Move to Jagran APP

उत्‍तराखंड में चिड़ियाघरों के प्रबंधन के लिए बनेगा प्राधिकरण, पढ़िए पूरी खबर

उत्तराखंड में स्थित सभी चिड़ि‍याघर रेसक्यू सेंटर टाइगर सफारी आने वाले दिनों में प्रबंधन के मद्देनजर एक छतरी के नीचे आएंगे। इसके लिए जू अथारिटी बनाने की तैयारी है। वन विभाग इसका मसौदा तैयार करा रहा है। तीन माह के भीतर इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 22 Jun 2021 06:05 AM (IST)
Hero Image
उत्तराखंड में स्थित चिड़ि‍याघर, रेसक्यू सेंटर, टाइगर सफारी आने वाले दिनों में प्रबंधन के मद्देनजर एक छतरी के नीचे आएंगे।
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड में स्थित सभी चिड़ि‍याघर, रेसक्यू सेंटर, टाइगर सफारी आने वाले दिनों में प्रबंधन के मद्देनजर एक छतरी के नीचे आएंगे। इसके लिए जू अथारिटी बनाने की तैयारी है। वन विभाग इसका मसौदा तैयार करा रहा है। तीन माह के भीतर इसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा। फिर कैबिनेट की मंजूरी के बाद राज्य की जू अथारिटी अस्तित्व में आएगी।

वर्तमान में उत्तराखंड में देहरादून और नैनीताल में चिड़ि‍याघर, लच्छीवाला में नेचर पार्क और चिड़ि‍यापुर व रानीबाग में रेस्क्यू सेंटर संचालित हैं। प्रबंधन के लिए इनमें कमेटियां गठित की गई हैं। इसके साथ ही अब जल्द ही कार्बेट टाइगर रिजर्व के बफर जोन पाखरो में टाइगर सफारी अस्तित्व में आ जागएी। इसके अलावा हल्द्वानी में चिड़ि‍याघर व सफारी, कोटद्वार समेत अन्य स्थानों पर रेस्क्यू सेंटर की स्थापना प्रस्तावित है। तय प्रविधानों के चिडिय़ाघरों, नेचर पार्क आदि से पर्यटन के जरिये होने वाली आय का कुछ हिस्सा समितियों के माध्यम से इनके संरक्षण-संवर्द्धन पर व्यय किया जाता है। इसे लेकर अक्सर अंगुलियां भी उठती आई हैं।

अब बेहतर प्रबंधन के मकसद से प्रदेश में जू अथारिटी बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसके तहत सभी चिड़ि‍याघर, नेचर पार्क, टाइगर सफारी को अथारिटी के दायरे में लाया जाएगा। यह अथारिटी ही इनके प्रबंधन, संरक्षण-संर्द्धधन के लिए बजट की व्यवस्था समेत अन्य व्यवस्था जुटाएगी। साथ ही केंद्रीय चिड़ि‍याघर प्राधिकरण, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण समेत अन्य संस्थाओं से भी बजट जुटाने की दिशा में कदम बढ़ाएगी। वन विभाग के मुखिया प्रमुख मुख्य वन संरक्षक राजीव भरतरी ने बताया कि विभाग के पुनगर्ठन का मसौदा तैयार करने के लिए गठित समिति जू अथारिटी का प्रस्ताव भी तैयार करेगी। सितंबर तक यह प्रस्ताव शासन को भेजने का लक्ष्य रखा गया है।

यह भी पढ़ें-जंगल की सड़क, उम्मीद की गाड़ी; राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड ने दी हरी झंडी

Uttarakhand Flood Disaster: चमोली हादसे से संबंधित सभी सामग्री पढ़ने के लिए क्लिक करें

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।