वर्ष 1917 में अर्जेंटीना ने दी दुनिया की पहली एनिमेटेड फिल्म, जानिए
दुनिया की पहली एनिमेटेड फिल्म का निर्माण भी अर्जेंटीना के नागरिक ने ही किया था। 70 मिनट की यह फिल्म वर्ष 1917 में कुइरिनो क्रिस्टियनी ने बनाई थी।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 30 Aug 2019 07:20 AM (IST)
देहरादून, दिनेश कुकरेती। दक्षिण अमेरिकी देश अर्जेंटीना भी भारत की तरह ही विविधताओं वाला देश है। यहां सिनेमा के प्रति भी लोगों की वैसी ही दीवानगी है, जैसे कि भारत में। महत्वपूर्ण यह कि दुनिया की पहली एनिमेटेड फिल्म का निर्माण भी अर्जेंटीना के नागरिक ने ही किया था। 70 मिनट की यह फिल्म वर्ष 1917 में कुइरिनो क्रिस्टियनी ने बनाई थी। फिल्म का टाइटल था 'एल एलोस्टोल', जिसमें कुल 58 हजार फ्रेम थे। हालांकि, आज इसकी कोई प्रति मौजूद नहीं है।
अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनस आयर्स में फिल्म निर्माण की शुरुआत वर्ष 1898 में हुई। 1930 के दशक तक अर्जेंटीना फिल्म उद्योग प्रतिवर्ष 30 फिल्मों का उत्पादन करने लगा था, जिन्हें सभी लैटिन अमेरिकी देशों में निर्यात किया जाता था। 1930 के दशक की शुरुआत में टैंगो गायक कार्लोस गार्डेल ने कई ऐसी फिल्मों का निर्माण किया, जिन्होंने उन्हें अंतरराष्ट्रीय फलक पर विशिष्ट पहचान दिलाई। वर्ष 1935 में कार्लोस की मृत्यु हो गई। बीसवीं सदी के उत्तराद्र्ध तक अर्जेंटीना सिनेमा बूम और बस्ट (उत्थान-पतन) के कई दौर से गुजर चुका था। इसकी वजह बनी देश की राजनीतिक और आर्थिक अस्थिरता, जिससे अस्थायी रूप से कई फिल्म स्टूडियो बंद हो गए। लेकिन, फिर ऐसा दौर भी आया, जब अर्जेंटीना फिल्म उद्योग ने कई अविश्वसनीय प्रस्तुतियां दीं। इनमें एल सेक्रेटो डे सुस ओजोस (द सीक्रेट इन देयर आइज), ला हिस्टोरिया ऑफिसल (द ऑफीसियल स्टोरी), नुएवा रेनास (नाइन क्वीन), एल क्लान (द क्लान), एविता, केरांचो, रेलेटोस सेल्वाजेस (वाइल्ड टेल्स) जैसी फिल्में प्रमुख हैं, जिन्होंने लोगों को संस्कृति एवं मनोविज्ञान के प्रति एक अलग तरह की अंतर्दृष्टि प्रदान की।
वर्तमान में अर्जेंटीना का सिनेमा पुनर्जागरण से दौर से गुजर रहा है और वहां सिनेमा में नए-नए प्रयोग किए जा रहे हैं। विदित हो कि 'रजनीगंधा' के सहयोग से आयोजित 'जागरण फिल्म फेस्टिवल' में इस बार अर्जेंटीना कंट्री फोकस पार्टनर की भूमिका में है, इसलिए फेस्टिवल में अर्जेंटीना की फिल्मों को विशेष स्थान दिया गया है। इसके तहत दून में कार्लोस जुरैगुएल्जो व मार्सेला सिल्वा वाई स्यूट निर्देशित फिल्म 'द आयरिश प्रिजनर' दिखाई जा रही है।
यह भी पढ़ें: दुनिया का सबसे बड़ा घुमंतु फिल्म फेस्टिवल दून में 30 अगस्त से, जानिए क्या है खास
यथार्थ के आसपास है नए दौर का सिनेमा
विश्व सिनेमा को बदलने और उसे पहचान दिलाने में जिन फिल्मकारों का नाम प्रमुखता से उभरता है, उनमें फ्रांसीसी निर्देशक ज्यां लुक गोदार्द व फ्रांकोइस ट्रफ्ट, जापानी निर्देशक कुरोसोवो व यासुजिरो ओजू, स्वीडिश निर्देशक इंगमार बर्गमन व रूसी निर्देशक आंद्रेई तारकोवस्की से लेकर भारतीय निर्देशक सत्यजीत राय तक शामिल हैं। इन सभी ने प्रतिकूल परिस्थितियों और सीमित संसाधनों के साथ घोर वित्तीय चुनौतियों के बीच फिल्म निर्माण का साहस दिखाया।
यही वजह है कि जब विश्व सिनेमा का जिक्र होता है तो उसमें हॉलीवुड या अंग्रेजी सिनेमा को शामिल नहीं किया जाता। उसमें मसाला फिल्में बनाने वाले बॉलीवुड को कितना जोड़ा जाए, यह भी बहस का विषय हो सकता है, लेकिन भारत का समानांतर सिनेमा या यर्थाथ के आसपास जगह बना रही है बॉलीवुड के नए निर्देशकों की फिल्में जरूर विश्व सिनेमा में शामिल की जा सकती हैं। विश्व सिनेमा को दुनियाभर में सार्थक एवं उद्देश्यपरक फिल्में देने के लिए जाना जाता है, क्योंकि वह हमेशा जीवन के मुख्य सरोकारों, व्यवस्था में बदलावों और दृष्टिकोण का पैरोकार रहा है।
हालांकि, यह भी सत्य है कि विश्व सिनेमा के ज्यादातर महान फिल्मकारों को हमेशा फिल्म बनाने के लिए धनाभाव से जूझना पड़ा। क्योंकि वे बाजार जैसी व्यवस्था से खुद को न केवल दूर रखते थे, बल्कि यह भी कहा जा सकता है कि उन्होंने कभी बॉक्स ऑफिस को ध्यान में रखकर फिल्में नहीं बनाईं। लेकिन, आज विश्व सिनेमा तेजी से आगे बढ़ रहा है। समय के साथ नए और प्रतिभाशाली निर्देशकों की कतार तमाम देशों में इसे अपने तरीके से आगे बढ़ाने में लगी हुई है।
यह भी पढ़ें: लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी के सुरों में बोलता है पहाड़, पढ़िए पूरी खबर
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।