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अल्मोड़ा बस हादसे से उत्‍तराखंड सरकार ने लिया सब‍क, अब तय होगी व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा

उत्तराखंड सरकार ने अल्मोड़ा में हुई बस दुर्घटना के बाद बड़ा फैसला लिया है। अब राज्य में पर्वतीय मार्गों पर चलने वाले व्यावसायिक वाहनों की अधिकतम आयु-सीमा निर्धारित की जाएगी। इसके लिए केंद्र सरकार को पत्र लिखा गया है। सरकार का कहना है कि उत्तराखंड परिवहन निगम की बसों के लिए अधिकतम आयु-सीमा सात वर्ष और मैदानी मार्गों पर आठ वर्ष का नियम है।

By Ankur Agarwal Edited By: Vivek Shukla Updated: Wed, 06 Nov 2024 09:08 AM (IST)
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अल्मोड़ा में हुई बस दुर्घटना के बाद राज्य सरकार अलर्ट। जागरण
जागरण संवाददाता, देहरादून। अल्मोड़ा में हुई बस दुर्घटना के बाद राज्य सरकार ने प्रदेश में पर्वतीय मार्गों पर व्यावसायिक वाहनों की अधिकतम आयु-सीमा निर्धारित करने का निर्णय कर लिया है। संयुक्त परिवहन आयुक्त सनत कुमार सिंह के अनुसार पर्वतीय मार्गों पर व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा निर्धारित करने के लिए केंद्र सरकार को पत्र भेजा गया है।

इसमें यह आग्रह किया गया है कि आयु-सीमा निर्धारित करने के लिए राज्य सरकार को अधिकृत किया जाए। सरकार ने पूर्व में आयु-सीमा निर्धारित की थी, लेकिन उच्च न्यायालय ने ट्रांसपोर्टरों की अपील पर सरकार का आदेश यह हवाला देते हुए निरस्त कर दिया था कि राज्य सरकार को आयु-सीमा निर्धारित करने का अधिकार नहीं है। इसलिए राज्य सरकार प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों का हवाला देकर केंद्र सरकार से विशेष अनुमति देने का आग्रह किया गया है।

बता दें कि, दुर्घटना के बाद 'दैनिक जागरण' ने प्रदेश में व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा निर्धारित न होने से खटारा बसों के पर्वतीय मार्गों पर बेरोकटोक दौड़ने का समाचार मंगलवार के अंक में प्रकाशित किया था। इसमें यह भी बताया गया था कि परिवहन निगम की बसों के लिए अधिकतम आयु-सीमा व किमी के मानक निर्धारित हैं लेकिन निजी बसों के लिए कोई मानक नहीं हैं।

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इसका संज्ञान लेकर मंगलवार को सरकार हरकत में आ गई। दरअसल, राज्य परिवहन प्राधिकरण तीन नवंबर-2008 को प्रदेश में व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा का निर्धारण कर दिया था, जिसमें पर्वतीय मार्गों पर बसों की अधिकतम आयु-सीमा 15 वर्ष निर्धारित की गई थी।

अल्मोड़ा के रोडवेज कार्यशाला में फिटनेस के लिए खड़ी रोडवेज बसें। जागरण


इस निर्णय के विरुद्ध ट्रांसपोर्टर उच्च न्यायालय चले गए और सुनवाई के बाद उच्च न्यायालय ने 30 जून-2014 को राज्य परिवहन प्राधिकरण के आयु-सीमा निर्धारित करने के आदेश को निरस्त कर दिया। फिर सरकार ने उच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दाखिल की, मगर उच्च न्यायालय ने 27 फरवरी-2017 को यह याचिका खारिज कर दी। राज्य सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय में अपील की, लेकिन वहां से भी 26 नवंबर-2018 को याचिका निरस्त हो गई।

ऐसे में व्यावसायिक वाहनों की आयु-सीमा का मामला समाप्त हो गया और वह परिवहन विभाग से होने वाली फिटनेस के आधार पर लगातार संचालित होने लगे, चाहे वाहन आयु में कितना भी पुराना क्यों न हो। हालांकि, यह नियम उत्तराखंड परिवहन निगम पर लागू नहीं हुए।

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परिवहन निगम में पर्वतीय मार्गों पर बसों की वर्तमान अधिकतम आयु-सीमा सात वर्ष और मैदानी मार्गों पर आठ वर्ष का नियम अस्तित्व में है। वर्तमान में पूरे प्रदेश में करीब तीन लाख व्यावसायिक वाहन पंजीकृत हैं और इनमें 50 प्रतिशत से अधिक 15 वर्ष की आयु-सीमा पूरी कर चुके हैं।

प्राधिकरण ने यह आयु-सीमा की थी निर्धारित

वाहन पर्वतीय मार्ग मैदानी मार्ग

बस

15 वर्ष 20 वर्ष
ट्रक 20 वर्ष कोई सीमा नहीं
टैक्सी 09 वर्ष 15 वर्ष
टैंपों/विक्रम (डीजल) 07 वर्ष 15 वर्ष
टैंपों/आटो (पेट्रोल) 10 वर्ष

केंद्रीय मोटर वाहन अधिनियम के मानक

अखिल भारतीय परमिट वाहन
आयु-सीमा
बस 08 वर्ष
टैक्सी 09 वर्ष
6 टायर ट्रक 12 वर्ष
10 टायर ट्रक 15 वर्ष
10 से अधिक टायर ट्रक 18 वर्ष
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