शौक में नशा, लत लगी तो बन गए तस्कर, पढ़िए पूरी खबर
नशे की लत सभी आयु वर्ग में लग सकती है, लेकिन किशोरावस्था उम्र का वह पड़ाव होता है, जब नशे की लत आसानी से गिरफ्त में ले लेती है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 13 Feb 2019 09:06 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। नशा युवा वर्ग के सिर चढ़ कर बोल रहा है। हालांकि, नशे की लत सभी आयु वर्ग में लग सकती है, लेकिन किशोरावस्था उम्र का वह पड़ाव होता है, जब नशे की लत आसानी से गिरफ्त में ले लेती है। जब नशा पूरी तरह से हावी हो जाता है और घर से मिलने वाला जेब खर्च कम पड़ने लगता है तो वह नशे की अंधेरी गलियों में तस्करी करने उतर जाते हैं। जिसका अंजाम असमय मौत या फिर जेल के रूप में सामने आता है।
नशे की परेशान कर देने वाली इस हकीकत की तस्वीर पुलिस के आंकड़ों में भी देखी जा सकती है। गुजरे साल 2018 में दून पुलिस ने करीब पांच सौ नशा तस्करों पर शिकंजा कसा। अधिकारियों की मानें तो इसमें सत्तर फीसद के करीब युवा शामिल हैं, जिनकी उम्र 18 से 35 वर्ष के बीच है। आधे के करीब या तो छात्र थे या फिर पढ़ाई पूरी कर जल्द ही नौकरी या छोटा-मोटा कामधंधा शुरू किया था। इन सभी को नशे की लत यारी-दोस्ती में लगी। कुछ दिन जैसे-तैसे जेब खर्च या दोस्तों के सहयोग से चलने के बाद रास्ता तब अंधेरी गलियों की ओर मुड़ने लगता है, जब दोस्त भी नशे का इंतजाम करने के लिए दबाव बनाने लगते हैं। फिर यह लोग उन तस्करों से संपर्क करते हैं, जिनसे उन्हें नशा मिलता है। फिर उस नशे को बेचने निकल जाते हैं। इससे होने वाली कमाई से खुद के नशे की जरूरत तो पूरी ही होती है, अच्छी कमाई भी होने लगती है। लेकिन पैरों तले की जमीन तब खिसकती है, जब वह पुलिस के चंगुल में फंसते हैं। फिर न वह दोस्त साथ खड़े होते हैं और न नशे की अंधेरी गलियों में उंगली पकड़ कर ले जाने वाले तस्कर ही कहीं दिखाई देते हैं।
बोलीं एसएसपीनिवेदिता कुकरेती (एसएसपी, देहरादून) का कहना है कि यह सच है कि युवाओं में नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। इसीलिए नशे के प्रति युवा पीढ़ी को जागरूक करने के लिए स्कूल-कॉलेज में गोष्ठियां आयोजित की जाती हैं। एंटी ड्रग टास्क फोर्स की टीमों को भी स्कूल-कॉलेज के आसपास नजर रखने को कहा गया है।
अभिभावक बच्चों में अचानक आए व्यवहार में परिवर्तन पर नजर रखें श्वेता चौबे (एसपी सिटी, देहरादून) का कहना है कि किशोरावस्था में नशे की लत जल्द लगती है। तब उन्हें नशे के दुष्परिणामों के बारे में जानकारी नहीं होती है। चूंकि किशोर छिप कर नशा करते हैं, ऐसे में अभिभावकों को भी इसकी जानकारी तब होती है, जब शौक में किया गया नशा लत बन जाता है। ऐसे में अभिभावकों को बच्चों में अचानक आए व्यवहार में परिवर्तन पर नजर रखने की आवश्यकता है। इससे समय रहते पता चल जाएगा कि उनका बच्चा कहीं गलत संगत में तो नहीं पड़ गया है। वहीं आम लोग भी नशे की रोकथाम में बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं। यदि उन्हें नशा बेचने वाले किसी शख्स के बारे में जानकारी मिलती है तो तुरंत पुलिस से साझा करें। उनके नाम व पते गोपनीय रखते हुए कार्रवाई की जाएगी।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- केस एक : उप्र के मुरादाबाद निवासी युवक को बीते साल अक्टूबर महीने में प्रेमनगर पुलिस ने नशा तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किया था। पता चला कि वह एक संस्थान में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है। पूछताछ में युवक ने बताया कि पहले शौक में नशा किया, बाद में पैसे की जरूरत पूरी करने को खुद भी नशे की सप्लाई करने लगा।
- केस दो : कोतवाली पुलिस ने दो महीने पहले तीन शातिर वाहन चोरों को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि दो की परचून की दुकान थी, लेकिन नशे के धंधे में मोटी कमाई के लालच में तस्करी करने लगे। इस दौरान उन्हें भी नशे की लत लग गई, जिसके खर्च को पूरा करने के लिए वाहन चोरी करने लगे।
- केस तीन : तीन महीने पूर्व सहसपुर पुलिस ने दो नशा तस्करों को पकड़ा। दोनों ही छात्र थे। पूछताछ में दोनों ने बताया कि दोस्तों के साथ शौक में किए गए नशे की कब लत लग गई पता ही नहीं चला। जब नशा हावी हो गया और जेब खर्च की रकम कम पडऩे लगी तो तस्करों के कहने पर खुद भी धंधे में उतर गए।