ने कहा कि आगे आवश्यकता पड़ने पर गाड़ी को कब्जे में लिया जाएगा।

 

अब लूट की रकम बरामदगी की चुनौती

हाईप्रोफाइल लूटकांड के साजिशकर्ता समेत तीनों पुलिसकर्मियों को पुलिस ने जेल तो भेज दिया, लेकिन रकम बरामद करने की असल चुनौती अभी बाकी है। दरअसल, रकम बरामदगी न होने या फिर लूटा गया काला बैग न मिलने की स्थिति में पुलिस के लिए उन पर लगे आरोपों को अदालत में साबित करना खासा मुश्किल होगा। हालांकि, घटनाक्रम को लेकर पूरे तकनीकी साक्ष्य मौजूद हैं, लेकिन अब लूट की रकम से पर्दा उठने का इंतजार है।

एसटीएफ ने डब्ल्यूआइसी के सीसीटीवी कैमरे का डीवीआर अपने कब्जे में ले रखा है। इसके कैमरों में उस बैग की पूरी और साफ तस्वीर है कि उसका रंग कैसा है और कितना बड़ा है। बैग को उठाकर अनुरोध की कार तक आने वाले शख्स की गतिविधि से साफ पता चल रहा है कि बैग में कुछ खास सामान ही रखा है। बुधवार को कोर्ट में पेशी के दौरान आरोपितों ने बैग में रकम होने से साफ इन्कार किया। एक ने तो यहां तक कहा कि उसमें शराब की बोतलें थीं। लेकिन, इस सवाल का जवाब आरोपितों के पास नहीं था कि केवल इतने भर के लिए आइजी गढ़वाल की सरकारी गाड़ी का दुरुपयोग किया गया। ऐसे में आरोपितों की ओर से कही जा रही बातें गले से नहीं उतर रही है। पुलिस भी रकम को लेकर आश्वस्त नहीं हो पाई है। मुकदमा दर्ज कराने वाले अनुरोध का कहना है कि बैग में कितनी रकम थी, उसे पता नहीं। क्योंकि उनका दावा है कि उन्होंने बैग को खोलकर देखा ही नहीं था। रकम को लेकर सवाल कई और उनका जवाब देने की चुनौती एसटीएफ के सामने है। डीआइजी एसटीएफ रिधिम अग्रवाल ने कहा कि रकम के मिलने के हर संभावित स्थानों पर दबिश दी जा रही है। जैसे ही बैग या रकम के बारे में जानकारी मिलती है, उसे अदालत के समक्ष रखा जाएगा।

नहीं मिल पाए परिजन

अनुपम शर्मा और आरोपित पुलिसकर्मियों के परिजन गिरफ्तारी की खबर मिलते ही पहले एसटीएफ, फिर वहां से डालनवाला कोतवाली पहुंच गए। परिजनों ने आरोपितों से मिलने की कोशिश की, लेकिन पुलिस किसी को भी लॉकअप तक नहीं जाने दिया।

अवाक दिखे परिजन

पुलिस कर्मियों के परिजन थाने के बाहर अवाक घूमते रहे। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था उनके संबंधियों ने अपराध किया है। वह बार-बार अधिकारियों से इस बाबत पूछते भी रहे।

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