स्टार्टअप से जुड़े छात्रों पर उपस्थिति के मानक लागू नहीं, पढ़िए पूरी खबर
इंजीनियरिंग के छात्रों में उद्यमशीलता विकसित करने को एआइसीटीई ने खास पहल की है। यदि कोई छात्र उद्यमिता से जुड़ा है तो निर्धारित उपस्थिति कम होने के बावजूद वह परीक्षा में बैठ सकेगा।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Thu, 17 Oct 2019 05:30 PM (IST)
देहरादून, अशोक केडियाल। इंजीनियरिंग के छात्र-छात्राओं में उद्यमशीलता विकसित करने के लिए ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने खास पहल की है। यदि कोई छात्र-छात्रा उद्यमिता से जुड़ा है तो निर्धारित उपस्थिति कम होने के बावजूद वह परीक्षा में बैठ सकेगा। यह व्यवस्था इंजीनियरिंग के दूसरे छात्र-छात्राओं पर लागू नहीं होगी, उनके लिए 75 फीसद उपस्थिति अनिवार्य रहेगी। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने नेशनल रिसर्च एंड इनोवेशन पॉलिसी तैयार की है। इसके तहत ही इंजीनियरिंग कॉलेजों व टेक्निकल इंस्टीट्यूशन्स को दिशा-निर्देश जारी किए गए है कि उद्यमिता के तहत स्टार्टअप शुरू करने वाले छात्र-छात्रा के लिए उपस्थिति कम होने पर भी उन्हें परीक्षा में बैठने दिया जाए। एआइसीटीई पिछले कुछ समय से शोध व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए काम कर रहा है।
उत्तराखंड के राजकीय व निजी करीब दो 200 कॉलेजों में इंजीनियरिंग की पढ़ाई के साथ स्टार्टअप से जुड़े छात्र-छात्राओं में अब तक एक डर था कि यदि उनकी उपस्थिति कम आई तो वह सेमेस्टर परीक्षा नहीं दे पाएंगे। या फिर फाइन का भुगतान करने के बाद ही ऐसे छात्र परीक्षा में बैठ पाएंगे, लेकिन अब उन्हें परेशान होने की जरूरत नहीं है। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (एआइसीटीई) ने इंजीनियरिंग कॉलेजों और टेक्निकल इंस्टीट्यूट्स को दिए निर्देश में कहा है कि उपस्थिति कम होने के बाद भी वह उद्यमिता से जुड़े छात्र-छात्राओं को परीक्षा में बैठने दें। इतना ही नहीं, यदि उद्यमिता से जुड़े छात्र-छात्राएं सेमेस्टर के बीच में कोई स्टार्टअप या कोई दूसरा काम करना चाहते हैं तो वह आसानी से कर सकते हैं। ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ टेक्निकल एजुकेशन ने छात्रों को ऐसा करने की भी अनुमति दे दी है। बता दें कि यह निर्णय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के टेक्निकल एजुकेशन रेग्युलेटर ने लिया है। इसके पीछे उद्देश्य है कि अधिक संख्या में छात्र-छात्राएं शोध व नवाचार के लिए प्रोत्साहित हो सकें।
राज्य में स्टार्टअप फिनाले की तैयारी
उत्तराखंड सरकार शोध एवं नवाचार को बढ़ावा देने के लिए गंभीरता से आगे बढ़ रही है। इसके लिए सरकार स्टार्टअप फिनाले आयोजित करने जा रही है। स्टार्टअप यात्रा की जिम्मेदारी उद्योग विभाग को सौंपी गई है। इसके पहले चरण में प्रदेश के सभी जिलों में 16 स्टार्टअप बूट कैंप के जरिये युवाओं की खोज की गई जो स्टार्टअप के इच्छुक हैं। अभी तक 75 स्टार्टअप फाइनल किए जा चुके हैं। स्टार्टअप फिनाले यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज (यूपीईएस) में आयोजित किया जाएगा। जिसमें 10 विजेता स्टार्टअप को सरकार 50-50 हजार रुपये पुरस्कार देगी।
आइआइटी-आइआइएम से भी स्टार्टअप
राज्य सरकार के स्टार्टअप फिनाले के लिए प्रतिष्ठित संस्थान आइआइटी रुड़की व आइआइएम काशीपुर से छात्र स्टार्टअप बूट कैंप के बाद सिलेक्ट हुए हैं। इसके अलावा निजी विवि, इंजीनियरिंग व राजकीय महाविद्यालयों से छात्र स्टार्टअप में अपना प्रदर्शन करेंगे। सरकार सौ करोड़ रुपये तक के स्टार्टअप योजना में अपना सहयोग देगी।यूटीयू के राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज
