एम्स ऋषिकेश ने मधुमेह के रोगियों को दी सतर्क रहने की सलाह, कहा- शुगर बढ़ने पर दोबारा हो सकता है फंगस
अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद यदि फंगस मरीजों ने अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में लापरवाही बरती तो उन्हें फिर से म्यूकर माइकोसिस हो सकता है। जिससे उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति आ सकती है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 10 Jul 2021 02:27 PM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश। अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद यदि फंगस (म्यूकर माइकोसिस) मरीजों ने अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखने में लापरवाही बरती तो उन्हें फिर से म्यूकर माइकोसिस हो सकता है। जिससे उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती करने की स्थिति आ सकती है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ऋषिकेश ने ऐसे मरीजों को शुगर लेवल के प्रति सतर्क रहने की सलाह दी है। फंगस (म्यूकर माइकोसिस) ग्रसित मरीजों की संख्या में अब भले ही कमी आने लगी हो, लेकिन शुगर पर नियंत्रण नहीं रखने से ऐसे मरीजों की दिक्कतें फिर से बढ़ सकती हैं।
एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि जिन व्यक्तियों को शुगर की समस्या है, उन्हें म्यूकर माइकोसिस का ज्यादा खतरा है। खासतौर से उन मरीजों को जिन्हें कोविड हुआ है, उन्हें अपने शुगर के प्रति बहुत गंभीरता बरतनी चाहिए। उनका कहना है कि न केवल म्यूकर माइकोसिस, कई अन्य गंभीर बीमारियां भी ब्लड शुगर बढ़ने से होती हैं। निदेशक एम्स प्रो. रवि कांत ने बताया कि यह कोई जरूरी नहीं कि जो लोग म्यूकर का उपचार करवाकर डिस्चार्ज हो रहे हैं, उनमें दोबारा म्यूकर नहीं हो सकता। यदि शरीर में शुगर की मात्रा बढ़ गई तो म्यूकर फंगस फिर से उन्हीं अंगों अथवा शरीर के अन्य अंगों को चपेट में ले सकता है और मरीज को फिर से अस्पताल में भर्ती करने की नौबत आ सकती है। लिहाजा ऐसे मरीजों के लिए अपना ब्लड शुगर नियंत्रित रखना बहुत जरूरी है।
170 मरीजों का चल रहा है इलाज
कोविड की दूसरी लहर के दौरान मई माह में म्यूकर माइकोसिस के मामले एकाएक बढ़ गए थे। तब से अभी तक एम्स ऋषिकेश में म्यूकर माइकोसिस के 348 रोगी आ चुके हैं। वर्तमान में यहां कुल 170 म्यूकर रोगियों का उपचार चल रहा है। इनमें से 108 म्यूकर मरीज एम्स अस्पताल में और 62 मरीज आइडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह रावत कोविड केयर सेंटर में उपचाराधीन हैं।
282 मरीजों की हो चुकी है सर्जरी
म्यूकर ट्रीटमेंट टीम के हेड और ईएनटी सर्जन डा. अमित त्यागी ने बताया कि म्यूकर माइकोसिस के रोगी को एम्फोटेरिसिन इंजेक्शन से इलाज के लिए सामान्य तौर पर न्यूनतम तीन से छह सप्ताह तक अस्पताल में भर्ती रहना पड़ता है। उन्होंने बताया कि एम्स में अब तक म्यूकर के 126 रोगियों की एंडोस्कोपिक सर्जरी, 92 रोगियों की तालुका तथा जबड़े से संबंधित मैक्सिलेक्टॉमी सर्जरी और 64 रोगियों की आंख की सर्जरी की जा चुकी है।
डा. त्यागी ने बताया कि जो मरीज आइडीपीएल स्थित राइफलमैन जसवंत सिंह कोविड केयर सेंटर में भर्ती किए जा रहे हैं, उन्हें भोजन एवं उपचार आदि की सुविधा निश्शुल्क उपलब्ध कराई जा रही है। उन्होंने बताया कि कोविड की दूसरी लहर के दौरान हम सभी को कई प्रकार के अनुभव प्राप्त हुए हैं। इन अनुभवों ने हमें सिखाया है कि म्यूकर माइकोसिस जैसी जानलेवा बीमारी से बचने के लिए शरीर में शुगर की मात्रा नियंत्रित रखना बेहद जरूरी है अन्यथा इस खतरनाक बीमारी से बचाव होना बहुत मुश्किल है।
यह भी पढ़ें:-कोरोना से उबरने के बाद रखें दिल का खास ख्याल
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।