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मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने के लिए आंदोलनकारियों ने किया प्रदर्शन Dehradun News

मलिन बस्तियों के मालिकाना हक की मांग लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने नगर निगम में प्रदर्शन किया। इस दौरान बस्तियों की समस्याओं को भी उठाया गया।

By BhanuEdited By: Updated: Sat, 23 Nov 2019 12:56 PM (IST)
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मलिन बस्तियों को मालिकाना हक देने के लिए आंदोलनकारियों ने किया प्रदर्शन Dehradun News
देहरादून, जेएनएन। मलिन बस्तियों के मालिकाना हक की मांग लेकर उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी मंच ने नगर निगम में प्रदर्शन किया। इस दौरान बस्तियों की समस्याओं को भी उठाया गया। 

मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन नेगी ने कहा कि निगम ने बस्तियों पर टैक्स लेने की शुरुआत कर दी है, लेकिन मालिकाना हक को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया। इस दौरान मालिकाना हक देने की मांग की गई व साथ ही सफाई व्यवस्था दुरुस्त करने के लिए कर्मियों की भर्ती करने की मांग उठाई गई।

उन्होंने आवारा जानवरों को गोशाला में भेजने की मांग की। इस दौरान ओमी उनियाल व रामलाल खंडूड़ी, प्रदीप कुकरेती, पूरण सिंह लिंगवाल, विनोद असवाल, विनीत त्यागी आदि मौजूद रहे।

महापौर कक्ष में महिला का हंगामा

स्ट्रीट लाइट की शिकायत पर नगर निगम पहुंची एक महिला ने महापौर सुनील उनियाल गामा के कक्ष में जमकर हंगामा व अभद्रता की। महिला इस जिद पर अड़ गई कि उसके घर के बाहर तत्काल खंभा और स्ट्रीट लाइट लगाई जाए। महापौर ने महिला को समझाने का प्रयास किया, लेकिन उसने हंगामा बंद नहीं किया। इस पर डॉयल 100 पर कॉल कर पुलिस बुलाई गई व पुलिस ने महिला को नगर निगम से बाहर किया। 

महापौर गामा अपने कक्ष में दोपहर करीब 12 बजे पहुंचे। एक महिला जो स्वयं को विजय कालोनी की बता रही थी वह पहले से उनके कक्ष में अन्य लोगों के बीच बैठी हुई थी। महापौर के आते ही उक्त महिला ने महापौर से अभद्र शब्दों का प्रयोग कर बात की। उसने महापौर को यह तक कह डाला कि-अब तक दफ्तर क्यों नहीं पहुंचे थे। इतनी देर से क्यों आए हो। 

महापौर ने बताया कि वे किसी सामाजिक कार्यक्रम में गए हुए थे, मगर महिला शांत ही नहीं हुई और अभद्र शब्दों का इस्तेमाल करने लगी। महापौर, वहां बैठे पार्षदों और लोगों ने महिला को समझाया कि इस ढंग से बात न करें, लेकिन वह नहीं मानी। इस दौरान महापौर ने उससे शिकायत संबंधित पत्र लेकर जल्द उचित कार्रवाई का भरोसा भी दिया, लेकिन वह नहीं मानी। 

महिला के इस रवैये को देखकर महापौर ने किसी को भी उससे बात करने से इन्कार कर दिया साथ ही आखिर में पुलिस बुलानी पड़ी। वह पुलिस से भी भिड़ गई, तब महिला पुलिसकर्मियों ने उसे किसी तरह काबू कर निगम परिसर से बाहर किया। महिला मानसिक रूप से बीमार बताई जा रही। बताया गया कि दो दिन पूर्व उसने आरटीओ में भी इसी तरह से अभद्र व्यवहार किया था।

असेसमेंट हेराफेरी मामले में मृत व्यक्ति को भी नोटिस

भवन कर के सेल्फ असेसमेंट में हेराफेरी करने के मामले में नगर निगम की ओर से जिन पंद्रह लोगों को नोटिस भेजे गए हैं, उनमें से एक व्यक्ति की 13 साल पहले ही मृत्यु हो चुकी है। संबंधित व्यक्ति के परिजनों ने बताया कि मृत्यु प्रमाण पत्र भी नगर निगम से ही जारी हुआ था। उन्होंने संपत्ति नामांतरण के लिए भी उसी वक्त आवेदन कर दिया था। आरोप है कि निगम ने अपनी लापरवाही से संपत्ति नामांतरण नहीं की और मृत व्यक्ति के नाम नोटिस जारी कर दिया। 

नगर निगम की ओर से व्यवसायिक संपत्तियों से वसूले जा रहे भवन कर में करोड़ों रुपये की हेराफेरी मिलने के बाद नगर आयुक्त विनय शंकर पांडेय के निर्देश पर पंद्रह प्रतिष्ठानों को नोटिस जारी किए गए थे। इसी में एक नोटिस सैय्यद फरीद अहमद के नाम पर भी जारी हुआ। निगम के मुताबिक इनकी संपत्ति पर स्टेट बैंक का दफ्तर संचालित हो रहा। निगम ने असेसमेंट में हेराफेरी पर फरीद अहमद के नाम करीब 18 लाख रुपये का नोटिस भेजा।

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टैगोर रोड निवासी फरीद अहमद के परिजनों ने निगम कार्रवाई पर आपत्ति जताते हुए बताया कि फरीद अहमद की मृत्यु 2006 में हो चुकी है। परिवार के सदस्यों ने बताया कि निगम के नोटिस का वे कानूनी जवाब देंगे। गलती निगम की है कि उसने संपत्ति का नामांतरण क्यों नहीं किया। मामले में कर निरीक्षक भी संदेह के घेरे में हैं, क्योंकि उन्हें संपत्ति का सत्यापन करना होता है। इतने साल तक ये सत्यापन क्यों नहीं किया गया, यह निगम की बड़ी लापरवाही है।

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