एक घंटे में पढ़ डाले 838 पेज, खुद ही फंस गए जाल में
सहायक लोक सूचनाधिकारी ने ऐसा ताना-बाना बुना, जिसमें वह खुद ही फंस गए। उन्होंने आवेदक से 70 हजार 408 रुपये की भारी-भरकम राशि की भी मांग कर डाली।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 26 Nov 2018 08:41 PM (IST)
देहरादून, सुमन सेमवाल। सूचना छिपाने के लिए सिंचाई खंड, नई टिहरी के सहायक लोक सूचनाधिकारी ने ऐसा ताना-बाना बुना, जिसमें वह खुद ही फंस गए। उन्होंने सूचना के एक आवेदन में महज छह दिन के भीतर आवेदक को यह बता दिया कि उनकी सूचना 35 हजार 204 पृष्ठों में निहित है। इसके लिए उन्होंने आवेदक से 70 हजार 408 रुपये की भारी-भरकम राशि की भी मांग कर डाली।
आरटीआइ का यह आवेदन ऋषिकेश निवासी श्रीराम गुप्ता ने 14 फरवरी 2018 को दाखिल किया था, जबकि शुल्क की मांग 21 फरवरी को कर दी गई। यानी इस बीच 18 फरवरी के रविवार को हटाकर महज छह दिन में पृष्ठ पढ़ लिए गए थे। प्रतिदिन सात घंटे के हिसाब से सहायक लोक सूचनाधिकारी ने एक घंटे में 838 व एक मिनट में करीब 14 पेज बढ़कर उनकी गणना कर ली थी, जो कि किसी एक कार्मिक के लिए असंभव सा काम भी है।अपील की शक्ल में जब यह मामला सूचना आयोग पहुंचा तो प्रकरण की सुनवाई करते हुए राज्य सूचना आयुक्त जेपी ममगाईं ने पाया कि यह शुल्क बिना उचित गणना के तय कर दिया गया है। क्योंकि, बिंदुवार शुल्क का कहीं विवरण ही नहीं दिया गया था। इसके लिए आयोग ने सहायक लोक सूचनाधिकारी ने आवेदक को भ्रमित करने के लिए दोषी माना है। हालांकि आयुक्त ममगाईं ने अपनी टिप्पणी में कहा कि सहायक लोक सूचनाधिकारी का दायित्व सूचना के लिए अनुरोध पत्र/अपील/द्वितीय अपील प्राप्त होने पर उन्हें पांच दिन के भीतर लोक सूचनाधिकारी को भेजने तक सीमित है।
कार्यालय में धारित सूचनाओं को देने की जिम्मेदारी लोक सूचनाधिकारी की ही होती है। मामले में तत्कालीन लोक सूचनाधिकारी शरद श्रीवास्तव (वर्तमान में देहरादून स्थित मुख्यालय में वरिष्ठ स्टाफ अधिकारी) ने सिर्फ डाकघर जैसा काम किया है। इसके लिए उन्हें कड़ी चेतावनी देते हुए आयोग में भविष्य में ऐसी पुनरावृत्ति न करने की हिदायत भी दी। राज्य सूचना आयुक्त ने कहा कि अपीलार्थी को आंशिक सूचनाएं, जिन पर शुल्क देय नहीं था, निश्शुल्क प्रदान की जा चुकी हैं और शेष सूचनाएं स्पष्ट शुल्क के साथ उन्हें प्रदान कर दी जाए।यह भी पढ़ें: केदारनाथ में शुरू हुआ शंकराचार्य समाधि के पुनर्निर्माण का कार्य
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