उत्तराखंड के सभी निजी स्कूलों को रखने होंगे विशेष शिक्षक, पालन न करने पर मान्यता की जाएगी रद
प्रदेश में कक्षा एक से 10 वीं और 12 वीं तक संचालित होने वाले सभी निजी स्कूलों को अब विशेष शिक्षक अनिवार्य रूप से रखने होंगे।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 13 Sep 2020 07:26 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में कक्षा एक से 10 वीं और 12 वीं तक संचालित होने वाले सभी निजी स्कूलों को अब विशेष शिक्षक अनिवार्य रूप से रखने होंगे। दिव्यांग छात्रों को सभी स्कूलों में दाखिला देने और उन्हें पढ़ाई का बेहतर माहौल मिल सके, इसको लेकर बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने सीबीएसई, सीआइएससीई बोर्ड को निर्देश दिए हैं। साथ ही उन्होंने कहा है कि पालन न करने वाले संबंधित स्कूल की मान्यता रद की जाए।
दरअसल, अबतक अधिकांश निजी स्कूल विशेष शिक्षक न होने का बहाना बनाकर दिव्यांग छात्र को दाखिला नहीं देते थे। ऐसे में अभिभावक और छात्रों के सामने परेशानी बढ़ती गई। मार्च में कुछ अभिभावकों ने इसकी शिकायत आयोग से भी की। पूरी पड़ताल करने के बाद आयोग ने इस मामले में स्कूलों के प्रति नाराजगी जताई। आयोग ने सुप्रीम और हाईकोर्ट के आदेश की कॉपी संलग्न के साथ ही बोर्ड को निर्देश दिए हैं कि सभी स्कूलों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से शुरू किया जाए।
आयोग की अध्यक्ष उषा नेगी ने कहा कि विशेष शिक्षक होने की दशा में कोई भी स्कूल दाखिला के लिए मना नहीं कर सकेगा। अगर कोई स्कूल इसका पालन नहीं करता तो है, तो संबंधित बोर्ड उसकी मान्यता रद करेगा। उन्होंने बताया कि सीबीएसई ने इस बारे में कार्रवाई शुरू कर दी है।
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विद्यालयी शिक्षा महानिदेशक आर मीनाक्षी सुंदरम ने भी इस विषय का समर्थन कर कहा है कि फिलहाल रमसा का प्रोजेक्ट चल रहा है, स्कूलों में विशेष शिक्षकों की नियुक्ति जल्द करने के निर्देश दिए जाएंगे। आयोग की अध्यक्ष ने बताया कि इसके साथ ही शिक्षा सचिव को पत्र लिखकर दिव्यांग बच्चों को पैरालंपिक में बढ़ावा देने के लिए ब्लाइंड क्रिकेट, ट्राइसाकिल रेस आदि प्रतियोगिता कराने को कहा है।
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