बैठक को गंभीरता से न लेना पंचायत प्रतिनिधियों को पड़ेगा भारी, होगी ये कार्यवाही
अब अगर पंचायत प्रतिनिधियों ने त्रिस्तरीय पंचायत की बैठकों को गंभीरता से नहीं लिया तो उन्हें अपने पद से हाथ धोना पड़ सकता है।
By Edited By: Updated: Sun, 25 Nov 2018 04:08 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। त्रिस्तरीय पंचायत की बैठकों को गंभीरता से न लेना पंचायत प्रतिनिधियों को भारी पड़ सकता है। लगातार तीन बैठकों से किनाराकशी करने पर संबंधित प्रतिनिधि को सदस्यता से हाथ धोना पड़ेगा। यही नहीं, बैठक में शिरकत करने पर शुरुआत में ही प्रतिनिधि को बाकायदा कार्यवाही रजिस्टर में दस्तखत करना भी अनिवार्य होगा। पंचायती राज एक्ट में संशोधन के इस मसौदे को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी है। इसके अलावा अन्य संशोधन भी एक्ट की विभिन्न धाराओं में किए गए हैं।
पंचायती राज एक्ट-2016 में बैठकों में भागीदारी, ओबीसी आरक्षण, एक ही पद समेत कुछ बिंदुओं के संबंध में स्पष्ट प्रावधान का उल्लेख नहीं था। इसे देखते हुए संशोधन प्रस्तावों का मसौदा तैयार कर कैबिनेट के समक्ष रखा गया। इसमें कुछ संशोधन प्रस्तावों को कैबिनेट ने मंजूरी दे दी। इसके मुताबिक अब त्रिस्तरीय पंचायतों की बैठकों से कोई भी प्रतिनिधि किनाराकशी नहीं कर पाएगा। अब एक्ट में यह प्रावधान भी कर दिया गया है कि कोई भी पंचायत प्रतिनिधि एक साथ दो पद धारण नहीं कर पाएगा। यह व्यवस्था ग्राम, क्षेत्र व जिला पंचायतों में लागू होगी। उच्च स्तर के पद पर चुने जाने के बाद संबंधित प्रतिनिधि को निम्न स्तर का पद छोड़ना होगा। कैबिनेट ने तय मानकों के अनुसार ओबीसी आरक्षण 14 फीसद से अधिक न होने की व्यवस्था को त्रिस्तरीय पंचायतों में भी लागू करने को मंजूरी दी है।
2016 के एक्ट में यह प्रावधान छूट गया था। यही नहीं, यदि कोई व्यक्ति पंचायतों के लिए आरक्षण का फर्जी प्रमाणपत्र देता है और जांच में इसकी पुष्टि होती है तो संबंधित सदस्य की सदस्यता खत्म कर दी जाएगी। इस संशोधन प्रस्ताव को भी कैबिनेट ने हरी झंडी दे दी है।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड के युवाओं को अब विदेशों में भी मिलेंगे रोजगार के अवसर
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