कोरोना के बाद अब डेंगू बनेगा ब्लड बैंकों के लिए चुनौती Dehradun News
ब्लड बैंकों में रक्त का इतना संकट भी कभी नहीं हुआ जितना इस कोरोना काल में हुआ है। मगर अब आने वाले समय में ब्लड बैंकों के लिए डेंगू दोहरी चुनौतियां लेकर आने वाला है।
By Edited By: Updated: Fri, 03 Jul 2020 11:16 AM (IST)
ऋषिकेश, जेएनएन। वैश्विक महामारी कोरोना ने इंसान को हर मोर्चे पर चुनौती देने का काम किया है। ब्लड बैंकों में रक्त का इतना संकट भी कभी नहीं हुआ, जितना इस कोरोना काल में हुआ है। मगर, अब आने वाले समय में ब्लड बैंकों के लिए डेंगू दोहरी चुनौतियां लेकर आने वाला है।
कोरोना वायरस संक्रमण के चलते पिछले करीब तीन महीनों से सभी रक्तकोष रक्त की कमी से जूझ रहे हैं। हालांकि कोरोना संक्रमण के मामले में रक्त की जरूरत नहीं पड़ती। मगर, डायलेसिस, दुर्घटनाएं, कैंसर और ऑपरेशन जैसे मामलों में रक्त की सबसे अधिक जरूरत पड़ती है। इस बार कोरोना संक्रमण के खतरे के चलते नियमित रक्तदान करने वाले लोगों ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए, जिससे ब्लड बैंकों को रक्त की कमी से जूझना पड़ा।
हालांकि इस दौर में भी ऋषिकेश क्षेत्र में तमाम रक्तदाताओं और स्वयंसेवी संस्थानों ने इस कमी को भारी नहीं पड़ने दिया। मगर, आने वाले समय में यदि डेंगू गंभीर रूप धारण करता है तो ब्लड बैंकों की परेशानी बढ़ सकती है। ऋषिकेश में एम्स के अलावा एसपीएस राजकीय चिकित्सालय में ब्लड बैंक है। एम्स में दो सौ यूनिट रक्त स्टोर किया जा सकता है। जबकि राजकीय चिकित्सालय में भी करीब सौ यूनिट ब्लड स्टोरेज की क्षमता है।
डेंगू की स्थिति में मरीज को प्लेटलेट्स की जरूरत होती है, जो रक्त से ही प्राप्त की जा सकती है। ऐसे में एम्स के ब्लड बैंक में ऐसी व्यवस्था है कि होल ब्लड नहीं बल्कि सिर्फ प्लेटलेट्स को शरीर से प्राप्त किया जा सकता है। जबकि राजकीय चिकित्सालय के ब्लड बैंक में अभी इस तरह की व्यवस्था नहीं है। बड़ी चुनौती यह भी है कि प्लेटलेट्स को सिर्फ पांच दिन तक ही स्टोर रखा जा सकता है। जिससे यह जरूरी है कि ब्लड बैंकों को नियमित रूप से रक्तदाता मिलते रहें।
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चुनौती को लेकर एम्स तैयार एम्स ऋषिकेश के ब्लड बैंक प्रभारी डॉ. गीता नेगी के अनुसार, बीते वर्ष डेंगू के काफी मामले आए थे। एम्स के ब्लड बैंक ने प्लेटलेट्स की शत प्रतिशत पूर्ति करने का काम किया। कोरोना काल में रक्तदान में कमी तो आई है। मगर, ऋषिकेश क्षेत्र के जागरूक रक्तदाताओं और सामाजिक संस्थाओं के कारण इतनी अधिक परेशानी पेश नहीं आयी। आने वाले समय में डेंगू की चुनौती के लिए भी हम तैयार हैं।
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