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केदारनाथ के पास आए Avalanche ने ताजा कर दी डेढ़ साल पहले आई आपदा की भयावह याद, मलबे में दफन हुए थे 206 लोग

Avalanche In Kedarnath 2021 में चमोली में आए जलप्रलय ने प्रदेश के साथ ही पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। अभी भी तपोवन टनल से मानव अवशेष मिलने का सिलसिला जारी है। आपदा में 206 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवा दी थी।

By Nirmala BohraEdited By: Updated: Sat, 01 Oct 2022 01:30 PM (IST)
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Avalanche In Kedarnath : रौंथी पर्वत से हिमखंड टूटने से आई थी आपदा। फाइल फोटो
टीम जागरण, देहरादून : Avalanche in Kedarnath : करीब डेढ़ साल पहले सात फरवरी 2021 को उत्‍तराखंड के चमोली में आए जलप्रलय ने प्रदेश के साथ ही पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। आपदा में 206 लोग मलबे में दफन हो गए थे। जिनमें से करीब 139 शव बरामद कर लिए गए थे। वहीं अभी भी तपोवन टनल से मानव अवशेष मिलने का सिलसिला जारी है।

वाडिया संस्थान के अध्ययन के मुताबिक, सात फरवरी की सुबह करीब 5600 मीटर की ऊंचाई पर स्थित रौंथी पर्वत से हिमखंड टूटा तो नीचे रौंथी गदेरे (ऊंचाई समुद्र तल से 3800 मीटर) तक पहुंचते हुए मलबे का वेग 55 मीटर प्रति सेकेंड था और इसी कारण रैणी क्षेत्र में जल प्रलय आया।

206 व्यक्तियों ने गंवा दी थी अपनी जान

विज्ञानियों ने यह भी बताया कि ऋषिगंगा कैचमेंट से निकला जलप्रलय महज एक घटना नहीं थी, बल्कि इसमें कई घटनाक्रम शामिल थे।

  • ऋषिगंगा आपदा में 13 मेगावाट की ऋषिगंगा जलविद्युत परियोजना का नामोनिशान तक मिट गया था।
  • एनटीपीसी के निर्माणाधीन तपोवन विष्णुगाड़ जलविद्युत परियोजना की टनल में भारी मात्रा में मलबा भर गया था।
  • टनल की सफाई का कार्य जारी है और टनल में दबे कर्मचारियों व श्रमिकों के शव के अवशेष अभी भी मिल रहे हैं।
  • अभी विगत 23 अगस्‍त को ही तपोवन स्थित ईंटेक टनल में रैणी आपदा से संबंधित एक मानव अवशेष बरामद किया गया था।
  • टनल से अब तक कुल 136 शव बरामद हो चुके हैं। 52 व्यक्तियों की शिनाख्त भी हो चुकी है। इसके अलावा 40 से ज्‍यादा मानव अंग भी बरामद हो चुके हैं।
  • आपदा में प्रोजेक्ट को व्यापक नुकसान तो हुआ ही साथ ही 206 व्यक्तियों ने अपनी जान गंवा दी थी।
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  • उत्‍तराखंड सरकार ने 206 को मृत्यु प्रमाण पत्र देने के साथ आश्रितों को मुआवजा भी दिया था।
  • ऋषिगंगा में जल प्रलय आने से क्षेत्र में व्यापक नुकसान के साथ जनहानि भी हुई थी।
  • इस आपदा से सरकार ने जलवायु परिवर्तन का सबक सीखा और राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण ने सुदूर संवेदन संस्थान के साथ एमओयू किया। ताकि सुदूर संवेदन संस्थान सेटेलाइट से ग्लेशियरों की निरंतर निगरानी कर सके।
  • रैणी आपदा के दौरान विज्ञानियों ने यह बताया था कि जिस क्षेत्र में आपदा आई। वहां के ग्लेशियर 37 सालों में 26 वर्ग किमी पीछे खिसक चुके हैं।
  • ऋषिगंगा में जब आपदा आई तो रैणी के ग्रामीण दहशत से भर गए और अपने घरों को छोड़ गुफाओं में चले गए थे।
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  • गांव के पास बह रही ऋषिगंगा नदी से लगातार भू-कटाव बढ़ रहा था।
  • ग्रामीणों के खेत कटाव की भेंट चढ़ गए थे और मकानों में भी दरार आ गई थी।
  • 14 परिवारों के मकान और खेत पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हो चुके थे।

केदारनाथ धाम के पीछे पहाड़ों पर भयानक हिमस्खलन

बता दें कि शनिवार एक अक्‍टूबर को केदारनाथ में पहाड़ों पर एक बार दोबारा भयानक हिमस्खलन हुआ। हिमस्‍खलन काफी ऊंचाई पर हुआ। जिससे कोई नुकसान नहीं हुआ। विगत 23 सितंबर को भी यहां चोराबाड़ी के पहाड़ों के पास हिमस्‍खलन हुआ था।

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