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Coronavirus: उत्तराखंड में डॉक्टरों और स्टाफ की छुट्टियों पर रोक

कोरोना वायरस की दस्तक से अब सूबे का स्वास्थ्य महकमा भी अलर्ट मोड पर दिख रहा है। विभाग ने सभी डॉक्टरों और स्टाफ की छुट्टियों पर रोक लगा दी है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Thu, 05 Mar 2020 01:58 PM (IST)
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Coronavirus: उत्तराखंड में डॉक्टरों और स्टाफ की छुट्टियों पर रोक
देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस की दस्तक से देशभर में हड़कंप मच गया है। जिसके बाद अब सूबे का स्वास्थ्य महकमा भी अलर्ट मोड पर दिख रहा है। विभाग ने सभी डॉक्टरों और स्टाफ की छुट्टियों पर रोक लगा दी है। इस संबंध में जिलों को एडवाइजरी जारी की गई है। अपरिहार्य कारण या किसी आपात स्थिति को छोड़कर अगले कुछ वक्त तक छुट्टियां रद कर दी गई हैं। 

चीन के वुहान से शुरू हुआ कोरोना वायरस का संक्रमण दुनिया के ज्यादातर देशों तक पहुंच चुका है। यही नहीं, अब भारत में भी इसकी दस्तक हो चुकी है। ऐसे में पहले से एहतियात बरत रहा स्वास्थ्य महकमा अब कहीं ज्यादा सतर्क दिख रहा है। पूरा सरकारी अमला इस चुनौती से निपटने की तैयारी में जुट गया है। 

अस्पतालों में व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया जा रहा है। सुकून की बात यह है कि अभी तक प्रदेश में इसका एक भी मामला प्रकाश में नहीं आया है। बहरहाल, एक तरफ तरफ जहां आला अधिकारी लगातार स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं। साथ ही स्वास्थ्य कर्मियों की छुट्टियों पर भी रोक लगा दी गई है। 

स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती का कहना है कि सभी जनपदों को एडवाइजरी जारी की गई है। अधिकारियों को ताकीद की है कि डॉक्टर व स्टाफ को अनावश्यक छुट्टी न दी जाए। कोरोना की आशंका को देखते हुए अगले कुछ वक्त तक अपरिहार्य या आपात स्थिति में ही छुïट्टी स्वीकृत की जाएगी। 

कोरोना-दून अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड तैयार

दून मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने दून अस्पताल में कोरोना मरीजों के इलाज की सुविधा को लेकर व्यवस्थाएं जांची।

उन्होंने बताया कि कोरोना संदिग्ध मरीजों के लिए अस्पताल द्वारा आइसोलेशन वार्ड और मरीजों के साथ ही कर्मचारियों के लिए मास्क की व्यवस्था की गई है। कोरोना वायरस से ग्रसित या संदिग्ध मरीजों के लिए इमरजेंसी के पास एक अलग कमरा बनाया गया है। 

जिसमें मरीजों को देखा जाएगा। अगर मरीज में कोरोना वायरस की पुष्टि होती है तो मरीज को आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया जाएगा। प्राचार्य ने बताया कि सभी दवाएं, किट और मास्क आदि जरूरी सुविधाएं दी गई हैं। सभी डॉक्टरों, नर्सों और अन्य कर्मचारियों को अलर्ट पर रहने को कहा गया है। इस अवसर पर डिप्टी एमएस डॉ. मनोज शर्मा सीनियर फार्मासिस्ट सुधा कुकरेती, पीआरओ महेंद्र भंडारी, एपीआरओ संदीप राणा आदि शामिल रहे।

हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी कोरोना की जांच

कोरोना संदिग्ध मरीज का ब्लड सैंपल अब जांच के लिये बाहर नहीं भेजना होगा। बल्कि राज्य में ही उसकी जांच हो जाएगी। राजकीय मेडिकल कालेज हल्द्वानी को भी जांच की मंजूरी मिल गई है।

