निजीकरण के विरोध में दूसरे दिन भी हड़ताल पर रहे बैंक कर्मचारी, शहर के अधिकतर एटीएम खाली
केंद्र सरकार की ओर से लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण के फैसले के विरोध में मंगलवार को दूसरे दिन भी कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। निजीकरण के विरोध में बैंकर्स की हड़ताल को ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन मिला। ट्रेड यूनियनों ने बैंक कर्मियों के साथ प्रदर्शन किया।
जागरण संवाददाता, देहरादून : केंद्र सरकार की ओर से लिए राष्ट्रीयकृत बैंकों के निजीकरण के फैसले के विरोध में मंगलवार को दूसरे दिन भी कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। निजीकरण के विरोध में बैंकर्स की हड़ताल को ट्रेड यूनियनों का भी समर्थन मिला। ट्रेड यूनियनों ने बैंक कर्मियों के साथ प्रदर्शन किया। उधर, बैंकों में काम नहीं होने के कारण आम जन को परेशानी का सामना करना पड़ा। शहर के अधिकतर एटीएम में नकदी खत्म हो गई और लोग एक एटीएम से दूसरे एटीएम के चक्कर काटते रहे।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस (यूबीएफयू) के उत्तराखंड संयोजक समदर्शी बड़थ्वाल के नेतृत्व में सुबह बैंक कर्मचारी एस्लेहाल चौक स्थित पंजाब नेशनल बैंक की शाखा के बाहर एकत्र हुए। यहां से गांधी पार्क, कुमार स्वीट शॉप होते हुए घंटाघर व वहां से वापस एस्लेहॉल तक रैली निकाली गई। यहां करीब दो घंटे तक कर्मचारियों ने केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। वहीं, अखिल भारतीय राष्ट्रीयकृत बैंक अधिकारी महासंघ (उत्तराखंड) के सचिव इंद्र परमार के नेतृत्व में बैंक कर्मचारियों ने राजपुर रोड स्थित केनरा बैंक से गांधी पार्क तक रैली निकालकर प्रदर्शन किया। इस दौरान इंटक के प्रदेश अध्यक्ष हीरा सिंह बिष्ट, एटक के समर भंडारी व कांति चंदोला, सीटू के लेखराज, कॉमरेड पीआर कुकरेती, राजन पुंडीर, सीके जोशी, टीपी शर्मा, वीके जोशी, टीएस पांगती, आरपी शर्मा, प्रवीण जॉली, राकेश चंद्र उनियाल, दीपक रावत, शार्दूल ढौंढियाल, शिखर जोशी, एएस भाकुनी, अमित जुयाल, अंकिता कंडारी, अनुज भट्ट समेत अन्य मौजूद रहे।
भटकते रहे लोग
हड़ताल के चलते नकदी के लिए आम जन ने एटीएम का रुख किया। मगर वहां पर भी नकदी नहीं मिल सकी। जिन एटीएम से पैसे निकल भी रहे थे, वहां लंबी लाइनें दिखाई दीं। बैंकों ने विगत शुक्रवार को एटीएम बूथों में कैश लगाया था। जिस कारण सोमवार दोपहर बाद अधिकांश एटीएम खाली हो गए। देर शाम तक कुछ एटीएम में नौ कैश का बोर्ड लग गया था।
दो दिन में 1500 करोड़ का लेन-देन रुका
हड़ताल में दो हजार बैंक शाखाओं के करीब 15 हजार अधिकारी-कर्मचारी शामिल हुए। इसका व्यापक असर भी देखने को मिला। दो दिन तक बैंकों में क्लीयङ्क्षरग हाउस न लग पाने से करीब 1500 करोड़ का लेन-देन ठप रहा। चेक और ड्राफ्ट का क्लीयरेंस नहीं हो सका। साथ ही नकदी का लेन-देन, आरटीजीएस, नेफ्ट आदि कार्य भी ठप रहे।
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