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यहां आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अब संबद्धता शुल्क में खेल, जानिए

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं का बोलबाला रहा है। पिछले एक अर्से से यहा तमाम कार्य नियम कायदों को ताक पर रखकर किए गए।

By Edited By: Updated: Tue, 29 Oct 2019 02:10 PM (IST)
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यहां आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अब संबद्धता शुल्क में खेल, जानिए
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय में अनियमितताओं का बोलबाला रहा है। पिछले एक अर्से से यहां तमाम कार्य नियम कायदों को ताक पर रखकर किए गए। कभी नियुक्तियां, कभी खरीद और कभी अन्य कारण से विश्वविद्यालय चर्चाओं में रहा है। ताजा मामला संबद्धता शुल्क से जुड़ा है। 

विवि से संबद्ध कई निजी कॉलेजों ने एक अर्से से यह शुल्क जमा ही नहीं किया है, जबकि कई कॉलेज संबद्धता मद में तय शुल्क से कम रकम जमा करा रहे हैं। जिस कारण विवि को करीब आठ करोड़ रुपये का फटका लगा है। विवि प्रशासन ने अब इस संबंध में कॉलेजों को नोटिस जारी किया है। उत्तराखंड आयुर्वेद विवि से 16 निजी कॉलेज संबद्ध हैं। इनमें 13 आयुर्वेदिक, दो होम्यौपैथिक व एक यूनानी कॉलेज शामिल है। 
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग रेगुलेशन 2009 और उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय परिनियमावली 2015 के अनुसार व्यावसायिक संस्थाओं को वर्ष दर वर्ष विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त करना आवश्यक होता है। हर साल संबद्धता प्राप्त करने के लिए इन्हें एक लाख का बैंक ड्राफ्ट संलग्न कर संबद्धता का प्रस्ताव विश्वविद्यालय को प्रेषित करना होता है। जिसके बाद विश्वविद्यालय के कुलपति द्वारा तीन सदस्यीय निरीक्षण मंडल गठित किया जाता है, जो कि संस्थाओं में जाकर सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआइएम) और सेंट्रल काउंसिल ऑफ होम्योपैथी (सीसीएच) की ओर से निर्धारित मानकों की जांच करता है। 
इस रिपोर्ट के आधार पर संस्थाओं को संबद्धता प्रदान की जाती है। पर ताज्जुब देखिए कि आयुर्वेद विवि निजी कॉलेजों को मुफ्त में रेवड़ियां बांट रहा है। या यूं कहें कि कॉलेजों ने विवि को अपनी बपौती समझ लिया है। कारण ये कि कई कॉलेजों ने संबद्धता मद में निर्धारित शुल्क से अपेक्षाकृत कम शुल्क जमा कराया है। जबकि कुछ कॉलेज शुल्क जमा ही नहीं करा रहे हैं। पूर्व कुलपति प्रो. अभिमन्यु कुमार ने इस मामले की जांच के आदेश दिए थे। जांच में पता चला है कि कॉलेजों की देनदारी करीब आठ करोड़ रुपये है। इन बकायेदारों में कई रसूखदार भी शामिल हैं। 
छात्र हित के कई कार्य प्रभावित नियमित रूप से संबद्धता शुल्क जमा न होने से विवि को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। इस रकम पर विवि को मोटा ब्याज मिलता है। जिसे छात्र हित में खर्च किया जाता है। इसी रकम से कई निर्धन छात्रों को छात्रवृत्ति भी प्रदान की जाती है। पर कॉलेजों की मनमर्जियां विवि पर भारी पड़ रही हैं।
संबद्धता शुल्क की सेटिंग को दलाल सक्रिय संबद्धता शुल्क को लेकर कुछ दलाल भी सक्रिय हो गए हैं। वह निजी कॉलेजों को मध्यस्थता का आश्वासन दे रहे हैं। बताया गया कि रुड़की के एक आयुर्वेदिक कॉलेज से किसी व्यक्ति ने सेटिंग के नाम पर कई लाख रुपये नगद ले लिए। पर यह रकम विवि में जमा ही नहीं कराई गई। विवि प्रशासन ऐसी किसी भी जानकारी से इनकार कर रहा है।
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