आटो यूनियन की हड़ताल, स्कूली बच्चों के साथ अभिभावकों की हुई फजीहत
स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर मचे घमासान में आटो यूनियन ने बच्चों को लाने-ले जाने से इन्कार कर दिया। इस स्थिति में अभिभावकों व बच्चों की फजीहत हुई है
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 30 Jul 2018 10:56 AM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: स्कूली बच्चों के परिवहन को लेकर मचे घमासान में आटो यूनियन ने सोमवार से बच्चों को लाने-ले जाने से इन्कार कर दिया। वहीं, स्कूल वैन एसोसिएशन फिलहाल बच्चों के परिवहन को तैयार है, लेकिन शर्ते पूरी करने के लिए एक माह की मोहलत मांग रही है। इस स्थिति में अभिभावकों व बच्चों की फजीहत हुई है।
सात जुलाई को नैनीताल हाईकोर्ट द्वारा स्कूली वाहनों के मानक को लेकर सख्त आदेश दिए गए थे। अदालत ने स्पष्ट रूप से सरकार को आदेश दिया कि बच्चों का परिवहन केवल वही वाहन कर जा सकते हैं जो स्कूली वाहनों के मानक पूरे कर रहे हों।इसमें निजी रूप से बच्चों को ले जाने वाली बसों, वैन, ऑटो, विक्रम, ई-रिक्शा आदि पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया गया। आदेश के क्रम में परिवहन विभाग ने एक अगस्त से समस्त अवैध स्कूली वाहन का संचालन बंद करने के आदेश दिए हुए हैं। चूंकि, शहर में महज 10 फीसद स्कूल के पास ही अपने बसें हैं और 40 फीसद स्कूल निजी बसों और वैन की बुकिंग कर बच्चों का परिवहन करते हैं।
बाकी 50 फीसद स्कूलों के बच्चे अपने निजी वाहन या निजी आटो, वैन व ई-रिक्शा बुक कर स्कूल आते-जाते हैं। मोहल्लों में लोगों ने आठ से दस बच्चों के लिए एक आटो या वैन लगाई हुई है। इससे अभिभावकों की चिंता भी खत्म हो जाती है और बच्चों को स्कूल आने व जाने में दिक्कत नहीं होती। परिवहन विभाग के ताजा आदेश के बाद 90 फीसद अभिभावक व बच्चे यह सोच रहे कि अब वे स्कूल कैसे आएंगे-जाएंगे। आटो व विक्रम चालक इसका विरोध कर रहे हैं।
उनका आरोप है कि ताजा फैसले से उनके घर का चूल्हा बंद हो जाएगा और भूखमरी की नौबत आ जाएगी। शहर में हर रोज करीब 1500 आटो, 200 विक्रम और 1000 वैन समेत तकरीबन 300 बसें निजी बुकिंग पर बच्चों का परिवहन करते हैं। ये वाहन अब नहीं चलेंगे। इसके अलावा चार सौ वैन ऐसी हैं जो स्कूली वाहनों के तौर पर पंजीकृत हैं। इनके लिए भी सवारी की संख्या तय कर दी गई है। ओवरलोडिंग पर इन वैध स्कूली वाहनों को भी सीज करते हुए चालक पर मुकदमा कराया जाएगा।
इस दौरान यूनियन अध्यक्ष पंकज अरोड़ा और महासचिव राम सिंह ने बताया कि शहर में आटो यूनियन वर्ष 1971 से स्कूली बच्चों का परिवहन कर रही है। यूनियन ने बच्चों व अभिभावकों से क्षमा मांगी है। वैन में दस छोटे या आठ बड़े बच्चे वैध स्कूली वैन के लिए परिवहन विभाग ने सीटिंग कैपेसिटी में आठ बड़े बच्चे या दस छोटे बच्चे ले जाने की व्यवस्था तय की है। फिर भी वैन संचालक इस क्षमता पर राजी नहीं। वर्तमान में वे छोटे या बड़े मिलाकर करीब 15 बच्चों का परिवहन कर रहे हैं। वैन संचालकों का दावा है कि यह उनकी एकमात्र रोजी-रोटी है। कम संख्या पर उनका गुजारा नहीं होगा और वैन बंद करनी पड़ेगी।
मुख्यमंत्री और अधिकारियों तक अपनी बात और अभिभावकों की पीड़ा पहुंचाने के लिए आटो संचालकों ने रविवार को नई तरकीब निकाली। व्हाट्सअप और पेंपलेट के जरिए अभिभावकों को सीएम आवास, परिवहन मंत्री, परिवहन आयुक्त, आरटीओ के लैंडलाइन या मोबाइल नंबर बांट दिए। मैसेज में अपील की गई कि इन्हें फोन कर अपनी पीड़ा बताई जाए कि बच्चे स्कूल में कैसे जाएंगे। पूरा दिन अभिभावक-बच्चों ने इन नंबरों पर फोन कर अधिकारियों को पीड़ा बताई। इससे तंग कुछ अधिकारियों ने या तो फोन स्विचऑफ कर दिए या फिर कॉल उठानी बंद कर दी। मोहलत दो, करेंगे नियमों का पालन
बच्चों की तय संख्या को छोड़कर स्कूल वैन एसोसिएशन ने परिवहन विभाग द्वारा तय सभी नियमों का पालन करने पर हामी भर दी है। रविवार को आत्माराम धर्मशाला में आयोजित हुई बैठक में उत्तराखंड स्कूल वैन एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने कहा कि तय नियमों को लेकर हर वैन चालक की ओर से एक शपथ-पत्र दिया जाएगा। वाहन में फर्स्ट एड किट, स्पीड गर्वनर व अग्नीशमन यंत्र आदि की जानकारी होगी। चालक का वर्दी में होना, शराब पीकर वैन न चलाना, कागज पूरे होना, ओवरलोडिंग न करना, चालक का वर्दी, पहचान-पत्र व जूते पहने होना, वैन के दरवाजे-खिड़की पर जाली लगा होना अनिवार्य रहेगा। इन नियमों का पालन करने के लिए एसो. की ओर से एक माह की मोहलत मांगी गई है। इस बैठक में गगन ढींगरा, आकाश गोयल, रमेश रावत, राजेश्वर जायसवाल, राजीव बजाज आदि मौजूद रहे।यह भी पढ़ें: दून में दुपहिया वाहन पर पिछली सवारी के लिए हेलमेट अनिवार्य
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