Move to Jagran APP

शिक्षण संस्‍थानों के हॉस्‍टलों में परोसा जा रहा है हर तरह का नशा

देहरादून में निजी शिक्षण संस्थानों में तेजी से बेतहाशा वृद्धि हुई। रईसजादों के लिए ऐशगाह बने हॉस्टलों में हर तरह का नशा परोसा जा रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 12 Feb 2019 08:58 PM (IST)
Hero Image
शिक्षण संस्‍थानों के हॉस्‍टलों में परोसा जा रहा है हर तरह का नशा
देहरादून, जेएनएन। हॉस्टल या 'मौज मस्ती' के अड्डे। दून में रईसजादों के लिए ऐशगाह बने हॉस्टलों में हर तरह का नशा परोसा जा रहा है। शायद ही पुलिस-प्रशासन और हॉस्टल संचालक इस बात से बेखबर हों लेकिन कार्रवाई की जहमत कोई नहीं उठा रहा। इन जिम्मेदार महकमों की लापरवाही की ही इंतेहा है कि राजधानी में न सिर्फ सैकड़ों अवैध हॉस्टल संचालित हो रहे हैं, बल्कि इनमें रहने वाले लोगों के बारे में पूछताछ करने वाला तक कोई नहीं है।

राजधानी बनने के बाद देहरादून में निजी शिक्षण संस्थानों में तेजी से बेतहाशा वृद्धि हुई। मौजूदा स्थिति यह है कि राजधानी का शायद ही कोई कोना बचा हो जहां शिक्षण संस्थान ना हों। जाहिर बात है जहां शिक्षण संस्थान खुलेंगे और हजारों छात्र दाखिला लेंगे तो वहां आवास की जरूरत भी होगी। दून में भी कुछ ऐसा ही हुआ। एक के बाद एक शिक्षण संस्थानों के आसपास बने घर हॉस्टलों में तब्दील हो गए। जिन लोगों ने नए निर्माण कराए, उन्होंने भी नक्शा पास कराने की जहमत नहीं उठाई।

नतीजा शहर में अवैध हॉस्टलों की बाढ़। हॉस्टल वालों को भी किराए में मोटी रकम मिलने लगी तो वे भी बेफिक्र होते चले गए। पुलिस के किराएदारों के वेरिफिकेशन का हल्ला पीटने के बावजूद इक्का-दुक्का को छोड़ अधिक संख्या ऐसे हॉस्टल संचालकों की है, जो पुलिस वेरिफिकेशन की जहमत नहीं उठाते। नतीजा सबके सामने है। गाहे-बगाहे शहर में हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों की करतूतें सामने आती रहती हैं। 

बात नशे की करें तो पुलिस के आंकड़े गवाह हैं कि जब कभी हॉस्टलों में चेकिंग की गई, वहां शराब, बीयर, सिगरेट, गांजा, चरस सबकुछ मिला। हालांकि, छात्र होने की वजह से पुलिस ने आरोपियों पर कभी कानूनी कार्रवाई नहीं की और चेतावनी देते हुए उन्हें छोड़ दिया गया। साल-2013 में पुलिस ने हॉस्टलों में चेकिंग अभियान भी चलाया था और इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले थे लेकिन अब हालत फिर जस के तस बन गए हैं। हॉस्टल व शिक्षण संस्थानों में हर तरह का नशा पहुंच रहा है और पुलिस तमाशबीन बनी हुई है। पुलिस हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों पर शिकंजा ही नहीं कस पा रही। वेरिफिकेशन के नाम पर कुछ दिन तक तो कार्रवाई का खेल चलता है लेकिन कुछ ही दिनों बाद कार्रवाई करने वाले ना जाने कहां गुम हो जाते हैं। मामले में प्रशासन और एमडीडीए की भूमिका भी सवालों के दायरे में है। बता दें कि शहर में सैकड़ों अवैध हॉस्टल चल रहे हैं, मगर इनकी तरफ शायद ही कभी झांका जाता हो। 

हर तरह की अय्याशी

हॉस्टलों में हर तरह की अय्याशी की बात सामने आती रही हैं। चाहे नशा हो या देह-व्यापार, अश्लील हरकतें। हुड़दंग या छेड़छाड़ तो आम घटना है। जहां हॉस्टल हैं, वहां नशे में मदहोश छात्र रात-रातभर बाहर घूमते रहते हैं और उनकी हरकतों से स्थानीय युवतियों व महिलाओं का घर से निकलना मुसीबत बना हुआ है। हॉस्टल में ज्यादातर छात्र बाहर के राज्य या शहरों से आए हुए हैं और समूह में रहते हैं। ऐसे में विरोध करने पर यह मारपीट व दबंगई पर उतारू हो जाते हैं। 

कहां-कहां फैला है जाल

अवैध हॉस्टलों का जाल प्रेमनगर व इसके आसपास ठाकुरपुर, श्यामपुर गांव, उम्मेदपुर, सुद्धोवाला, क्लेमनटाउन क्षेत्र में मोहब्बेवाला, सुभाषनगर, टर्नर रोड, नेहरू कालोनी में हरिद्वार बाइपास, केदारपुरम, डिफेंस कालोनी, धर्मपुर, राजपुर, जाखन, दून विहार, मसूरी रोड, डालनवाला, कैंट क्षेत्र, वसंत विहार, पटेलनगर, देहराखास, बंजारावाला आदि इलाकों में फैला हुआ है। जिससे स्थानीय लोग भी त्रस्त हैं।