दरअसल, कोरोना से बचाव के लिये केंद्र सरकार कई चरणों में काम कर रही है। ताकि प्राथमिक स्तर पर ही बीमारी को पकड़ा जा सके। ऐसे में देशभर में 31 लैब में जांच की सुविधा दी गयी है। हालांकि कोरोना वायरस के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि इसके लक्षण साधारण सर्दी-बुखार की तरह ही होते हैं और लंबे वक्त तक एक्सपोजर के बाद भी दिखाई नहीं देते। वायरस संक्रमित स्वस्थ व्यक्ति में ये सामने आने में 24 दिन का भी वक्त ले सकते हैं। 

यही वजह है कि मरीजों को लेकर बहुत ज्यादा सर्तकता बरती जा रही है। पहले संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेकर उसकी जांच के लिए भेजा जाता है और उन्हें अस्पताल के अलग वार्ड में रखा जाता है। सैंपल निगेटिव आने के बाद भी उन्हें होम क्वेरेंटाइन या सेल्फ क्वेरेंटाइन में रहने की सलाह दी जाती है। 

यानी घर लौटकर भी कुछ दिनों के अलग-थलग रहना और लक्षणों पर गौर करना। अगर स्वास्थ्य में थोड़ा भी फर्क हो तो स्वास्थ्य कर्मी दोबारा उनसे संपर्क करते हैं और फिर जांच की जाती है। अभी तक सैंपल पुणे स्थित नेशनल वायरोलॉजी लैब में जांच के लिये भेजा जाता था। जिसकी रिपोर्ट आने में काफी वक्त लग जाता था।

कोरोना से प्रदेश का दवा निर्यात भी हुआ प्रभावित

चीन में कोरोना वायरस के चलते राज्य की फार्मा सप्लाई चेन बुरी तरह से बाधित है। चीन से आने वाले जरूरी फॉर्मयुलेशन (कच्चा रासायनिक पदार्थ) करीब एक माह से ठप पड़ गया है, जिससे उत्पादन गिरता जा रहा है। तो तैयार दवाइयां हैं, उनका चीन में निर्यात पूरी तरह ठप पड़ा है। 

कोरोना के अन्य देशों में फैलने के कारण कम से कम एक महीने तक हालात सामान्य होने की आशा नहीं है। फार्मा इंडस्ट्री की लागत बढ़ती जा रही है। पहले ही कच्चा माल बंद है, अब तैयार फार्मा गुड्स का निर्यात भी ठप है। जिससे राज्य के उद्योगपति चिंतित हैं।

फॉर्मयुलेशन का आयात पूरी तरह ठप होने से घर-घर में इस्तेमाल होने वाली दवा जैसे पैरासिटामोल व बैक्टीरियल इन्फेक्शन में इस्तेमाल होने वाले एंटीबॉयोटिक एजिथ्रोमाइसिन की कीमतों में इजाफा होने लगा है। 

भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) उत्तराखंड राज्य परिषद के अध्यक्ष अशोक विंडलास के मुताबिक, घरेलू फार्मा इंडस्ट्री चीन से आने वाले इनग्रेडिएंट्स पर बहुत ज्यादा निर्भर है, जिनके इस्तेमाल से यहां दवाएं बनाई जाती हैं। कोरोना वायरस के चलते चीन में कई प्लांट ने अपने यहां प्रोडक्शन बंद कर दिया है। जिससे इन इनग्रेडिएंट्स की भारत में सप्लाई ठप पड़ गई है। 

इसी वजह से सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले पेरासिटामोल की कीमतें भारत में 40 फीसदी तक बढ़ गई हैं, जबकि बैक्टीरियल इनफेक्शन में काम आने वाली दवा एजिथ्रोमाइसिन की कीमत में भी इजाफा हुआ है। अभी तैयार दवाइयां देशभर के बाजार में भेजी जा रही हैं, लेकिन जो बड़े हिस्सा चीन को निर्यात किया जाता है, उसकी सप्लाई ठप है।

और बुरे हो सकते हैं हालात

यदि अप्रैल के पहले हफ्ते तक सप्लाई पहले की तरह बहाल नहीं होती है तो राज्य की फार्मा इंडस्ट्री की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं। फार्मा कंपनियों को अप्रैल से ड्रग फॉर्मयुलेशन में कमी का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि राज्य में स्थापित फार्मा उद्योगों के पास कच्चा माल अब महीनेभर से भी कम का रह रहा है।

