परिषद की पृष्ठभूमि और तेजतर्रार छवि ने आसान की धामी की राह, इस वजह से प्रतिद्वंदियों पर पड़े भारी
कोरोना का भीषण संकटकाल और 2022 में विधानसभा का चुनाव भाजपा ने प्रदेश में मुंहबाए खड़ी इन चुनौतियों से निपटने के लिए नए मुख्यमंत्री के रूप में युवा और तेजतर्रार छवि के पुष्कर सिंह धामी पर दांव खेलना बेहतर समझा।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 04 Jul 2021 10:01 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। कोरोना का भीषण संकटकाल और 2022 में विधानसभा का चुनाव, भाजपा ने प्रदेश में मुंहबाए खड़ी इन चुनौतियों से निपटने के लिए नए मुख्यमंत्री के रूप में युवा और तेजतर्रार छवि के पुष्कर सिंह धामी पर दांव खेलना बेहतर समझा। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की पृष्ठभूमि के साथ ही क्षेत्रीय और जातीय संतुलन साधने के गणित में भी धामी पार्टी के भीतर अपने प्रतिद्वंद्वियों पर भारी पड़े।
कुमाऊं की सियासत पर मजबूत पकड़ रखने वाले उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से नजदीकी को भी धामी की नई भूमिका तय कराने में अहम माना जा रहा है। प्रदेश में 57 विधायकों का प्रचंड बहुमत पा चुकी भाजपा अब सरकार के नेतृत्व की आजमाइश के मामले में हर दांव खुलकर खेल रही है। सबसे युवा विधायकों में शामिल पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री बनाकर भाजपा ने तो चौंकाया ही, धामी ने भी युवा नेतृत्व पर विश्वास जगाने में कसर नहीं छोड़ी।
2017 में पहले त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार और फिर 2021 में करीब चार महीने पहले बनी तीरथ सिंह रावत सरकार में मंत्री बनने की दौड़ में पीछे छूट गए धामी अब मुख्यमंत्री की दौड़ में पिछली दोनों सरकारों में मंत्रियों और अन्य विधायकों से बाजी मार ले गए।
क्षेत्रीय व जातीय समीकरणों को तवज्जो चुनावी साल में दूसरी बार नेतृत्व परिवर्तन कर भाजपा ने यह साफ कर दिया है कि उसकी नजर अगले चुनाव पर टिकी है। इसे ध्यान में रखकर ही पार्टी ने दोबारा नए मुख्यमंत्री चुनने का कदम उठाया। हालांकि, बीती 10 मार्च को किया गया भाजपा का प्रयोग ज्यादा लंबा नहीं चल सका। चुनावी साल में दूसरी दफा नेतृत्व परिवर्तन के नाजुक मोड़ पर धामी यदि पार्टी हाईकमान का विश्वास जीतने में सफल रहे तो इसके पीछे क्षेत्रीय व जातीय संतुलन का वह समीकरण भी है, जिसे चुनावी जीत को ध्यान में रखकर साधा गया। वर्तमान में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ब्राह्मण और गढ़वाल मंडल से हैं। ऐसे में कुमाऊं मंडल से ठाकुर चेहरे के तौर पर धामी को आगे किया गया है। कोश्यारी से करीबी आई काम
धामी ऊधमसिंह नगर के तराई सीट खटीमा से दूसरी बार विधायक बने हैं, जबकि मूल रूप से वह पिथौरागढ़ जिले से आते हैं। साफ है कि सिर्फ कुमाऊं ही नहीं, ऊधमसिंहनगर जिले की तराई की सीटों को लेकर बनने वाले समीकरणों में बतौर मुख्यमंत्री धामी अहम भूमिका में दिखाई देंगे। बताया जा रहा है कि पूर्व मुख्यमंत्री व महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी उन्हें नई जिम्मेदारी सौंपने के पक्ष में रहे।
पूर्व सैनिक पुत्र हैं धामी पार्टी ने उनके माध्यम से पूर्व सैनिकों को साधने का दांव भी चला है। बतौर पर्यवेक्षक उत्तराखंड पहुंचे केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर धामी के चेहरे को आगे करते हुए उनके पूर्व सैनिक पुत्र होने का जिक्र करना नहीं भूले।यह भी पढ़ें- Uttarakhand Politics: विधायक दल के नेता के लिए दिन भर मंथन, महज 20 मिनट में लगी मुहर
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