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आयुष्मान योजना के फायदे: कीजिए अच्छा उपचार, पाइए 50 प्रतिशत अग्रिम 'उपहार', पर झूठे दावे पर वसूली जाएगी पूरी राशि

Ayushman Yojana Benefits आयुष्मान योजना का फायदा अब मरीजों के साथ-साथ अस्पतालों को भी होगा। मरीजों का बेहतर उपचार कर रहे अस्पतालों को 50 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का उपहार दिया जाएगा। हालांकि अगर किसी अस्पताल का दावा झूठा निकलता है तो आगे उसे जो शेष 50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान होना है उसमें से उसे काट लिया जाएगा ।

By Jagran News Edited By: Aysha SheikhUpdated: Fri, 05 Jan 2024 09:52 AM (IST)
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आयुष्मान योजना के फायदे: कीजिए अच्छा उपचार, पाइए 50 प्रतिशत अग्रिम 'उपहार', पर झूठे दावे पर वसूली जाएगी पूरी राशि

जागरण संवाददाता, देहरादून। आयुष्मान योजना में मरीजों का बेहतर उपचार कर रहे अस्पतालों को 50 प्रतिशत अग्रिम भुगतान का उपहार दिया जाएगा। मरीज के इलाज के बाद जैसे ही अस्पताल प्रबंधन पोर्टल पर कुल खर्च हुई धनराशि का दावा करेगा तो तत्काल उसके खाते में यह धनराशि भेज दी जाएगी।

बाकी धनराशि जांच की औपचारिकता पूरी होने के बाद दी जाएगी। इसके लिए उत्तराखंड में ग्रीन चैनल पेमेंट की शुरुआत की जा रही है। इसके तहत अच्छा प्रदर्शन करने वाले निजी व सरकारी अस्पतालों को प्रोत्साहित किया जाएगा।

गुरुवार को आयोजित कायाकल्प सम्मान समारोह में स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि ग्रीन चैनल पेमेंट से वह अस्पताल जुड़ेंगे, जिनका ट्रैक रिकार्ड अच्छा है। ऐसे अस्पताल जहां लाभार्थियों को किसी तरह की असुविधा का सामना नहीं करना पड़ता, वह तय नियमों का पालन करते हैं व क्लेम में किसी तरह की गड़बड़ी नहीं होती तो उन्हें फंड की दिक्कत नहीं रहेगी।

गड़बड़ी की तो अस्पतालों से होगी वसूली

अगर किसी अस्पताल का दावा झूठा निकलता है तो आगे उसे जो शेष 50 प्रतिशत धनराशि का भुगतान होना है, उसमें से उसे काट लिया जाएगा। अगर फिर भी रकम ज्यादा है तो उसे आगे की जाने वाली क्लेम अदायगी से धनराशि वसूली जाएगी। इन्हें ग्रीन चैनल पेमेंट सिस्टम से भी बाहर कर दिया जाएगा।

सात दिन में होता है भुगतान

राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण (एनएचए) की ओर से क्लेम भुगतान करने के लिए 15 दिन का मानक निर्धारित है, लेकिन उत्तराखंड में सात दिन के भीतर अस्पतालों को क्लेम का भुगतान किया जा रहा है।

अस्पताल मरीज के इलाज पर आने वाले खर्च का क्लेम राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण को भेजते हैं। प्राधिकरण की ओर से क्लेम का आडिट किया जाता है। जिसके बाद अस्पतालों को भुगतान किया जाता है।

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