कोरोना से निपटने के लिए अस्पतालों में मॉक ड्रिल

कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए अस्पताल अब मॉक ड्रिल कर अपनी व्यवस्थाओं का आकलन करेंगे। जिससे आपात स्थिति में स्टाफ की दक्षता और हालात पर नियंत्रण का अभ्यास बना रहे। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. अमिता उप्रेती ने अधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए हैं। उन्होंने पैरामेडिकल स्टाफ को प्रशिक्षण देने का निर्देश भी दिया है। 

कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका को देखते हुए स्वास्थ्य महानिदेशक ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से स्थिति की समीक्षा की। उन्होंने कहा कि देश में कोरोना के मामले सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने अत्याधिक सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं। 

उत्तराखंड की भौगोलिक संवेदनशीलता को देखते हुए राज्य में भी सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। डीजी ने कहा कि किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए जनपद स्तर पर जिलाधिकारियों को नोडल अधिकारी नामित किया गया है। इसके अलावा मुख्य चिकित्साधिकारियों को बचाव, नियंत्रण और उपचार को की जा रही व्यवस्थाओं के लिए उत्तरदायी बनाया गया है। 

उन्होंने मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया कि कोरोना वायरस के संक्रमण की आशंका को देखते हुए कम से कम तीन माह के लिए आवश्यक दवाओं का स्टॉक रखें। क्योंकि, इस रोग की अधिकांश दवाओं के लिए कच्चे माल की आपूर्ति चीन से होती है। जिसे वर्तमान में बंद कर दिया गया है। 

डीजी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि अन्य सरकारी कार्यों के स्थान पर कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव एवं नियंत्रण की कार्रवाई को प्रथम वरीयता देते हुए उच्च निगरानी व सतर्कता बरतें। 

सभी जनपद चिकित्सक व कार्मिकों के मोबाइल नंबर मुख्यालय को प्रेषित करें ताकि समन्वय बना रहे। इस दौरान निदेशक डॉ. तृप्ति बहुगुणा, डॉ. एसके गुप्ता, डॉ. अंजलि नौटियाल, आइएमए से डॉ. संजय उप्रेती, मैक्स अस्पताल के चिकित्सक व स्वास्थ्य महानिदेशालय के अधिकारी उपस्थित रहे। 

इलेक्ट्रानिक उत्पादन पर भी असर

कोरोना वायरस का असर इलेक्ट्रानिक व मोबाइल फोन बिजनेस पर भी दिख रहा है। चीन में शटडाउन के कारण मोबाइल फोन के कुछ भारतीय मेन्युफैक्चररर्स को प्रोडक्शन में दिक्कतें हो रही हैं। इसका असर अब दिखने लगा है। उत्तराखंड में मोबाइल का आयात आगे से कम होने लगा है। जल्द ही हालात नहीं सुधरे तो कई मोबाइल सेंटरों में नामी कंपनियों के मोबाइल नहीं मिलेंगे। इससे प्रदेश के रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

उत्तराखंड इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज गुप्ता के अनुसार, देश में 2017-18 में 55 बिलियन डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक सामान चीन से आयात किया गया था। इस दौरान सेलुलर मोबाइल हैंडसेट का प्रोडक्शन मार्च 2018 में समाप्त वर्ष में 225 मिलियन यूनिट तक पहुंच गया। चूंकि राज्य के उद्योग सीधे देश के औद्योगिक जगत से जुड़े हैं। कोरोना वायरस के कारण उत्तराखंड के उद्योग प्रभावित हैं।

रायपुर स्पोर्ट्स कॉलेज में आइसोलेशन की सुविधा 

जनपद देहरादून में रायपुर स्पोर्ट्स कॉलेज में भी आइसोलेशन/क्वारेंटाइन फैसिलिटी तैयार की जाएगी। डीजी हेल्थ ने मुख्य चिकित्साधिकारी को निर्देश दिया है कि  वह जिलाधिकारी के माध्यम से इस ओर कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि ऊधमसिंहनगर या हल्द्वानी के समीप एक ऐसा अस्पताल चिह्नित किया जाए, जहां कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों को अलग रखे जाने (क्वारेंटाइन) की व्यवस्था की जा सके। 

