पुरानी फीस पर ही होंगे एमबीबीएस में दाखिले
अब एमबीबीएस में दाखिला पुरानी फीस पर ही दिया जाएगा। इसपर अभीतक हार्इकोर्ट का फैसला नहीं आया है। जिसके चलते ये फैसला लिया गया है।
By Edited By: Updated: Sun, 24 Jun 2018 05:21 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: प्रदेश में निजी मेडिकल कॉलेजों में दाखिले पुरानी फीस पर ही किए जाएंगे। क्योंकि अभी तक हाईकोर्ट का कोई फैसला नहीं हुआ है, इसलिए तय किया गया है कि कॉलेज पुराने शुल्क पर ही एडमिशन करेंगे।
प्रदेश में एमबीबीएस और बीडीएस दाखिलों की काउंसिलिंग 25 जून से होनी है। इसे लेकर अपर मुख्य सचिव चिकित्सा शिक्षा अरुणेंद्र सिंह चौहान की अध्यक्षता में बैठक आयोजित की गई। जिसमें तय किया गया कि निजी व सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस व बीडीएस के दाखिले केंद्रीयकृत काउंसिलिंग के तहत ही किए जाएंगे। निजी मेडिकल कॉलेजों के शिक्षण शुल्क निर्धारण का मामला उच्च न्यायालय के साथ ही प्रवेश एवं शुल्क नियामक समिति में भी विचाराधीन है। इस पर निर्णय हो जाने तक कॉलेज पूर्व निर्धारित शुल्क ही लेंगे। बता दें कि निजी कॉलेजों की फीस का मामला लंबे वक्त से अनसुलझा है। गत वर्ष भी इसे लेकर विवाद की स्थिति बनी थी। यह मामला हाईकोर्ट पहुंच गया था।हाईकोर्ट के आदेश पर कॉलेजों ने छात्रों से इसको लेकर शपथ पत्र लिया कि बाद में जो भी फीस तय होगी वह उन्हें मान्य होगी। इस बीच राज्य सरकार ने निजी कॉलेजों को फीस निर्धारण का अधिकार दे दिया। जिस पर कॉलेजों ने फीस में कई गुना वृद्धि कर दी। छात्रों के आंदोलन पर सरकार को बैकफुट पर आना पड़ा था। सरकार के हस्तक्षेप पर कॉलेजों ने अपना फैसला वापस लिया। बहरहाल अभी तक भी फीस पर कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है। पुरानी ही फीस पर दाखिले का निर्णय लिया गया है। बैठक में उप सचिव सुरेंद्र सिंह रावत, चिकित्सा शिक्षा निदेशक डॉ. आशुतोष सयाना, एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो. विजय जुयाल व संयुक्त सचिव डॉ. एचएस बंधु उपस्थित रहे।
ये रहेगी आरक्षण व्यवस्था मेडिकल कॉलेजों में राज्य कोटे की सीटों पर राज्य में निर्धारित आरक्षण व्यवस्था लागू होगी। प्रबंधन कोटे की सीटों पर आरक्षण व्यवस्था लागू नहीं होगी। भूतपूर्व सैनिकों के आश्रितों के लिए पांच प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था है। कार्यरत सैनिकों के आश्रितों के लिए आरक्षण का लाभ देय नहीं होगा। कश्मीरी विस्थापितों के आश्रितों के लिए पूर्व वर्षो की भांति प्रत्येक राजकीय मेडिकल कॉलेज में एक-एक सीट आरक्षित होगी। सेंट्रल पूल कोटा के तहत भी राजकीय मेडिकल कॉलेजों में एक-एक सीट आरक्षित रहेगी।
दो हजार रुपये काउंसिलिंग शुल्क नीट-यूजी की काउंसिलिंग ऑनलाइन आयोजित की जाएगी। काउंसिलिंग शुल्क दो हजार रुपये (दो चरण के लिए) तय किया गया है। मॉपअप राउंड में प्रतिभाग करने वाले प्रतिभागियों से एक हजार रुपये शुल्क लिया जाएगा।
सीट ब्लॉक करने पर जुर्माना छात्र दो चरण के बाद किसी प्राइवेट कॉलेज में राज्य या ऑल इंडिया कोटे की सीट छोड़ता है तो उसे एक लाख रुपये जुर्माना देना होगा। अगर छात्र किसी सरकारी मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट छोड़ता है तो उसे दस हजार रुपये जुर्माना देना होगा। यह रकम उन्हें सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा करनी होगी।
इस बार 200 सीट का नुकसान राज्य को इस बार 200 सीट का नुकसान हुआ है। सुभारती मेडिकल कॉलेज को इस साल मान्यता नहीं मिल पाई है। यहां एमबीबीएस की 150 सीट थीं। इसके अलावा हिमालयन इंस्टीट्यूट जौलीग्रांट में भी एमबीबीएस की सीट 150 से घटकर 100 रह गई हैं।
चिकित्सा शिक्षा निदेशक आशुतोष सयाना ने बताया कि फिलहाल पुरानी फीस पर ही दाखिले होंगे। काउंसिलिंग के लिए सभी तैयारिया पूरी कर ली गई हैं। तय कार्यक्रम के अनुसार ही काउंसिलिंग होगी।यह भी पढ़ें: एमकेपी-एसजीआरआर में 30 तक बढ़ी दाखिले की तिथि
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