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Avalanche In Kedarnath: केदारनाथ क्षेत्र में कंपेनियन ग्लेशियर के संचय जोन से आया था एवलांच, इससे नहीं खतरा

Avalanche In Kedarnath राज्य सरकार के निर्देश पर विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों ने केदारनाथ क्षेत्र में एवलांच जोन का अध्ययन किया। जल्द सरकार को रिपोर्ट सौंपी जाएगी। विशेषज्ञों ने केदारनाथ मंदिर क्षेत्र को एवलांच से सुरक्षित बताया गया है।

By Suman semwalEdited By: Sunil NegiUpdated: Wed, 05 Oct 2022 01:38 AM (IST)
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Avalanche In Kedarnath केदारनाथ क्षेत्र में आ रहे एवलांच को लेकर कई तरह की आशंका व्यक्त की जा रही हैं
सुमन सेमवाल, देहरादून। Avalanche In Kedarnath केदारनाथ क्षेत्र में बड़े स्तर पर आ रहे एवलांच को लेकर कई तरह की आशंका व्यक्त की जा रही हैं। इस क्षेत्र में वर्ष 2013 जैसी आपदा की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए राज्य सरकार भी हर तरह की सावधानी बरत रही है।

विशेषज्ञ एवलांच जोन का अध्ययन कर लौटे

एवलांच की स्थिति स्पष्ट करने के लिए राज्य सरकार के निर्देश पर विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञ एवलांच जोन का अध्ययन कर लौट चुके हैं। सरकार को अभी रिपोर्ट नहीं सौंपी जा सकी है, लेकिन एवलांच को लेकर विज्ञानी काफी कुछ स्पष्ट करने लगे हैं। सबसे बड़ी राहत की बात यही है कि केदारनाथ क्षेत्र के एवलांच से मंदिर क्षेत्र को सुरक्षित बताया गया है।

कंपेनियन ग्लेशियर से आ रहा एवलांच

वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान (Wadia Institute of Himalayan Geology) के निदेशक डा. कालाचांद साई के मुताबिक, अब तक यह बात सामने आ रही थी कि एवलांच चौराबाड़ी ग्लेशियर से आ रहा है। लेकिन, धरातलीय अध्ययन में पता चला है कि एवलांच कंपेनियन ग्लेशियर से आ रहा है।

ताजा बर्फ पड़ी पर टिक नहीं

कंपेनियन ग्लेशियर चौराबाड़ी ग्लेशियर से ही जुड़ा है। खास बात यह भी है कि एवलांच ग्लेशियर के एक्यूमुलेशन जोन (संचय क्षेत्र) से आ रहा है। यहां ताजा बर्फ पड़ रही है, लेकिन टिक नहीं पा रही। कुछ ही समय में बर्फ एवलांच के रूप में नीचे खिसक रही है।

एवलांच से मंदिर क्षेत्र को नहीं कोई खतरा

निदेशक कालाचांद साईं के अनुसार, एवलांच ग्लेशियर क्षेत्र में करीब 4400 मीटर ऊंचाई पर आ रहा है। यहां से केदारनाथ मंदिर चार से पांच किलोमीटर दूर है। इस लिहाज से देखें तो एवलांच से मंदिर क्षेत्र को कोई खतरा पैदा होता नहीं दिख रहा।

आ रहे पाउडर एवलांच, जलवायु परिवर्तन का है असर

अध्ययन दल में शामिल वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान के विज्ञानी डा. मनीष मेहता के अनुसार, केदारनाथ क्षेत्र के साथ ही उत्तरकाशी क्षेत्र में आया एवलांच 'पाउडर एवलांच' है। ये एवलांच तब आते हैं, जब ताजा बर्फ जमा होती है, लेकिन ग्लेशियर में टिक नहीं पाती। यह बर्फ नई होने के चलते पाउडर के फार्म में होती है।

उच्च हिमालयी क्षेत्रों में निरंतर पड़ रही बर्फ

डा. मेहता ने बताया कि इस वर्ष मानसून सत्र लंबा होने के चलते उच्च हिमालयी क्षेत्रों में निरंतर बर्फ पड़ रही है। हालांकि, मौसम में उतार-चढ़ाव तेजी से हो रहे हैं। बर्फ पड़ने के बाद उसे पक्का होने का समय नहीं मिल पा रहा। कुछ ही समय बाद जब तेज धूप पड़ रही है तो बर्फ एवलांच के रूप से नीचे खिसक रही है।

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रखनी होगी पैनी नजर

विशेषज्ञों ने एक तरफ एवलांच को सामान्य घटना बताया है तो दूसरी तरफ यह सुझाव भी दिया है कि एवलांच की घटनाओं की निगरानी की जानी चाहिए। जिससे ग्लेशियर क्षेत्र में किसी भी असामान्य बदलाव को तुरंत पहचाना जा सके।

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