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Avalanche in Uttarkashi: पहले भी उत्‍तराखंड में कहर मचा चुके हैं बर्फीले तूफान, गई हैं कई पर्वतारोहियों की जान

Avalanche in Uttarkashi पहले भी उत्तराखंड हिमालय की अन्य चोटियों पर एवलांच की घटनाएं हो चुकी हैं। उत्‍तरकाशी के द्रोपदी के डांडा में मंगलवार को आए एवलांच ने उत्‍तराखंड में आए पुराने बर्फीले तूफानों की कड़वी यादें ताजा हो गई हैं।

By Nirmala BohraEdited By: Published: Tue, 04 Oct 2022 02:47 PM (IST)Updated: Tue, 04 Oct 2022 02:47 PM (IST)
Avalanche in Uttarkashi: ऊंची चोटियों पर एवलांच की घटनाएं आना सामान्‍य।

टीम जागरण, देहरादून : Avalanche in Uttarkashi : पर्वतारोहण में रोमांच के साथ ही बड़ा जोखिम भी रहता है। क्‍योंकि मौसम पल-पल बदलता है। हालांकि हिमालय की ऊंची चोटियों पर एवलांच की घटनाएं आना सामान्‍य हैं। लेकिन ट्रेकिंग के दौरान या इन इलाकों में जाने के दौरान जरूरी एहतियात बरतनी जरूरी होती है। उत्‍तरकाशी के द्रोपदी के डांडा में मंगलवार को आए एवलांच ने उत्‍तराखंड में आए पुराने बर्फीले तूफानों की कड़वी यादें ताजा हो गई हैं।

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पहले भी सामने आ चुकी हैं एवलांच की कई घटनाएं

पहले भी उत्तराखंड हिमालय की अन्य चोटियों पर एवलांच की घटनाएं हो चुकी हैं। हिमालय की अधिकांश चोटियों पर आरोहण के दौरान एवलांच से कई पर्वतारोहियों और पोर्टर की मौत हुईं है। इतना हीं नहीं इन घटनाओं में कई पर्वतारोहियों का अब तक पता नहीं चल पाया है। बता दें कि वर्ष 2019 में नंदा देवी चोटी पर चार विदेशी पर्वतारोहियों सहित आठ की मौत भी एवलांच की चपेट में आने के कारण हुई थी।

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उत्तराखंड से लगे हिमालयी क्षेत्र में नंदा देवी, त्रिशूल, चौखंबा, सतोपंथ, केदारडोम, गंगोत्री-तृतीय सहित अन्य चोटियों पर एवलांच घटनाएं अक्‍सर सामने आती हैं। अभी दस दिन के अंदर ही केदारनाथ के पास की पहाडि़यों में भी तीन बार एवलांच की घटनाएं सामने आईं थी। जिनके अध्‍ययन के लिए वाडिया के वैज्ञानियों का दल भी वहां पहुंचा है।

उत्‍तराखंड में एवलांच की प्रमुख घटनाएं इस प्रकार हैं

  • 2019 में नंदादेवी के आरोहण के दौरान एवलांच की चपेट में आने से चार विदेशी पर्वतारोही सहित आठ की मौत
  • 2016 में शिवलिंग चोटी पर दो विदेशी पर्वतारोहियों की मौत
  • 2012 में सतोपंथ ग्लेशियर क्रेवास गिरकर आस्ट्रेलिया के एक पर्वतारोही मौत
  • 2012 में वासूकी ताल के पास एवलांच आने से बंगाल के 5 पर्यटकों की मौत
  • 2008 में कालिंदीपास में एवलांच आने के कारण बंगाल के 3 पर्वतारोही और 5 पोर्टर की मौत
  • 2005 में सतोपंथ चोटी पर आरोहण के दौरान एवलांच से सेना के एक पर्वतारोही की मौत
  • 2005 में चौखम्बा में एवलांच से 5 पर्वतारोहियों की मौत हुई
  • 2004 में कालिंदीपास में एवलांच से 4 पर्वतरोहियों की मौत
  • 2004 में गंगोत्री-2 चोटी में एवलांच से बंगाल के 4 पर्वतारोहियों की मौत
  • 1999 में थलयसागर चोटी में आरोहण के दौरान तीन विदेशी पर्वतारोहियों की मौत
  • 1996 में केदारडोम चोटी पर एवलांच से कुमांऊ मंडल के 2 पर्वतारोहियों की मौत
  • 1996 में भागीरथी-टू चोरी पर एवलांच से कोरिया के एक पर्वतारोही की मौत
  • 1990 में केदारडोम चोटी पर एवलांच आने से पांच पर्वतारोहियों की मौत

एवलांच क्‍या होता है?

एवलांच तब आता है जब ऊंची चोटियों पर ज्यादा मात्रा बर्फ जम जाती है और दबाव ज्यादा होने पर बर्फ अपनी जगह से खिसक जाती है। बर्फ की परतें खिसती हैं और तेज बहाव के साथ नीचे की ओर बहने लगती हैं। रास्ते में जो कुछ आता है उसे ये बहा ले जाते हैं।

क्रेवास क्‍या होता है?

ग्‍लेशियर और हिमायली क्षेत्रों में संकरी खाइयों या बड़ी दरारों को क्रेवास कहते हैं। इनके ऊपर बर्फ की परत जमा रहती है। इसलिए ये दरारें ऊपर से नहीं दिखती हैं।


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