Dehradun Air Pollution: तो इस कारण दमघोंटू हो रही दून की हवा, IIT के दो साल के रिसर्च के बाद सामने आई वजह
Dehradun Air Pollution दून की हवा हो रही है दमघोंटू जानिए क्या हैं इसके प्रमुख कारण। आईआईटी के दो साल के रिसर्च में सामने आई वजहें चौंकाने वाली हैं। वाहनों का धुआं सड़कों की धूल निर्माण कार्यों से उड़ने वाली धूल और कूड़ा जलाना दून के वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं। जानिए इस समस्या से निपटने के लिए क्या है एक्शन प्लान।
विजय जोशी, जागरण देहरादून । Dehradun Air Pollution: शांत और स्वच्छ वातावरण के लिए जाना जाने वाला दून भी अब महानगरों की राह पर है। बढ़ी आबादी के साथ अंधाधुंध निर्माण, वाहन और उद्योगों का विस्तार दून की आबोहवा बिगाड़ रहे हैं। अनियंत्रित विकास के साथ ही दून में हरियाली भी घट रही है। ऐसे में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। विभिन्न स्रोतों से निकलने वाले प्रदूषक कण अब ज्यादा समय तक हवा में तैरते रहते हैं।
खासकर ग्रीष्म और शीत के चरम पर होने के दौरान वायु प्रदूषण का स्तर भी शीर्ष पर पहुंच जाता है। भले ही केंद्र सरकार की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम के तहत दून में भी आबोहवा को दूषित होने से बचाने के प्रयास किए तो किए जा रहे हैं, फिलहाल ये नाकाफी साबित हो रहे हैं। दून में सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण वाहनों के धुएं और खुले में उड़ रही धूल-मिट्टी से ही होता है। कूड़ा जलाने और कोयला भी वायु प्रदूषण को बढ़ा रहे हैं।
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दून में दो वर्ष का अध्ययन किया गया
दरअसल, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय स्थित आइआइटी की ओर से दून में दो वर्ष का अध्ययन किया गया। इस दौरान गर्मियों और सर्दियों में शहर में उत्सर्जित प्रदूषक कारकों की रिपोर्ट तैयार की गई। साथ ही उनके प्रभाव और रोकथाम के उपाय भी सुझाए गए।
इस रिपोर्ट के आधार पर वायु प्रदूषकों को चिह्नित किया गया है, ऐसे में उनकी रोकथाम या प्रभाव कम करने के लिए अब नगर निगम, एमडीडीए, आरटीओ, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आदि विभागों को अपने-अपने स्तर पर कार्य करने हैं। रिपोर्ट में बताया गया है कि दून में रोजाना लगभग कितना वायु प्रदूषण होता है।
साथ ही यह किन-किन कारकों से हो रहा है। पीएम-2.5 और पीएम-10 की स्थिति भी बताई गई है। दून में यदि वाहनों के धुएं और सड़कों की धूल के साथ ही निर्माण कार्यों की धूल को कम कर दिया जाए तो शहर की आबोहवा काफी हद तक स्वस्थ हो जाएगी। लेकिन, विभागों और आमजन की लापरवाही के कारण बढ़ रहे वायु प्रदूषण ने दून की आबोहवा को दमघोंटू की राह पर बढ़ा दिया है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।पीएम-2.5 स्वास्थ्य के लिए ज्यादा घातक
पीएम-10 और पीएम-2.5 अलग-अलग उत्सर्जन स्रोतों से निकलते हैं और इनकी रासायनिक संरचना भी अलग होती है। गैसोलीन, तेल, डीजल ईंधन या लकड़ी के दहन से निकलने वाले उत्सर्जन से बनने वाले कण पदार्थ पीएम-2.5 की श्रेणी में आते हैं।वहीं, पीएम-10 में निर्माण स्थलों, लैंडफिल और कृषि, जंगल की आग और कूड़ा जलाने, औद्योगिक स्रोतों, खुले क्षेत्र व सड़कों से हवा में उड़ने वाली धूल, परागकण आदि शामिल होते हैं। 10 माइक्रोन या उससे कम व्यास वाले (पीएम10) प्रदूषण कण पदार्थ फेफड़ों में सांस के जरिये जा सकते हैं और स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकते हैं। हालांकि, पीएम-2.5 अधिक बारीक होने के कारण अधिक मात्रा में फेफड़ों तक पहुंच सकते हैं और घातक साबित हो सकते हैं। सल्फर डाइआक्साइड, नाइट्रोजन आक्साइड और कुछ कार्बनिक यौगिक, द्वितीयक अकार्बनिक आइरोसोल और काबर्न मोनो आक्साइड भी वायु प्रदूषण के प्रमुख कारक हैं।प्रदूषित वायु में ज्यादा समय तक रहने के गंभीर परिणाम
