लैंडलाइन की जगह दिए आइफोन और मैकबुक, अब नहीं उनका पता; जानिए पूरा मामला
वन विकास निगम घोटालों का गढ़ बनता जा रहा है। जिस अध्यक्ष के लिए सिर्फ दो लैंडलाइन फोन अनुमन्य थे उन्हें दो लाख एक हजार के दो आइफोन थमा दिए गए। जिनका अब पता नहीं।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 10 Jun 2019 08:45 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। उत्तराखंड वन विकास निगम घोटालों का गढ़ बनता जा रहा है। जिस अध्यक्ष के लिए सिर्फ दो लैंडलाइन फोन (कार्यालय और आवास में एक-एक) अनुमन्य थे, उन्हें दो लाख एक हजार रुपये के दो आइफोन थमा दिए गए। इसके साथ ही 3.99 लाख रुपये की दो मैकबुक भी थमा दी गईं। इस तरह करीब 14 लाख रुपये के साजो-सामान का प्रबंध अध्यक्ष के लिए किया गया। अब अध्यक्ष बदले तो यह कोई नहीं जानता कि दिया गया सामान कहां है। इस बात की स्वीकारोक्ति स्वयं वन विकास निगम ने सूचना आयोग में की है।
वन विकास निगम के पूर्व अध्यक्ष हरीश धामी का कार्यकाल वर्ष 2017 में समाप्त हो गया था। उस अवधि में अध्यक्ष को कितना सामान दिया गया, इसको लेकर आरटीआइ क्लब के महासचिव एएस धुन्ता ने आरटीआइ में जानकारी मांगी थी। इसमें उन्हें सामान की सूची तो मिल गई, मगर यह पता नहीं चल पाया कि कार्यकाल समाप्त होने से पहले उन्होंने कितना सामान लौटाया और अब वह सामान कहां है।प्रकरण जब सूचना आयोग पहुंचा तो सामान की खरीद करने वाले वन विकास निगम ने बेहद अटपटा जवाब दे डाला। लोक सूचनाधिकारी के रूप में नियोजन एवं मूल्यांकन अधिकारी ने बताया कि सामान सीधे तत्कालीन अध्यक्ष के आवास पर पहुंचा था, लिहाजा उसकी प्राप्ति की रसीद भी निगम के पास नहीं है। इस जवाब को बेहद अटपटा मानते हुए मुख्य सूचना आयुक्त शत्रुघ्न सिंह ने सभी सामान की अपडेट सूची तैयार करने के आदेश जारी किए हैं।
खरीदे गए कुछ प्रमुख सामान का ब्योरा (रु. में) नवंबर 2016, दो मैकबुक (3.99 लाख)
दिसंबर 2016, दो आइफोन (2.01 लाख) नवंबर 2016, कंप्यूटर (49.05 हजार)
जुलाई 2016, अलमारी (47.67 हजार) मई 2016, फ्रिज (30.015 हजार)
जून 2015, फ्रिज (37.5 हजार) अगस्त 2015, दो मोबाइल (63 हजार)
अगस्त 2015, पांच डेस्कटॉप (49.9 हजार) धामी बोले, सामान लौटाने की है एनओसी
वन निगम के पूर्व अध्यक्ष और धारचूला सीट से विधायक रहे हरीश धामी का कहना है कि उन्होंने पूरा सामान लौटा दिया है। उनके पास अब निगम की कोई भी संपत्ति नहीं है। चुनाव लड़ने के लिए निगम की एनओसी जरूरी थी और सामान लौटाने पर निगम ने उन्हें एनओसी भी जारी कर दी थी। वन विकास निगम के प्रबंध निदेशक मोनिष मलिक ने बताया कि यह मामला बेहद गंभीर है। क्योंकि हमारे अधिकारी कह रहे हैं कि सामान उनके पास नहीं और पूर्व अध्यक्ष सामान लौटाने की एनओसी दिखा रहे हैं। ऐसा संभव नहीं है कि वन निगम ने सामान खरीदा और अब उसका विवरण न हो। मामले की जांच कराई जाएगी और दोषी कार्मिकों के खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
इन घपलों में पहले ही घिरा वन निगम - करोड़ों रुपये का टीडीएस घोटाला। - 50 लाख का सामान कौडिय़ों के भाव कुछ हजार रुपये में नीलाम करना। - पेट्रोल-डीजल घोटाला। - जलपान और बैठकों के नाम पर खाद्य सामग्री की खरीद में लाखों रुपये की अनियमितता। यह भी पढ़ें: तेल घोटाला: खड़ा वाहन पी गया 160 लीटर डीजल, ऐसे खुला मामलायह भी पढ़ें: विश्व पर्यावरण दिवस: जहरीली हवा में घुट रहा दूनघाटी का दमयह भी पढ़ें: गंगा के धाम गंगोत्री से ही कचरा ढो रही गंगा, नहीं है प्रबंधन की व्यवस्थालोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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