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Indian Military Academy: उत्तराखंड के आकाश राणा बने लेफ्टिनेंट, चार पीढ़ियां दे चुकी हैं सेना में सेवाएं; घर में खुशी का माहौल

Indian Army आइएमए की पासिंग आउट परेड में जमनीपुर तप्पड़ के आकाश राणा लेफ्टिनेंट बने। जिनकी देहरादून से पैरा रेजीमेंट में नियुक्ति हुई है। आकाश चौथी पीढ़ी के हैं जिनकी चार पीढ़ी सेना में रहकर सेवा दे चुकी हैं। उनके पिता हेमराज सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं। विधायक मुन्ना सिंह चौहान समेत अनेक लोगों ने उनके घर पर जाकर आकाश राणा उसके पिता हेमराज माता नीलम राणा को बधाईयां दी।

By rajesh panwar Edited By: Riya Pandey Updated: Sat, 08 Jun 2024 09:46 PM (IST)
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जमनीपुर तप्पड़ के आकाश राणा बने लेफ्टिनेंट

जागरण संवाददाता, विकासनगर। आइएमए की पासिंग आउट परेड में जमनीपुर तप्पड़ के आकाश राणा लेफ्टिनेंट बने। जिनकी देहरादून से पैरा रेजीमेंट में नियुक्ति हुई है। आकाश चौथी पीढ़ी के हैं, जिनकी चार पीढ़ी सेना में रहकर सेवा दे चुकी हैं। उनके पिता हेमराज सूबेदार पद से सेवानिवृत्त हैं।

विधायक मुन्ना सिंह चौहान समेत अनेक लोगों ने उनके घर पर जाकर आकाश राणा, उसके पिता हेमराज, माता नीलम राणा को बधाईयां दी।

आकाश राणा के नाम है ये उपलब्धियां

आकाश राणा के पास बीएससी, बीए और एमबीए की डिग्रियां होने के साथ ही पीजीडीएम (सैन्य अध्ययन) विशिष्टता के साथ है। दो बार राष्ट्रीय चैंपियन, आईएमए में मुक्केबाजी में स्वर्ण पदक और मेरिट कार्ड हासिल किया।

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आकाश के परदादा 1913 में सेना में हुए थे शामिल

आकाश के परदादा 1913 में सेना में शामिल हुए थे। आकाश सपनों को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और ईमानदारी में विश्वास रखते हैं। आकाश ने संदेश दिया कि आपके सपने छोटे हैं और उन्हें पूरा करने के लिए कभी भी लड़ना बंद न करें।

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खुद का ही नहीं, दोस्त का सपना भी किया पूरा

महाराष्ट्र के कोल्हापुर निवासी अनिकेत सहदेव कुंभार ने देश सेवा के संकल्प के साथ ‘पहला कदम’ बढ़ाया। उन्होंने कहा, यह पहला कदम उनके अकेले का नहीं, बल्कि उनके दोस्त प्रथम माले का भी है। इस पहले कदम के साथ स्वयं उनका और दोस्त प्रथम का सपना पूरा करने का सफर शुरू हो गया है।

अनिकेत ने बताया कि प्रथम से उनकी दोस्ती सैनिक स्कूल सतारा के समय से थी। दोनों ने ही सेना में अधिकारी बनकर देश सेवा का सपना देखते थे, लेकिन एनडीए की ट्रेनिंग के दौरान प्रथम का निधन हो गया। वह एक बाक्सिंग मैच में जख्मी हो गए थे।

इसके बाद अनिकेत ने प्रथम के सपने को भी अपना सपना बना लिया। शनिवार को वह लेफ्टिनेंट बन गए। इस दौरान प्रथम के पिता गौरव माले और मां शीतल माले भी मौजूद रहीं। उन्होंने कहा, हमनें भी सपना देखा था कि हमारा बेटा भी सेना में अफसर बने। इसके लिए उसने छोटी उम्र से ही मेहनत भी शुरू कर दी थी। लेकिन, ट्रेनिंग के दौरान प्रथम का निधन हो गया।