दून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अनुराग अग्रवाल के अनुसार, वायु प्रदूषण के संपर्क में आने से स्वास्थ्य पर कई प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकते हैं। पीएम-2.5 के अधिक समय तक संपर्क में रहने से हृदय व फेफड़ों से संबंधित बीमारियां हो सकती हैं। यह भी पढ़ें- हे भगवान! हरिद्वार में गंगाजल पीने योग्य नहीं, उत्तराखंड से बाहर निकलते ही मैली हो रही गंगाब्रोंकाइटिस, अस्थमा के दौरे, श्वसन संबंधी समस्याएं होने का खतरा रहता है। ये प्रतिकूल स्वास्थ्य प्रभाव मुख्य रूप से शिशुओं, बच्चों और पहले से हृदय या फेफड़ों की बीमारियों से जूझ रहे वयस्कों के लिए घातक होते हैं। पीएम-10 के अधिक संपर्क में रहने से भी मुख्य रूप से अस्थमा और क्रोनिक आब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) समेत अन्य श्वसन संबंधी समस्याएं बढ़ सकती हैं।गर्मियों में प्रदूषण के मुख्य कारक
पीएम-10- धूल-मिट्टी, 30 प्रतिशत
- वाहनों का धुआं, 15 प्रतिशत
- बायोमास बर्निंग, 10 प्रतिशत
- कोयला व फ्लाईएश, 10 प्रतिशत
- अन्य कारक, 35 प्रतिशत
- धूल-मिट्टी, 26 प्रतिशत
- वाहनों का धुआं, 20 प्रतिशत
- निर्माण कार्य, 13 प्रतिशत
- कोयला व फ्लाईएश, 08 प्रतिशत
- अन्य कारक, 33 प्रतिशत
सर्दियों में प्रदूषण के मुख्य कारक
पीएम-10- धूल-मिट्टी, 23 प्रतिशत
- वाहनों का धुआं, 16 प्रतिशत
- अकार्बनिक एरोसोल, 12 प्रतिशत
- बायोमास बर्निंग, 10 प्रतिशत
- कोयला व फ्लाईएश, 10 प्रतिशत
- अन्य कारक, 29 प्रतिशत
- वाहनों का धुआं, 19 प्रतिशत
- धूल एवं मिट्टी, 17 प्रतिशत
- अकार्बनिक एरोसोल, 14 प्रतिशत
- बायोमास बर्निंग, 10 प्रतिशत
- कोयला व फ्लाईएश, 10 प्रतिशत
- अन्य कारक, 30 प्रतिशत
हर रोज दून में निकल रही नौ लाख किलो से अधिक कार्बन मोनो आक्साइड
- कारक, पीएम-10, पीएम 2.5, नाइट्रोजन आक्साइड, कार्बन मोनोआक्साइड
- धूल-मिट्टी, 15482, 3534, 00, 00
- निर्माण कार्य, 2631, 605, 00, 00
- वाहन, 2033, 1830, 12923, 12923, 37789
- फारेस्ट फायर, 5327, 4518, 112, 51876
- अन्य मिलाकर कुल उत्सर्जन, 28008, 12659, 22269, 102425
कूड़ा जलाने से भी बढ़ रहा प्रदूषण
दून में कूड़ा जलाने की शिकायतें भी विभिन्न क्षेत्रों में आती रहती हैं। खासकर सर्दियों में कूड़ा जलाने के मामले बढ़ जाते हैं। कूड़ा लगाने से दून में रोजाना पीएम-10 लगभग 200 किलो, पीएम-2.5 135 किलो और 1026 किलो कार्बन मोनो आक्साइड उत्सर्जित होकर वायु प्रदूषण बढ़ाता है। कुल वायु प्रदूषण में कूड़ा जलाने से करीब आठ से 10 प्रतिशत प्रदूषण हो रहा है।प्रस्तावित एक्शन प्लान
- होटल/रेस्तरां: कोयले व लकड़ी जलाने पर पूर्ण प्रतिबंध
- घरेलू: खाना पकाने के लिए शत-प्रतिशत घरों में एलपीजी का प्रयोग सुनिश्चित किया जाए।
- कूड़ा जलाना: शहर में कूड़ा जलाने पर पूरी तरह रोक लगानी होगी। कूड़ा संग्रह और निपटान में सुधार कर लैंडफिल और अपशिष्ट से ऊर्जा संयंत्र में प्रयोग किया जाए।
- निर्माण कार्य: निर्माण स्थल को चारों ओर से बारीक कवर से लंबवत रूप से ढका जाए। निर्माण सामग्री की हैंडलिंग और भंडारण में सामग्री को पूरी तरह से ढका जाए।
- इमारत विध्वंस: आसपास पानी का छिड़काव करते हुए हवा अवरोधक लगाकर किसी निर्माण को ध्वस्त किया जाए।
- सड़कों की धूल-मिट्टी: प्रमुख सड़कों को सप्ताह में एक बार वैक्यूम स्वीपिंग मशीन से साफ किया जाए।
- पानी का छिड़काव: खुले क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थलों पर पानी का छिड़काव किया जाए और खाली स्थानों पर छोटी झाड़ियां, बारहमासी चारा, घास के आवरण लगाएं।
- वाहन: इलेक्ट्रिक/हाइब्रिड वाहनों की संख्या बढ़ाने और कुल वाहनों में 50 प्रतिशत करने का प्रयास किया जाए। नए आवासीय और वाणिज्यिक भवनों में चार्जिंग सुविधाएं अनिवार्य की जाएं। डीजल पार्टिकुलेट फिल्टर का रेट्रो फिटमेंट किया जाए। भारी वाहनों में बीएस-VI अनिवार्य किया जाए। सभी डीजल आधारित शहरी सार्वजनिक परिवहन को चरणबद्ध तरीके से समाप्त किया जाए।
शहर में बढ़ते वायु प्रदूषण पर किए गए अध्ययन की प्रारंभिक रिपोर्ट प्राप्त हुई है। जिसमें प्रदूषण की स्थिति के साथ ही उसे कम करने के लिए एक्शन प्लान का भी प्रस्ताव दिया गया है। इसके लिए विभिन्न विभागों को अपने-अपने स्तर पर कार्य करने होंगे। नगर निगम की ओर से राष्ट्रीय स्वच्छ वायु प्रोग्राम के तहत पहले ही विभिन्न योजनाओं पर कार्य किया जा रहा है। आगे भी कुछ नई पहल की जाएंगी। - गौरव भसीन, उप नगर आयुक्त