यह कुमाऊं मंडल में किसी भी आपात स्थिति के लिए कारगर रहेगा। इसी प्रकार हरिद्वार स्थित मेला अस्पताल को आइसोलेशन फैसिलिटी के तौर पर तैयार करने के निर्देश उन्होंने दिए हैं। कहा कि जौलीग्रांट स्थित हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और एसपीएस चिकित्सालय ऋषिकेश को भी आइसोलेशन/ क्वारेंटाइन फैसिलिटी के तौर पर उपयोग में लाया जाए। 

जागरुकता पर जोर 

स्वास्थ्य महानिदेशक ने निर्देश दिया है कि कोरोना को लेकर आम जन को ज्यादा से ज्यादा जागरूक किया जाए। जिससे इसे लेकर भय का माहौल न रहे। उन्होंने कहा कि स्कूल, मदरसा व अन्य शैक्षणिक संस्थाओं में इससे बचाव की जानकारी दी जाए। स्वच्छता पर लोगों को शिक्षित किया जाए। आशा कार्यकर्ता और राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम ग्रामीण स्तर पर प्रचार-प्रसार व जागरूकता की कमान संभाले। आम जन को बचाव, स्वच्छता व पोषणयुक्त खानपान को लेकर जागरूक किया जाए। 

सेना, आइटीबीपी भी जुड़ेंगे साथ 

मुख्य चिकित्साधिकारियों को निर्देशित किया गया है कि वह जिलाधिकारी के समन्वय से सेना, आइटीबीपी, एसएसबी, ईएसआइ, रेलवे व अन्य सरकारी उपक्रमों के अस्पतालों को भी अलर्ट रखें। उनके स्तर पर उपलब्ध चिकित्सक, स्टाफ और सुविधाओं को किसी भी आपात स्थिति में उपयोग में लाने की कार्ययोजना तैयार कर ली जाए। 

निजी अस्पतालों के संसाधनों का भी इस्तेमाल 

कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए निजी अस्पतालों के साथ भी समन्वय जरूरी है। जिसके लिए मुख्य चिकित्साधिकारियों को आवश्यक निर्देश दिए गए हैं। उनसे कहा गया है कि निजी अस्पताल व मेडिकल कॉलेजों से समन्वय स्थापित कर आइसोलेशन वार्ड, आइसीयू, वेंटीलेटर, ऑक्सीजन आपूर्ति आदि का पूरा डाटा तैयार रखें। जिससे किसी भी आपात स्थिति में बिना किसी अवरोध उनका सहयोग प्राप्त हो सके। 

कोरोना-मास्क की शुरू हुई कालाबाजारी

कोरोना की वजह से बाजार में मास्क की कालाबाजारी भी शुरू हो गई है। बाजार में पिछले 15-20 दिनों से मास्क की भारी किल्लत बनी हुई है। हालात इतने खराब हो चुके हैं कि डिस्ट्रिब्यूटर दुकानदारों को भी मास्क तीन गुना ऊंचे दामों में उपलब्ध कराने की बात कह रहे हैं। इससे दुकानदार मास्क की डिमांड पूरी नहीं कर पा रहे हैं। 

दून अस्पताल चौक स्थित रिलेक्स मेडिकल स्टोर के संचालक भानू मक्कड़ ने बताया कि मास्क की किल्लत जारी है। उन्होंने बताया कि बाजार में दो तरह के मास्क की डिमांड है। पहला सर्जिकल, जो पहले उन्हें दो रुपये में भी आसानी से मिल जाता था, लेकिन पिछले 15-20 दिनों से 10 रुपये के होलसेल रेट पर मिल रहा है। 

इतना ही नहीं, मास्क की डिमांड भी पूरी नहीं हो पा रही है। इसके अलावा सबसे ज्यादा एन-95 मास्क की डिमांड बनी हुई है, जो पहले 100 रुपये में मिल जाता था, लेकिन अब 300 रुपये में भी नहीं मिल पा रहा है। बाजार में मास्क की डिमांड बढ़ते ही कालाबाजारी शुरू हो गई है।