इस दौरान वह भावुक हो गए और बेटे को याद कर फफक पड़े। वहीं, लांसनायक के पद से सेवानिवृत्त अनिकेत के पिता सहदेव कुंभार ने कहा कि बेटे ने दोस्ती निभाने के साथ परिवार का नाम रोशन किया है। अनिकेत और प्रथम का सपना एक ही है। दोनों की जिम्मेदारी अब अनिकेत पर है।

पिता का साया उठा तो मां ने प्रशस्त की कामयाबी की राह

छोटी उम्र में ही पिता का साया उठ जाए तो बेटे के लिए मां ही सारा फर्ज निभाती है। मां का संघर्ष और त्याग ही बेटे के लिए कुछ कर गुजरने की प्रेरणा बन जाता है। देहरादून के अविनाश थापा ने भी मां के संघर्ष से ऐसा ही मुकाम हासिल किया है। अविनाश भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होकर सैन्य अफसर बन गए हैं। उनकी इस उपलब्धि का पूरा श्रेय उनकी मां सुनीता थापा को जाता है। पिता के निधन के बाद उन्होंने अविनाश की पढ़ाई-लिखाई में कोई कसर नहीं छोड़ी। बेटे की उच्च शिक्षा के लिए टिफिन सर्विस भी शुरू की।

आज बेटे की कामयाबी से उनका सिर फक्र से ऊंचा हो गया है। देहरादून के नंदा की चौकी क्षेत्र के रहने वाले अविनाश थापा के पिता भी सेना से सेवानिवृत्त थे। वर्ष 2010 में हृदय आघात के कारण उनका निधन हो गया था। तब अविनाश केवल 11 वर्ष के थे। उनकी मां सुनीता देवी ने बताया कि अविनाश ने प्रेमनगर स्थित दून प्रेसीडेंसी स्कूल से शिक्षा ग्रहण की। वह सेना में सिपाही भर्ती हो गए थे।

हालांकि, उनके सपने बड़े थे और मां से मिली मेहनत व संघर्ष की प्रेरणा ने उन्हें आगे बढ़ने की राह दिखाई। आर्मी कैडेट कोर की परीक्षा उत्तीर्ण कर अविनाश को भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश मिला। प्रशिक्षण पूरा कर आज वह सैन्य अधिकारी बनकर सेना में शामिल हो गए हैं।

मां के आशीष से सेना में अफसर बने गोपेश्वर के आशीष

चमोली जिले के गोपेश्वर के रहने वाले आशीष बिष्ट ने अपने परिवार और क्षेत्र को गौरवान्वित किया है। भारतीय सैन्य अकादमी से पासआउट होकर आशीष सेना में अफसर बन गए हैं। मां के आशीर्वाद और आगे बढ़ने की प्रेरणा से उन्होंने कड़ी मेहनत कर यह मुकाम हासिल किया है। आशीष जब सिर्फ छह वर्ष के थे जब उनके पिता बलिदान हो गए थे। बलिदानी पिता की तस्वीर देख उनके जैसा बनने की ठान ली।

आशीष की माता अनीता बिष्ट ने बताया कि आशीष के पिता मोहन सिंह बिष्ट सातवीं गढ़वाल राइफल में हवलदार थे। वर्ष 2007 में कुपवाड़ा से लैंसडौन आते वक्त दुर्घटना में उनकी जान चली गई। उन पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। उन्होंने आशीष की परवरिश में कोई कसर नहीं छोड़ी।

अच्छी स्कूली शिक्षा के लिए उन्होंने आशीष को देहरादून रखा और एसजीआरआर वसंत विहार से उनकी स्कूलिंग हुई। इसके बाद आशीष सेना में भर्ती हो गए और आर्मी कैडेट कोर की परीक्षा उत्तीर्ण कर भारतीय सैन्य अकादमी में प्रवेश मिला। अब आशीष अफसर बन गए हैं। उन्हें 16वीं डोगरा रेजीमेंट में कमीशन किया गया है।