अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश को प्लाज्मा थैरेपी की मिली अनुमति
उत्तराखंड में हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के बाद अब ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी कोरोना संक्रमितों को प्लाजमा थैरेपी की सुविधा मिल गई है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 25 Jul 2020 03:10 PM (IST)
ऋषिकेश, जेएनएन। उत्तराखंड में हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज के बाद अब ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी कोरोना संक्रमितों को प्लाजमा थैरेपी की सुविधा मिलेगी। केंद्रीय ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया ने एम्स ऋषिकेश को इसके लिए अनुमति जारी कर दी है। हल्द्वानी मेडिकल कॉलेज में प्लाज्मा थैरेपी की शुरुआत हो चुकी है। देहरादून मेडिकल कॉलेज को केंद्र से अनुमति का इंतजार है।
एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने शुक्रवार को बताया कि प्लाज्मा थैरेपी के लिए एम्स में सभी तरह की आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध है। डीसीजीआई दिल्ली से अनुमति प्राप्त हो गई है। अगले कुछ दिनों में प्लाजमा थैरेपी शुरू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि कोरोना को हराकर स्वस्थ हुए एम्स परिवार के छह सदस्य प्लाज्मा देने पर सहमत हुए हैं। यह भी पढ़ें: निजी अस्पतालों में भी होगा भर्ती कोरोना मरीजों का इलाज, सचिव स्वास्थ्य ने जारी किए निर्देश
प्लाज्मा दानदाता पूरी तरह सुरक्षितट्रांसफ्यूजन मेडिसिन एंड ब्लड बैंक विभागाध्यक्ष डा. गीता नेगी ने कहा कि एंटीबॉडी प्लाज्मा फेरेसिस नामक एक प्रक्रिया के जरिये एकत्र किए जाते हैं। इस प्रक्रिया में पहले से संक्रमित होकर स्वस्थ हुए व्यक्ति का पूरा रक्त प्लाज्मा तथा अन्य घटक अलग किया जाता है। प्लाज्मा (एंटीबॉडी युक्त) को कॉनवेल्सेंट प्लाज्मा के रूप में एकत्र किया जाता है और अन्य लाल रक्त कोशिकाएं, श्वेत रक्त कोशिकाएं और प्लेटलेट््स जैसे अन्य घटक प्रक्रिया के दौरान रक्तदाता में वापस आ जाते हैं। इस प्रक्रिया से प्लाज्मा दान करना पूरी तरह से सुरक्षित है। प्लाज्मा देने वाले के स्वास्थ्य पर इसका कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ता है।
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