आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने आत्मदाह की दी चेतावनी, निदेशालय का किया घेराव
आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के आंदोलन ने उग्र रुप ले लिया। उन्होंने महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग के निदेशालय का घेराव किया। साथ ही आत्मदाह की चेतावनी भी दी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 30 Jan 2020 06:57 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। पिछले 20 दिनों से धरना स्थल पर बेमियादी अनशन पर बैठी आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों के आंदोलन ने उग्र रुप ले लिया। इस दौरान हजार के करीब आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां नंदा की चौकी स्थित महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग के निदेशालय का घेराव करने पहुंची।
कार्यकत्रियां सुबह साढ़े 11 बजे निदेशालय पहुंची, जहां उन्होंने राज्यमंत्री रेखा आर्य और राज्य व केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। आंगनबाड़ी संगठन की प्रदेश अध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा कि जब तक विभाग आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को भेजे गए नोटिस वापस नहीं लेता तो वह निदेशालय के बाहर ही आत्मदाह कर देंगी। अगर विभाग नोटिस वापस लेने की हिम्मत नहीं रखता तो सब की सब कार्यकत्रियों को इकट्ठे बर्खास्त करने का दम दिखाए। उन्होंने इस मौके पर अधिकारियों को युवाओं की ओर से रात को धमकाने की बात भी बताई। बता दें कि विभाग की ओर से आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को देर शाम तक का समय दिया गया है। यदि वह शुक्रवार को काम पर वापस नहीं लौटती तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
अधिकारियों की निवेदन पर उग्र हुई कार्यकर्ता आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों की ओर से कार्यालय के सभी दरवाजे बंद करने पर उपनिदेशक एसके सिंह और उपनिदेशक सुजाता कार्यकत्रियों से बात करके समाधान निकालने कार्यकत्रियों से मिलने पहुंची, लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां शांत नहीं हुई और दोनों अधिकारियों को सवालों से घेर लिया। इसके बाद जब निदेशक झरना कमठान उनके धरना खत्म करने की निवेदन करने पहुंची, तो उन्होंने मांगे पूरी न होने पर निदेशालय के बाहर आत्मदाह करने की बात की। इसे निदेशक वापस अपने कक्ष में लौट गईं। बता दें कि घेराव के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां राज्यमंत्री रेखा आर्य से काफी नाराज दिखीं। कार्यकत्रियों के अनुसार 40 करोड़ के बजट में सरकार के पास कुछ भी नहीं। जो घंटो काम करके उत्तराखंड की महिलाओं और बच्चों को सुविधाएं दे रही है, उनकी तुलना जेएनयू के उग्र स्टूडेंट्स के साथ की जा रही है। ऐसी सरकार उनका क्या भला करेगी।
डीपीओ से निराशा मिलने पर रोका रास्तानिदेशक के जवाब से नाखुश कार्यकत्रियां जिला प्रोग्राम अधिकारी अखिलेश मिश्रा से मिलने उनके कार्यालय पहुंची। इस दौरान उन्होंने कार्यकत्रियों को भेजे गए नोटिस वापस लेने की अपील की। जिसके जवाब में अखिलेश मिश्रा ने उनके काम पर लौटते ही नोटिस वापिस लेने की बात कही। लेकिन आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों ने एक नहीं मानी और निदेशालय के मुख्य द्वार पर रास्ता रोक कर बैठ गई। जिसके बाद संगठन का प्रतिनिधिमंडल अधिकारियों से मिला, लेकिन कोई सकारात्मक जवाब न मिलने पर सभी कार्यकत्रियां वापस धरना स्थल पहुंच गई।
बोले अधिकारी
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- झरना कामठान (निदेशक, महिला सशक्तिकरण एंव बाल विकास विभाग) का कहना है कि इनकी अन्य मांगों पर विचार किया जा सकता है। लेकिन 18 हजार मानदेय वाली मांग हमारे हाथ में नहीं। यह केंद्र सरकार का फैसला है। यदि कार्यकत्रियां वापिस काम पर नहीं लौटती तो मजबूरन क्षेत्रीय परियोजना अधिकारियों को शासनादेश का पालन करते हुए कार्रवाई करनी पड़ेगी।
- सुनीता भट्ट (रूद्रप्रयाग) का कहना है कि आंगनबाड़ी कार्यकत्रियां अपने हक के लिए मांग कर रही है। अगर उनके काम और उनको सम्मान नहीं दिया जा सकता तो कम से कम उनका अपमान भी न किया जाए।
- संध्या (सहसपुर, देहरादून) का कहना है कि हमेशा मेहनत से काम किया। जिसके लिए उन्हें प्रोत्साहन भत्ता भी दिया गया। लेकिन इतने कम मानदेय में परिवार चलाना आसान नहीं। ऐसे में अपने हक के लिए कार्यकत्रियां आंदोलन कर रही है तो उन्हें सीडीपीओ और डीपीओ द्वारा चस्पा चिपकाने के नाम से धमकाया जा रहा है।
- सुनीता (रुद्रप्रयाग) का कहना है कि सेवा समाप्ती का पत्र मिलने से कर्ई सारी कार्यकत्रियां परेशान है। ऐसे में कई कार्यकत्रियों की पारिवारिक स्थिति बहुत दयनीय है। ऐसे में अगर किसी के साथ कोई हादसा हो जाता है तो उसका जिम्मेदार विभाग होगा।
- उषा शाह (विकासनगर, देहरादून) का कहना है कि रेखा आर्य मैडम ने तीन घंटे की बात कही है। जबकि कार्यकत्रियां सात घंटे काम करती है। इसके लिए उन्हें सबसे माफी मांगनी चाहिए।
- बसंती रावत (पौड़ी) का कहना है कि पौड़ी में 17 कार्यकर्ताओं और 17 सहायिकाओं को काम से हटाने के नोटिस मिले है। सब परेशान है और किसी भी क्षण कोई भी कदम उठा सकती हैं।