Air Pollution: देहरादून घाटी से धीरे-धीरे हटेगा फिजाओं में घुला जहर, दीवाली के बाद से हालत खराब
Air Pollution in Dehradun दून घाटी में दिवाली के बाद भी हवा में जहर घुला हुआ है। देहरादून का एक्यूआई लगातार सामान्य से कई गुना अधिक बना हुआ है। शहर के घनी आबादी क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। सांस के मरीजों को सावधान रहने की जरूरत है। दीपावली पर ध्वनि प्रदूषण भी चरम पर रहा।
जागरण संवाददाता, देहरादून। देहरादून में आतिशबाजी का शोर तो थम गया है, लेकिन दून की आबोहवा में घुला जहर अब भी बरकरार है। देहरादून का एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआइ) लगातार सामान्य से कई गुना अधिक बना हुआ है। खासकर शहर के घनी आबादी क्षेत्र में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है।
शहर की फिजा में घुले जहर को छंटने में अभी कुछ दिन और लग सकते हैं। वहीं, दून में दीपावली पर हवा के साथ ध्वनि प्रदूषण पर चरम पर पहुंचा रहा। यहां आवासीय से लेकर व्यावसायिक क्षेत्रों में शोर सामान्य से 20 डेसिबल अधिक रहा। जो कि नुकसानदायक की श्रेणी में आता है।
दून की हवा दीपावली से पहले ही खराब होने लगी थी। छोटी दीपावली पर भी दून का एक्यूआइ 200 के करीब पहुुंच गया था। जबकि, बीते गुरुवार को दीपावली के दिन दून का औसत एक्यूआइ 288 दर्ज किया गया। वहीं, इस दौरान दून विवि क्षेत्र में वायु प्रदूषण सर्वाधिक 333 एक्यूआइ तक भी पहुंचा। जिसे अत्यंत खराब माना जाता है।
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इसके बाद शुक्रवार को भी ज्यादातर क्षेत्रों में वायु प्रदूषण रहा और एक्यूआइ 200 से अधिक दर्ज किया गया। दून के घाटी में स्थित होने के कारण यहां हवा में फैले पीएम-2.5 के कण समेत अन्य नुकसानदायक गैसें वातावरण में तैरती रहती हैं। यहां प्रदूषण को छंटने में अधिक समय लगता है।
उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से भी दीपावली पर दून में घंटाघर, नेहरू कालोनी और दून विवि क्षेत्र में वायु प्रदूषण नापने के लिए यंत्र स्थापित किए गए थे। जहां दीपावली से एक सप्ताह पूर्व से एक्यूआइ रिकार्ड किया जा रहा है, जो कि दीपावली के एक सप्ताह तक जारी रहता है।
देहरादून में बीते पांच दिनों में हवा की गुणवत्ता
(एक्यूआइ 200 से अधिक होने पर स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब माना जाता है।)
सांस के मरीज मास्क जरूर पहनेंदून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अनुराग अग्रवाल ने सलाह दी है कि वायु प्रदूषण से सांस के रोगियों को काफी परेशानी हो सकती है। प्रदूषण अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकता है। प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई होती है, खासकर फिजिकल एक्टिविटी के दौरान।
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लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़े खराब हो सकते हैं। इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है, जिससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। दून की हवा अब भी खराब बनी हुई है, ऐसे में अगले कुछ दिन सांस के मरीज मास्क का प्रयोग अवश्य करें।
दीपावली पर आइएसबीटी क्षेत्र में सबसे ज्यादा शोरप्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से दीपावली के दौरान घंटाघर, नेहरू कालोनी और आइएसबीटी क्षेत्र में ध्वनि प्रदूषण मापने के यंत्र भी स्थापित किए गए। जिसमें दून के विभिन्न क्षेत्रों में शोर को दर्ज किया गया। इस दौरान सभी क्षेत्रों में मानक से 20 डेसिबल अधिक ध्वनि रिकार्ड की गई।आइएसबीटी क्षेत्र में शोर सर्वाधिक था। मानक के अनुसार आवासीय क्षेत्रों में ध्वनि दिन में 55 और रात को 45 डेसिबल से अधिक नहीं होना चाहिए। वहीं, व्यावसायिक क्षेत्रों में दिन में 65 और रात को 55 डेसिबल ध्वनि अधिकतम है।
दीपावली पर दून में ध्वनि प्रदूषण की स्थिति
(ध्वनि की रीडिंग डेसिबल में है और रात को अधिकतम दर्ज की गई है।)
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घंटाघर |
नेहरू कालोनी |
दून विवि |
दो नवंबर | 217 | 201 | 220 |
एक नवंबर | 269 | 215 | 260 |
31 अक्टूबर |
288 | 243 | 333 |
30 अक्टूबर | 180 | 131 | 165 |
29 अक्टूबर |
123 | 105 | 99 |
क्षेत्र | अधिकतम | न्यूनतम |
नेहरू कालोनी |
76 | 51 |
घंटाघर | 85 | 62 |
आइएसबीटी |
88 | 63 |