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आंगनबाड़ी संगठन और विभाग आमने-सामने, कार्यकत्रियों पर हो सकती है कार्रवाई

आंगनबाड़ी संगठन और महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग आमने-सामने है। न तो विभाग मांग पर सहमति जता रहा है और न ही आंगनबाड़ी संगठन आंदोलन वापस ले रहा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 30 Jan 2020 09:28 PM (IST)
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आंगनबाड़ी संगठन और विभाग आमने-सामने, कार्यकत्रियों पर हो सकती है कार्रवाई
देहरादून, जेएनएन। दस सूत्रीय मांगों पर अड़ा आंगनबाड़ी संगठन और महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग अब आमने-सामने आ चुका है। न तो विभाग कार्यकत्रियों की 18 हजार मानदेय वाली मांग पर सहमति जता रहा है और न ही आंगनबाड़ी संगठन अपने आंदोलन को वापिस ले रहा है। ऐसे में शासनादेश द्वारा जारी किए गए नोटिस से आज कई जिलों में आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को काम से बर्खास्त किया जा सकता है, जबकि दून सहित अन्य जिलों में शुक्रवार के बाद ही कार्रवाई की जाएगी।

बता दें पौड़ी में 14 सहायिका और आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को चस्पा आदेश जारी कर दिए गए है। गुरुवार को आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को दिए जा रहे नोटिस मामले में कार्यकत्रियां नंदा कि चौकी स्थित विभाग के निदेशालय में घेराव करने पहुंची। इस दौरान उन्होंने एक-एक करके निदेशक झरना कामठान से अपनी समस्याएं भी बताई, लेकिन निदेशक झरना कामठान ने उनकी मानदेय वाली मांग को स्वीकार करने से इंकार कर दिया।

हालांकि, निदेशक झरना कामठान ने ज्ञापन शासन तक पहुंचाने की बात जरूर कही, लेकिन कार्यकत्रियां नहीं मानी और उन्होंने वहीं विभाग को निदेशालय के बाहर आत्मदाह करने की चेतावनी दी।

गौरतलब है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्री, सेविका, मिनी कर्मचारी संगठन पिछले 53 दिनों से धरने और 20 दिनों से बेमियादी अनशन पर बैठा है। संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा कि सरकार मातृशक्ति का अपमान कर रही है। जो उत्तराखंड के हर आंगन में अपनी सेवाएं पहुंचा रही है। उन्होंने कहा कि करोड़ के बजट में उनके मानदेय के लिए सरकार के लिए बिल्कुल भी बजट नहीं। उनके अनुसार सरकार उनके साथ राजनीति कर रही है। फिलहाल उनकी मांगों पर किसी का भी ध्यान नहीं। लेकिन जैसे ही चुनावी दौर आएगा। सरकार अचानक रंग बदलते हुए उनके पक्ष में खड़े होने का दावा करने लगेगी। 

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बोली अधिकारी

झरना कामठान (निदेशक महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग) का कहना है कि हम आंगनबाड़ी संगठन का ज्ञापन शासन तक पहुंचा सकते हैं। उनका मानदेय बढ़ाना हमारे हाथ में नहीं। यदि वह निर्धारित समय में काम पर नहीं लौटती तो योजनाओं की कार्यप्रणाली में रुकावट आने के कारण विभाग को उन्हें मजबूरन बर्खास्त करना पड़ेगा।

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