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Coronavirus: कोरोना के साथ डिप्रेशन से भी लड़ाई, हेल्पलाइन नंबरों पर लें सलाह

कोरोना का भय और भविष्य की चिंता लोगों के दिमाग से नहीं निकल पाई। ऐसे में लोग नकारात्मक विचारों से घिरते जा रहे हैं। तनाव को दूर करके ही ऐसे विचारों से लड़ा जा सकता है।

By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Bhanu Prakash SharmaUpdated: Thu, 02 Jul 2020 08:49 AM (IST)
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देहरादून, जेएनएन। कोरोनाकाल में मानसिक स्वास्थ्य का मुद्दा भी तेजी से उभरा है। अनलॉक 1.0 में सरकार ने भले की कई गतिविधियों में छूट दी, मगर कोरोना का भय और भविष्य की चिंता लोगों के दिमाग से नहीं निकल पाई। ऐसे में लोग नकारात्मक विचारों से घिरते जा रहे हैं। 

विशेषज्ञों के मुताबिक भय और अनिश्चितता का यह माहौल लोगों के मानसिक स्वास्थ्य पर असर डाल रहा है। बच्चे अपने भविष्य को लेकर असमंजस में हैं तो किसी को अपनी नौकरी व कॅरियर की चिंता सता रही है। किसी पर वित्तीय स्थिति ठीक करने का तनाव है।  

यह चिंताएं कई बार अवसाद का रूप ले लेती हैं और कुछ लोग तो आत्महत्या तक की कगार पर पहुंच जाते हैं। इसलिए अगर कभी डिप्रेशन या किसी मानसिक बीमारी का अहसास हो तो बिना समय गंवाए मनोचिकित्सक से मिलें और अपनी परेशानी के बारे में खुलकर बात करें। 

यह हैं अवसाद के प्रमुख कारक

घबराहट, संक्रमण का भय, अत्यधिक बेचैनी, निरंतर आश्वासन की मांग करते रहने वाला व्यवहार, नींद में परेशानी, बहुत ज्यादा चिंता, बेसहारा महसूस करना और आर्थिक मंदी की आशंका लोगों में अवसाद व व्यग्रता के प्रमुख कारक हैं।

मनोचिकित्सक की राय

न्यूरो साइकोलॉजिस्ट डॉ. सोना कौशल गुप्ता के मुताबिक, समझें कि आपकी सबसे प्यारी चीज आप खुद हैं। कोई स्वजन, मित्र, दौलत, प्रतिष्ठा या नौकरी जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है, लेकिन उतना नहीं जितना आपका खुद का जीवन। आपका जीवन ही एकमात्र ऐसी चीज है, जिसे आप दोबारा नहीं पा सकते। इसलिए खुद को हमेशा सबसे महत्वपूर्ण समझें।

समस्या में न हों विचलित 

मनोवैज्ञानिक डॉ. मुकुल शर्मा का कहना है कि किसी भी समस्या में विचलित नहीं होना चाहिए। समस्या को स्वीकार करें और फिर उस समस्या को हल करने का तरीका ढूंढें। अवसाद में किसी भी व्यक्ति का आत्मबल कमजोर पड़ जाता है। ऐसे में परिवार और दोस्त किसी भी इंसान को बहुत मानसिक संबल दे सकते हैैं। 

तनाव को करें दूर 

-खुद को मानसिक रूप से मज़बूत करना जरूरी है। ध्यान रखना है कि सबकुछ फिर से ठीक होगा और पूरी दुनिया इस कोशिश में जुटी है। बस थोड़ा धैर्य रखें। 

-रिश्तों को मजबूत करें। छोटी-छोटी बातों का बुरा ना मानें। एक-दूसरे से बातें करें और परिवार का ख्याल रखें। नकारात्मक चीजों पर कम बात करें। 

-दिनचर्या को बनाए रखें। इससे हमें एक उद्देश्य मिलता है और सामान्य महसूस होता है। हमेशा की तरह समय पर सोना, जागना, खाना-पीना और व्यायाम करें। 

-अपनी भावनाओं को जाहिर करें। अगर डर, उदासी है तो छुपाएं नहीं, बल्कि स्वजनों या दोस्तों के साथ शेयर करें। 

-जिस बात का बुरा लगता है, उसे पहचानें और जाहिर करें, लेकिन वो ग़ुस्सा कहीं और न निकालें। 

-अपने लिए कुछ समय जरूर निकालें। जो सोच रहे हैं, उस पर विचार करें। अपने आप से भी सवाल पूछें और पॉजिटिव नतीजे पर पहुंचने की कोशिश करें। 

-बुरे वक्त में भी अच्छे पक्षों पर गौर करें। यह बहुत सरल है, अपने आपसास की चीजों को महसूस करने के लिए कुछ वक्त निकालें और उन चीजों की सराहना करें। 

-बहुत अधिक तनाव चिड़चिड़ा बना सकता है। यह ठीक नहीं। अपने काम से नियमित ब्रेक लेकर खुद को हल्का व अधिक सकारात्मक बनाएं। 

तीन माह में 111 लोगों ने की आत्महत्या

उत्तराखंड में बीते तीन माह (23 मार्च से अब तक) में प्रदेश में 111 लोग आत्महत्या कर चुके हैं। अत्महत्या करने वालों की संख्या दून में सर्वाधिक रही। इसके बाद ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार में सबसे ज्यादा लोगों ने अपनी जान ली। जबकि इससे पहले के तीन महीनों में (23 दिसंबर से 22 मार्च तक) 48 लोगों ने आत्महत्या की थी। 

ऐसे बढ़े आत्महत्या के मामले

समयावधि------------------------मौत

23 दिसंबर से 22 जनवरी--------18

23 जनवरी से 22 फरवरी--------11

23 फरवरी से 22 मार्च-----------19  

23 मार्च से 22 अप्रैल------------20

23 अप्रैल से 22 मई-------------36

23 मई से अब तक--------------37

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जागरण हेल्पलाइन 

कोरोनाकाल में अगर आप  भी किसी तरह के तनाव  में हैं या आपका कोई अपना अवसाद में है तो आगामी शनिवार चार जुलाई तक इन नंबरों पर कॉल कर विशेषज्ञ सलाह ले सकते हैं.... 

डॉ. सोना कौशल गुप्ता, न्यूरो साइकोलॉजिस्ट-9897771600 (दोपहर 11 से शाम पांच बजे तक)

डॉ. मुकुल शर्मा मनोचिकित्सक-991706655 (दोपहर दो से शाम छह बजे)

डॉ. वीणा कृष्णन कंसलटेंट क्लीनिकल साइकोलॉजिस्ट-9837157616 (शाम सात से रात आठ बजे)

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