- गोविंद बल्लभ पंत इंजीनियरिंग कॉलेज, पौड़ी- कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी पंतनगर- विपिन त्रिपाठी आइटी कॉलेज, द्वाराहाट- डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम आइटी, टनकपुर- टीएचडीसी आइएचईटी टिहरी गढ़वाल- नन्ही परी एसआइटी, पिथौरागढ़- इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, गोपेश्वर- महिला प्रौद्योगिकी संस्थान, देहरादूनप्रो. एनएस चौधरी (कुलपति, यूटीयू) का कहना है कि इंजीनियरिंग कॉलेजों में शोध व नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एआइसीटीई की पहल स्वागत योग्य है। इसका पालन किया जाएगा। राज्य सरकार व यूटीयू से संबद्ध कोई भी इंजीनियरिंग कॉलेज का छात्र यदि स्टार्टअप में पंजीकृत है तो उसे उपस्थिति में छूट दी जाएगी। हालांकि अभी एआइसीटीई से लिखित आदेश प्राप्त नहीं हुए हैं।
47 हजार युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षणस्वरोजगार के मद्देनजर युवाओं के कौशल विकास को लेकर सरकार गंभीरता से कदम बढ़ा रही है। इस वर्ष प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना में 32 हजार और विश्व बैंक पोषित योजना में 15 हजार युवाओं को कौशल विकास प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रशिक्षण के लिए संस्थाओं का चयन कर लिया गया है। इसके अलावा राज्य कौशल विकास योजना में कुछ प्रावधानों में बदलाव करने की भी तैयारी है। कौशल विकास मंत्री डॉ.हरक सिंह रावत ने बुधवार को कौशल विकास की समीक्षा बैठक के बाद यह जानकारी दी। इससे पहले उन्होंने सर्वे चौक स्थित कौशल विकास मुख्यालय और आइटीआइ का औचक निरीक्षण भी किया।
कौशल विकास मुख्यालय में हुई समीक्षा बैठक के बाद कौशल विकास मंत्री डॉ.रावत ने बताया कि प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षण के लिए 35 संस्थाएं चयनित की गई हैं। कुछ प्रशिक्षण केंद्रों का केंद्र की टीम निरीक्षण कर चुकी है, जबकि बाकी का भी जल्द निरीक्षण करने का आग्रह किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि विश्व बैंक की मदद से चलने वाली कौशल विकास योजना के तहत दिए जाने वाले प्रशिक्षण को भी संस्थाएं चयनित कर ली गई हैं।
यह भी पढ़ें: नर्सिंग और पैरामेडिकल में दाखिले का इंतजार खत्म, जानिए क्या है शेड्यूलडॉ.रावत ने कौशल विकास योजना के मानकों में बदलाव पर भी विचार चल रहा है। खासकर, राज्य कौशल विकास योजना में प्रशिक्षण के लिए स्थानीय संस्थाओं को महत्व देने पर बल दिया गया है। इस बारे में मुख्यमंत्री को फाइल भेज दी गई है। इसमें सुझाव दिया गया है कि प्रशिक्षण के लिए नियुक्त की जानी वाली संस्था के दो करोड़ के टर्न ओवर की शर्त में शिथिलता दी जाए। इसी प्रकार प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के मानकों में भी राज्य की विषम परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए कुछ बदलाव का आग्रह किया गया है।
यह भी पढ़ें: शैलेश मटियानी पुरस्कारों को लेकर असमंजस दूर, मंत्री की लगी मुहरइससे पहले, डॉ.रावत ने कौशल विकास मुख्यालय का औचक निरीक्षण कर व्यवस्थाओं की जानकारी ली। इसके बाद वह आइटीआइ गए और निरीक्षण कर वहां चल रहे प्रशिक्षण का जायजा लिया। उन्होंने प्रशिक्षण कार्य पर संतोष जताया।
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