Kedarnath Dham के लिए हेली सेवा शुरू हुए बीते 21 साल, लेकिन अभी तक नहीं बना ATC
Kedarnath Dham केदारनाथ क्षेत्र में शुक्रवार को केस्ट्रल एविएशन कंपनी के हेलीकाप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग के बाद से क्षेत्र में एटीसी का विषय फिर से चर्चा के केंद्र में है। केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा शुरू हुए लगभग 21 वर्ष हो चुके हैं। लेकिन हेली सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए अभी तक एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) की व्यवस्था ही नहीं हो पाई है।
राज्य ब्यूरो, जागरण, देहरादून: Kedarnath Dham: समुद्रतल से 11,759 फीट की ऊंचाई पर स्थित केदारनाथ धाम के लिए हेली सेवा शुरू हुए लगभग 21 वर्ष हो चुके हैं। इस उच्च हिमालयी क्षेत्र में यात्रा सीजन के दौरान प्रतिदिन ढाई सौ उड़ानें होने के बावजूद हेली सेवाओं को नियंत्रित करने के लिए अभी तक एटीसी (एयर ट्रैफिक कंट्रोल) की व्यवस्था ही नहीं हो पाई है।
यह स्थिति तब है, जबकि केदारघाटी में बीते 14 वर्ष में 11 हेली दुर्घटनाएं हो चुकी हैं। यद्यपि, प्रदेश सरकार ने भी केदारघाटी में एटीसी की स्थापना की आवश्यकता को महसूस करते हुए गत वर्ष केंद्र को प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अभी तक इसकी अनुमति नहीं मिल पाई है।
केदारनाथ क्षेत्र में शुक्रवार को केस्ट्रल एविएशन कंपनी के हेलीकाप्टर की इमरजेंसी लैंडिंग के बाद से क्षेत्र में एटीसी का विषय फिर से चर्चा के केंद्र में है। असल में केदारनाथ क्षेत्र का मौसम पल-पल बदलता रहता है। साथ ही यहां की संकरी घाटी में हेली सेवाओं का संचालन बड़ी चुनौती है।
पायलट को समय से स्थिति की जानकारी मिलना जरूरी
ऐसे में हेली सेवाओं को नियंत्रित करने, हवा में हेलीकाप्टर की उड़ान को व्यवस्थित करने और पायलट को समय से स्थिति की जानकारी मिलना जरूरी हो जाता है। एटीसी की इसमें मुख्य भूमिका होती है।
केदारघाटी में बीते वर्षों में हुई दुर्घटनाओं के बाद अब यहां हेली सेवाओं के नियंत्रण को एटीसी की जरूरत महसूस हो रही है। एटीसी होने से न केवल पूरी घाटी पर नजर रखी जा सकेगी, बल्कि एटीसी पर बैठे कार्मिक पायलट से संपर्क कर हेली सेवाओं को और सुरक्षित बना सकेंगे।
केदारघाटी में एटीसी की जरूरत इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि यात्रा सीजन में यहां प्रतिदिन 250 या इससे अधिक उड़ानें भरी जाती है। यद्यपि, इन उड़ानों के लिए यूकाडा (उत्तराखंड सिविल एविएशन डेवलपमेंट अथारिटी) ने कुछ मानक बनाए हैं। इनके अनुपालन का जिम्मा हेली कंपनियों पर ही है।
यानी उन पर नजर रखने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। कोई घटना होने पर जरूर डीजीसीए (डायरेक्टर जनरल सिविल एविएशन) की टीम आकर निरीक्षण करती हैं। घटना की जांच भी होती होती है, लेकिन जांच रिपोर्ट में क्या होता है, इसकी जानकारी कम से कम बीती कुछ घटनाओं में तो प्रदेश सरकार के साथ साझा भी नहीं की गई हैं।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।उड़ान के लिए बना है रोस्टर
केदारघाटी में उड़ान के लिए एक रोस्टर बना हुआ है। इसके हिसाब से सभी कंपनियों के हेलीकाप्टर केदारनाथ धाम के लिए उड़ान भरते हैं। यद्यपि, यहां मौसम के मिजाज, हवा के रुख आदि की जानकारी के लिए यहां वेदर स्टेशन की स्थापना की गई है। जिसके जरिये पायलट को इनकी जानकारी मिल जाती है, लेकिन कई बार मौसम खराब होने के बाद भी मुनाफे के फेर में हेली कंपनियां उड़ान भरने से नहीं चूकती। एटीसी ही इन पर नियंत्रण रखने में सक्षम है।'केदारघाटी में एटीसी की जरूरत महसूस की गई है। इस सिलसिले में गत वर्ष केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जा चुका है। मौसम की जानकारी के दृष्टिगत केदारनाथ में एक वेदर स्टेशन स्थापित है और एक अन्य भारत मौसम विभाग की ओर से लगाया जाना प्रस्तावित है।'
- सी रविशंकर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी यूकाडा