फर्जी दाखिले में नपेंगे श्रीदेव सुमन विवि के कई अधिकारी-कर्मचारी
श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय प्रशासन ने परीक्षा पारिश्रमिक लेने वाले अधिकारियों से वसूली करने का निर्णय लिया है। विवि के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने कहा कि निजी कालेजों पर तो कार्रवाई की जा रही है साथ ही विवि के जिम्मेदार अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा।
By Sumit KumarEdited By: Updated: Thu, 02 Sep 2021 03:52 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : प्रदेश के सबसे बड़े श्रीदेव सुमन उत्तराखंड विश्वविद्यालय में न केवल संबद्ध निजी कालेज मनमानी व नियमों की अनदेखी कर रहे हैं बल्कि कर्मचारी अधिकारी भी पीछे नहीं हैं। अब ऐसे अधिकारियों पर गाज गिरने की पूरी संभावना है। विवि प्रशासन ने परीक्षा पारिश्रमिक लेने वाले अधिकारियों से वसूली करने का निर्णय लिया है।
विवि के सहायक परीक्षा नियंत्रक, सहायक कुलसचिव व उप कुलसचिव ने पिछले कुछ समय से जितनी भी परीक्षाएं हुइ्र उनमें पारिश्रमिक लिया। जबकि विवि के परिनियमावली में स्पष्ट है कि परीक्षा पारिश्रमिक केवल विवि के कर्मचारियों को मिलेगा अधिकारियों ने नहीं। मामला संज्ञान में आते ही विवि ने कार्य परिषद की बैठक में इसपर कार्रवाई व वसूली की मंजूरी दे दी। यहरी नहीं विवि से संबद्ध आठ कालेजों ने नियमों को दरकिनार करते हुए निर्धारित सीटों से अधिक 481 सीटें अपने यहां ज्यादा भर दी थी और फर्जी सीटों पर हुए दाखिले के बाद ऐसे छात्रों की परीक्षा भी करवा दी।
अब सवाल उठे कि निजी कालेजों ने तो फर्जीवाड़ा किया ही, लेकिन विवि के अधिकारियों ने इस गड़बड़ी को क्यों नहीं पकड़ा। फर्जी दाखिला वाले छात्रों के प्रवेश पत्र तक जारी कर दिए गए। मार्च में हुई परीक्षा की गड़बड़ी विवि प्रशासन के संज्ञान में 21 जुलाई को आई। हालांकि इस मामले में प्रशासन स्तर पर जांच का उच्च शिक्षा मंत्री डा.धन सिंह रावत ने आश्वासन दिया था, लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। विवि प्रशासन ने अपने स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी है।
यह भी पढ़ें- ऋषिकेश से देहरादून के बीच जाखन नदी पर वैकल्पिक मार्ग बनाने का काम तेजविवि के कुलपति डा. पीपी ध्यानी ने कहा कि निजी कालेजों पर तो कार्रवाई की जा रही है, साथ ही विवि के जिम्मेदार अधिकारियों को भी बख्शा नहीं जाएगा। इन निजी आठ कालेजों के छात्रों ने आखिर परीक्षा कैसे दे दी यह विवि के समक्ष भी विचारणीय प्रश्न है। कहीं न कहीं पूरे मामले में विवि के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध है।
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