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उत्तराखंड में हर माह औसतन तीन हाथियों की मौत

उत्‍तराखंड में इस साल अब तक 32 हाथियों की मौत तो यही बयां कर रही है। हर माह औसतन तीन हाथियों की जान जा रही है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sun, 03 Dec 2017 08:58 PM (IST)
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उत्तराखंड में हर माह औसतन तीन हाथियों की मौत

देहरादून, [केदार दत्त]: उत्तर भारत में गजराज की आखिरी पनाहगाह उत्तराखंड, हाथियों की कब्रगाह साबित हो रही है। इस साल अब तक 32 हाथियों की मौत तो यही बयां कर रही है। हर माह औसतन तीन हाथियों की जान जा रही है। प्रदेश में पिछले 17 साल में यह पहला मौका है, जब यह आंकड़ा 30 की संख्या पार कर चुका है। इससे वन्यजीव महकमे के साथ ही वन्यजीव प्रेमी भी सकते में हैं। 

चिंता का बड़ा कारण ये कि यदि गजराज की मौत का सिलसिला इसी तरह चलता रहा तो यहां हाथियों का लिंगानुपात गड़बड़ाते देर नहीं लगेगी। इस वर्ष तब तक मरे हाथियों में 17 नर थे। प्रदेश में हाथियों का लिंगानुपात एक नर पर चार मादाओं का है।

बाघों की लगातार मौत ने तो पेशानी पर बल डाले ही हुए थे, अब हाथियों की भी एक के बाद एक मौत की घटनाओं ने चिंता और बढ़ा दी है। विभागीय आंकड़ों को ही देखें तो 2001 से अब तक 355 हाथियों की जान गई है। इनमें 129 मादा और 218 नर शामिल हैं, जबकि आठ हाथियों के कंकाल बरामद हुए। इस साल के वक्फे में सर्वाधिक 32 हाथियों की मौत हुई।

सूरतेहाल सवाल उठ रहा कि राज्य में राजाजी और कार्बेट टाइगर रिजर्व के साथ ही 11 वन प्रभागों में 6643.5 वर्ग किमी में पसरे हाथियों की पनाहगाह में ऐसा क्या हो गया, जो इनकी एक के बाद एक मौत हो रही है। चिंता की बड़ी वजह ये भी है कि मृत हाथियों में 17 नर और 15 मादा हैं। इनमें से सात की जान हादसों में गई, जबकि एक की करंट से। दो हाथी टे्रन से कटकर मरे, जबकि चार की मौत की वजह आपसी संघर्ष बताया गया। स्वाभाविक और अन्य कारणों से भी हाथियों की मौत हुई।

इस सबके मद्देनजर महकमा अब गजराज की सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्कता बरतने जा रहा है। प्रमुख वन संरक्षक वन्यजीव एवं मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक डीवीएस खाती के मुताबिक हाथियों की सुरक्षा के मद्देनजर दोनों टाइगर रिजर्व और वन प्रभागों के जंगल से लगे इलाकों में अधिक सतर्कता बरतने को कहा गया है। उन इलाकों पर विशेष निगाह रखने के निर्देश दिए गए हैं, जिनसे अक्सर गजराज गुजरते हैं। वहां वनकर्मियों की नियमित गश्त के निर्देश दिए गए हैं। साथ ही इसकी मॉनीटरिंग भी प्रारंभ कर दी गई है।

राज्य में हाथी

गणना वर्ष------------संख्या

2017-----------1839

2015-----------1779

2012-----------1559

2008-----------1346

2005-----------1510

2003-----------1582

17 साल में मृत हाथी

  • 137 की स्वाभाविक मृत्यु
  • 64 आपसी संघर्ष मे मरे
  • 57 की मौत की वजह हादसे
  • 42 का कारण अज्ञात
  • 34 करेंट लगने से मरे
  • 09 ट्रेन दुर्घटना में
  • 08 शिकारियों की गोली का निशाना
  • 03 मनुष्य के लिए खतरनाक
  • 01 की जहर से मौत

वर्षवार मौत का आंकड़ा

वर्ष-------------संख्या

2017-----------32

2016-----------29

2015-----------19

2014-----------29

2013-----------27

2012-----------07

2011-----------25

2010-----------10

2009-----------23

2008-----------26

2007-----------14

2006-----------16

2005-----------19

2004-----------16

2003-----------15

2002-----------24

2001-----------24

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