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योग में सर्टिफिकेट प्रोग्राम शुरू करेगा आयुर्वेद विवि नए सत्र से शुरू किए जाएंगे कोर्स

योग का क्रेज आज देश ही नहीं दुनियाभर में बढ़ रहा है। यह अब शरीर को स्वस्थ रखने का विज्ञान ही नहीं रहा बल्कि एक इंडस्ट्री का रूप लेता जा रहा है। यानी योग के जरिए व्यक्ति सेहत और कॅरियर दोनों संवर सकता है।

By Sumit KumarEdited By: Updated: Thu, 24 Dec 2020 06:10 AM (IST)
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योग का क्रेज आज देश ही नहीं दुनियाभर में बढ़ रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून: योग का क्रेज आज देश ही नहीं दुनियाभर में बढ़ रहा है। यह अब शरीर को स्वस्थ रखने का विज्ञान ही नहीं रहा, बल्कि एक इंडस्ट्री का रूप लेता जा रहा है। यानी योग के जरिए व्यक्ति सेहत और कॅरियर दोनों संवर सकता है। इसी को देखते हुए उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय युवाओं के लिए नए विकल्प खोलने जा रहा है। विवि नए सत्र से योग में सर्टिफिकेट प्रोग्राम शुरू करेगा। 

विवि के कुलपति डॉ. सुनील जोशी का कहना है कि आज योग व प्राकृतिक चिकित्सा के फायदों के प्रति लोगों की दिलचस्पी की वजह से इससे जुड़े लोगों के लिए भी अवसरों में इजाफा हुआ है। आने वाले कुछ सालों में इसकी मांग बढऩे वाली है। योग, विज्ञान और नेचुरोपैथी का अनूठा संगम है, जिसमें कॅरियर की अपार संभावनाएं हैं। विश्वविद्यालय व इससे संबद्ध संस्थानों में अभी नेचुरोपैथी एंड योगा साइंस में ग्रेजुएट कोर्स संचालित किया जा रहा है। अब सर्टिफिकेट प्रोग्राम शुरू करने की तैयारी है। इन शॉर्ट टर्म कोर्स में शिक्षार्थी योग के मूल सिद्धांतों और अभ्यास को समझेगा। इसके जरिए उसके लिए रोजगार के तमाम रास्ते खुल जाएंगे। आज तमाम ऐसे संस्थान हैं जहां योग एक्सपर्ट की डिमांड है। यही नहीं योग शिक्षक अपना खुद का काम भी शुरू कर सकते हैं। 

पीएचडी का रास्ता साफ

आयुर्वेद विश्वविद्यालय में पीएचडी का रास्ता साफ हो गया है। सत्र 2021-22 में 12 विषयों की 76 सीट पर पीएचडी होगी। विवि की आंतरिक कमेटी ने प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है, जिसे अब एकेडमिक काउंसिल में रखा जाएगा। बता दें, विवि में पीएचडी को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है। वर्ष 2015-16 में पहली बार विवि में पीएचडी प्रवेश परीक्षा कराई गई थी।

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जिसका रिजल्ट जारी होने के बाद विवि ने गाइड भी आवंटित कर दिए। पर इसके दो साल बात तक भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी। गत वर्ष इसकी जांच कराई गई। जिसमें पूरी प्रक्रिया नियमविरुद्ध पाई गई। जिस पर विवि प्रशासन ने इसे रद कर दिया था। अब विवि के कुलपति डॉ. सुनील जोशी ने नए सिरे से इसकी कवायद शुरू की है।

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