Bajrang Setu Rishikesh : केदारनाथ मंदिर की आकृति के बनेंगे पुल के टावर, कांच का होगा पैदल पथ, पढ़ें खास बातें
Bajrang Setu Rishikesh लक्ष्मणझूला सेतु के विकल्प के रूप में गंगा नदी पर बजरंग सेतु का निर्माण किया जा रहा है। लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर खंड के अधिशासी अभियंता मो. आरिफ खान ने बताया कि नए सेतु के लिए गंगा के दोनों किनारों पर फाउंडेशन का काम जारी है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Sat, 05 Nov 2022 11:28 AM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : Bajrang Setu Rishikesh : तीर्थनगरी में ऐतिहासिक पहचान रखने वाले लक्ष्मणझूला सेतु के विकल्प के रूप में गंगा नदी पर बजरंग सेतु का निर्माण किया जा रहा है।
लोक निर्माण विभाग की मानें तो आगामी वर्ष 2023 के जुलाई माह में इस सेतु का निर्माण पूरा कर दिया जाएगा। हालांकि आगामी नौ माह में यह कार्य पूरा करना किसी चुनौती से कम भी नहीं है। थ्री लेन के इस बजरंग सेतु के लिए वर्तमान में गंगा के दोनों ओर फाउंडेशन का काम जारी है।
ब्रिटिश शासनकाल में 1927 से 29 के बीचलक्ष्मणझूला सेतु का निर्माण
- गंगा नदी पर तपोवन के नीचे लक्ष्मणझूला सेतु का निर्माण ब्रिटिश शासनकाल में वर्ष 1927 से 29 के बीच किया गया था।
- 12 जुलाई 2019 में लोक निर्माण विभाग की सेफ्टी आडिट रिपोर्ट में इस पुल को असुरक्षित मानते हुए प्रशासन ने इस पुल को आवाजाही के लिए बंद कर दिया था। जिसके बाद से ही लक्ष्मणझूला पुल के नए विकल्प के लिए कसरत शुरू हो गई थी।
- इस नए पुल की जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग को सौंपी गई थी।
- नए पुल के लिए लोक निर्माण विभाग ने डीपीआर तैयार कर प्रदेश सरकार के माध्यम से केंद्रीय सड़क निधि में स्वीकृति के लिए भेजा था।
- जुलाई 2019 के बाद लक्ष्मणझूला पुल पर आवाजाही बंद होने के कारण स्थानीय नागरिकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
बजरंग सेतु के रूप में लक्ष्मणझूला सेतु का विकल्प
पुल का कोई विकल्प न होने के कारण यहां दोनों ओर का बाजार भी प्रभावित है। खास कर पर्यटन काल, कुंभ मेला और कांवड़ मेले में इस पुल की अहमियत सबसे महत्वपूर्ण रहती है। जिसे देखते हुए इस पुल को समय पर तैयार करने की भी बड़ी जिम्मेदारी लोक निर्माण विभाग के ऊपर है।यह भी पढ़ें - मोरबी हादसे के बाद चर्चा में लक्ष्मण झूला, IIT Roorkee के अनफिट बताने के बाद भी तीन साल तक हुई थी आवाजाहीबहरहाल सबकुछ ठीक रहा तो शीघ्र ही बजरंग सेतु के रूप में लक्ष्मणझूला सेतु का विकल्प यहां तैयार हो जाएगा। लोक निर्माण विभाग नरेंद्रनगर खंड के अधिशासी अभियंता मो. आरिफ खान ने बताया कि नए सेतु के लिए गंगा के दोनों किनारों पर फाउंडेशन का काम जारी है। बीस पाइल फाउंडेशन तैयार कर दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि तय समय पर इस पुल का निर्माण कर दिया जाएगा।
133 मीटर लंबा और आठ मीटर चौड़ा होगा बजरंग सेतु
- लक्ष्मणझूला पुल के विकल्प के रूप में तैयार किया जा रहा बजरंग सेतु अपने आप में तकनीकी का एक बेजोड़ नमूना होगा।
- कुल 133 मीटर लंबे और आठ मीटर चौड़ाई वाला यह पुल थ्री लेन का होगा।
- इस पुल के बीच में छोटे चौपहिया वाहन गुजर सकेंगे।
- बजरंग सेतु के बीच में ढाई-ढाई मीटर की डबल लेन दुपहिया और चौपहिया वाहनों के लिए होगी।
- पुल के दोनों तरफ 1.5 मीटर का पैदल पथ होगा।
- यह पैदल पथ कांच का बना होगा।
- इस कांच की मोटाई 65 मिमी होगी, जो बेहद मजबूत होता है।
- इस पर खड़े होकर सैलानी 57 मीटर ऊंचाई से गंगा की बहती जलधारा का अद्भुत नजारा देख सकेंगे और इस पर चहलकदमी कर सकेंगे।
- इस पुल के लिए कुल 68 करोड़ रुपये की वित्तीय स्वीकृति प्रदान की गई थी।
- जिसके निर्माण के लिए पहले चरण में लोक निर्माण विभाग को 18 करोड़ 78 लाख रुपये की राशि भी अवमुक्त की गई थी।
केदारनाथ मंदिर की आकृति के होंगे पुल के टावर
बजरंग सेतु के दोनों ओर जो टावर बनाए जा रहे हैं, उनकी ऊंचाई करीब 27 मीटर होगी। इन टावर की विशेषता यह है कि यह टावर केदारनाथ मंदिर की आकृति की तर्ज पर बनाया जाएंगे। जो दूर से देखने में केदारनाथ मंदिर की झलक पेश करेंगे।
इस सेतु को स्टेट आफ आर्ट के तौर पर विकसित किया जाएगा, जो अपने आप में अभिनव कलाकृति होगी। जिस तरह लक्ष्मणझूला सेतु कई दशकों तक देश विदेश के पर्यटकों और तीर्थयात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहा, ठीक उसी तरह बजरंग सेतु भी आने वाले समय में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगा।
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