बोले अधिकारी

एसएसपी निवेदिता कुकरेती का कहना है कि ऐसा नहीं है कि कार्रवाई नहीं की जा रही, लेकिन जिस तेजी से हॉस्टलों व छात्रों की संख्या बढ़ रही है। इससे पुलिस को भी परेशानी आती हैं। कोशिश रहती है कि सभी का सत्यापन कराया जाए।

नशा नहीं कॅरियर चुनें युवा

जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन का कहना है कि युवा पढ़ने और खेलने की उम्र में नशे से दूर रहें। यह उम्र ऐसी होती है, जिसमें युवा आसानी से गलत संगत में आ जाते हैं। ऐसे में युवा अपने कॅरियर पर ध्यान दें। नशा छोड़ अपनी ऊर्जा को सकारात्मक कार्य में लगाएं। नशे का सेवन करने से युवाओं की जिंदगी बर्बाद हो रही है। इससे कई परिवार बर्बादी की कगार पर पहुंच गए हैं। मेरी युवाओं से अपील है कि वह नशे की तरफ न जाएं। अभिभावक और शिक्षक बच्चों की गलत संगत और गलत कामों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। बशर्ते युवाओं की हर गतिविधियों पर नजर रखें। युवाओं के बदलते व्यवहार और चेहरे के हाव-भाव को भी भांप सकते है। इससे काफी हद तक हंसती-खेलती जिंदगी बर्बाद होने से बच सकती है। आज के दौर में जरूरी है कि अपनी ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में लगाया जाए। युवाओं को कई बार गलत चीजें उन्हें अपनी ओर खींचती हैं, मगर दृढ़ इच्छाशक्ति के दम पर इनसे पार पाया जा सकता है। पुलिस को इसके लिए विशेष अभियान चलाने होंगे। ताकि नशा तस्करों के खिलाफ सख्ती से कार्रवाई हो सके। 

छोटी उम्र में ड्रग्स के दलदल में फंसते हैं बच्चे

जागरण संवाददाता, देहरादून: किशोरावस्था सबसे महत्वपूर्ण होती है। यही आयु वर्ग है, जिसमें बच्चे भटककर नशे की राह पकड़ने लगते हैं। इस आयु में बच्चों के मस्तिष्क का विकास तो होता है, लेकिन उनमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं होती। उन्हें लगता है कि उनका गलत निर्णय भी सही है। यही वजह है कि नशा तस्कर इस आयु वर्ग के बच्चों को आसानी से नशे की ओर धकेल देते हैं। दैनिक जागरण की ओर से 'डायल अगेंस्ट ड्रग्स' अभियान के तहत हुई जागरूकता कार्यशाला में न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डॉ. शोभित गर्ग ने छात्र-छात्राओं को कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियां दीं।

सोमवार को प्रीतम रोड स्थित दून इंटरनेशनल स्कूल में आयोजित कार्यशाला में डॉ. शोभित गर्ग ने स्कूली बच्चों को नशे के दुष्प्रभाव बताए और इससे दूर रहने को जागरूक किया। डॉ. गर्ग ने बताया कि नशा स्वास्थ्य एवं मानसिक रूप से कमजोर करता है। एल्कोहल हो या फिर ड्रग्स के रूप में सूखा नशा। इसका सेवन करना जान को खतरे में डालने जैसा है। कहा कि ड्रग्स से मनुष्य के मस्तिष्क के आकार में परिवर्तन आने लगता है। इसी वजह से सोचने की क्षमता भी प्रभावित होने लगती है। उन्होंने युवाओं में पनप रही नशा प्रवृत्ति के बारे में कहा कि आज बच्चे दूसरों की आदतों से ज्यादा आकर्षित होने लगते हैं।

दोस्त या अन्य किसी बड़े को नशा करते हुए देखकर वह भी अनुभव करने की सोचने लगते हैं। नासमझी में एक बार अनुभव करने के बाद 90 फीसद बच्चे नशे को नियमित रूप से अपनाने को मजबूर होते हैं। बताया कि नशे से डिप्रेशन, घबराहट, कंपन, एचआइवी इंफेक्शन जैसे कई रोग उत्पन्न होते हैं। कंसल्टेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. प्रीति मिश्रा ने भी कई रोचक तथ्य पेश किए। इस अवसर पर स्कूल के वाइस प्रिंसिपल दिनेश बड़थ्वाल ने दैनिक जागरण की सामाजिक जागरूकता की दिशा में इस अनोखी पहल की सराहना की।

यह भी पढ़ें: सेहत और कॅरियर का दुश्मन है नशा, पढ़िए पूरी खबर

यह भी पढ़ें: झुग्गी झोपड़ि‍यों में सजती है नशे की मंडी, पुलिस बनी रहती अनजान

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।