चारधाम यात्रा को लेकर भी झलकी चिंता

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव की रणनीति तैयार कर रहे स्वास्थ्य विभाग के सामने कई चुनौतियां मुंह बाये खड़ी हैं। 26 अप्रैल से चारधाम यात्रा शुरू होनी है, जिसमें बहुत ज्यादा वक्त नहीं है। इसका बाद मई में मानसरोवर यात्रा भी होनी है। ऐसे में चुनौती यह है कि कोरोना की आशंका के बीच यात्रा निर्विघ्न कैसे संपन्न कराई जाएं। 

कोरोना वायरस संक्रमण के बचाव को लेकर आयोजित वीडियो कान्फ्रेंसिंग में चारधाम व मानसरोवर यात्रा को लेकर भी चिंता साफ दिखी। स्वास्थ्य महानिदेशक ने यात्रा की तैयारियों में इस पहलू को भी ध्यान में रखने के निर्देश अधिकारियों को दिए। उन्होंने कहा कि यात्रा सीजन शुरू होते ही लोगों की आवाजाही बढऩे लगेगी। हर साल हजारों की तादाद में श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आते हैं। 

यही नहीं, मानसरोवर यात्रा पर भी बढ़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। ऐसे में अत्याधिक सर्तकता बरतने की आवश्यकता है। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गढ़वाल मंडल में अप्रैल से शुरू होने वाली चारधाम यात्रा व कुमाऊं मंडल में होने वाली मानसरोवर यात्रा के मद्देनजर आवश्यक तैयारी व किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव के लिए कार्ययोजना तैयार कर लें। 

छात्रों को कोरोना वायरस के बारे में बताएंगे स्कूल

सीबीएसई से संबद्ध सभी स्कूलों में छात्रों को कोरोना वायरस के बारे में जानकारी दी जाएगी। इस बाबत बोर्ड ने स्कूलों को निर्देश जारी किया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से निर्देश जारी होने के बाद सीबीएसई ने अपने सभी क्षेत्रीय केंद्रों को पत्र जारी किया है। जिसमें छात्रों को कोरोना वायरस के संबंध में जागरूक करने का निर्देश दिया गया है। 

पत्र में यह भी बताया गया है कि कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए क्या एहतियात बरतें। इसके तहत नियमित अंतराल में हाथ धोने, खांसते या छींकते समय रुमाल का इस्तेमाल करने, बीमार होने पर स्कूल न आने और सार्वजनिक जगहों पर न जाने की अपील की गई है। सीबीएसई के क्षेत्रीय निदेशक रणबीर सिंह ने बताया कि कोरोना के प्रति जागरूकता फैलाने के लिए सभी स्कूलों से दिशा-निर्देशों का पालन करने को कहा है। जिससे इसे फैलने से रोकने में आसानी होगी।

कोरोना को लेकर पुलिस भी अलर्ट

देश में कोरोना पीडि़तों के मिलने के बाद से पुलिस भी अलर्ट हो गई है। डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को ड्यूटी के वक्त मास्क पहनने और हैंड सेनेटाइजर का उपयोग करने को कहा है। देश के अलग-अलग हिस्सों में कोरोना के मरीज मिलने के बाद केंद्र सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी के बाद पुलिस भी हरकत में आ गई है।

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दरअसल, अधिकांश पुलिसकर्मी ड्यूटी के वक्त फील्ड में होते हैं और असंख्य लोगों के संपर्क में आते हैं। इसे देखते हुए डीआइजी अरुण मोहन जोशी ने सभी पुलिसकर्मियों को सतर्क रहने का सलाह दी है। डीआइजी ने पुलिस कर्मियों को संक्रमण से बचाने के लिए विशेष प्रकार के मास्क खरीदने के भी निर्देश दिए हैं। यह उन पुलिस कर्मियों को प्राथमिकता के आधार पर उपलब्ध कराए जाएंगे, जो सीधे तौर पर जनता के संपर्क में आकर उनसे संवाद करते हैं।

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