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यहां से उठा सकेंगे केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद, जानिए

जहां से केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद उठा सकेंगे वो स्थल आकार ले चुका है। इस स्थल का नाम अराइवल प्लाजा रखा गया है।

By Edited By: Updated: Sat, 11 Aug 2018 08:33 AM (IST)
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यहां से उठा सकेंगे केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद, जानिए
देहरादून, [जेएनएन]: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट केदारनाथ पुनर्निर्माण की दिशा में किए जा रहे कार्यों में एक उपलब्धि और जुड़ गई है। मंदिर के जिस दूसरे छोर पर तीर्थयात्री केदारघाटी के विहंगम दृश्य का आनंद उठा सकेंगे या फिर सुकून के साथ बैठकर ध्यान कर सकते हैं, वह स्थल आकार ले चुका है। इसका नाम अराइवल प्लाजा रखा गया है। 

पुनर्निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर लौटे भूविज्ञानी व उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) के निदेशक डॉ. एमपीएस रावत ने यह जानकारी दी। यूसैक निदेशक डॉ. बिष्ट ने बताया कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर खास तौर पर केदारनाथ में मंदिर से मंदाकिनी-सरस्वती नदी के संगम तक बने 252 मीटर लंबे मार्ग का निरीक्षण किया गया। पूर्व में कार्यदायी संस्था लोनिवि को मार्ग पर स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों से बनी टाइल्स ही लगाने को कहा गया था। निरीक्षण में पाया गया कि सभी टाइल्स स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों से ही बनी हैं। केदारनाथ मंदिर परिसर के मुख्य आकर्षण में से एक अराइवल प्लाजा पर प्रकाश डालते हुए डॉ. बिष्ट ने कहा कि इसका पूरा क्षेत्रफल 64 वर्गमीटर है। इसके अलावा टेंपल प्लाजा व सेंट्रल प्लाजा भी आकार ले चुके हैं। उन्होंने तेजी से काम करने के लिए लोनिवि के अधीक्षण अभियंता मुकेश परमार, अधिशासी अभियंता प्रवीण कर्णवाल, सहायक अभियंता एलएम बेंजवाल, अवर अभियंता एमएस रावत की सराहना भी की। 

प्रमुख कार्य व उनकी खासियत

अराइवल प्लाजा: अराइवल प्लाजा में एक समय में करीब 400 लोग खड़े हो सकते हैं। 252 मीटर का मार्ग: इस मार्ग पर स्थानीय ग्रेनाइट पत्थरों से बनी 40 हजार टाइल्स लगाई गई हैं। यह टाइल्स तीन इंच मोटी, दो फीट लंबी व एक फीट चौड़ी हैं।

टेंपल प्लाजा: यह 70 चौड़ा और 65 मीटर लंबा है। टाइल्स को सीमेंट से नहीं चिपकाया यूसैक निदेशक के अनुसार केदारनाथ का तापमान ज्यादातर माइनस डिग्री में चला जाता है। इससे यहां पर फ्रॉस्ट एक्शन प्रक्रिया चलती है। इसका अर्थ यह हुआ कि बर्फ व धूप खिलने की प्रक्रिया समान रूप से होने के चलते धरातल में बदलाव होते रहते हैं। इसे देखते हुए टाइल्स को सतह पर सीमेंट से चिपकाने की जगह दो टाइल्स के जोड़ को सीमेंट से टेप किया गया है। क्योंकि सीमेंट से टाइल्स को चिपकाया जाएगा तो सतही बदलाव के चलते वह चटक सकती हैं।

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