Bhagat Singh Koshyari: भगतदा के पास लंबा राजनीतिक अनुभव, उत्तराखंड में फिर से दिख सकती है सक्रियता
Bhagat Singh Koshyari पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। ऐसे में तीन साल के अंतराल के बाद अब उत्तराखंड में फिर से उनकी सक्रियता दिख सकती है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके शिष्य हैं तो उन्हें उनका मार्गदर्शन मिलना स्वाभाविक है।
By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Mon, 13 Feb 2023 08:51 AM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून: Bhagat Singh Koshyari: महाराष्ट्र के राज्यपाल पद के दायित्व से मुक्त होने के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी ने भले ही पढ़ाई-लिखाई समेत सामाजिक गतिविधियों में समय बिताने की इच्छा जताई हो, लेकिन उत्तराखंड में रहते हुए भी राजनीति से वह स्वयं को शायद ही अलग रख पाएंगे।
भगतदा के पास लंबा राजनीतिक अनुभव है। वह अपने इस अनुभव को अन्य के साथ साझा कर राज्य के विकास में अपनी भूमिका अदा कर सकते हैं। ऐसे में तीन साल के अंतराल के बाद अब उत्तराखंड में फिर से उनकी सक्रियता दिख सकती है।
बतौर राज्यपाल महाराष्ट्र में विवाद में रहा कार्यकाल
महाराष्ट्र के राज्यपाल कोश्यारी ने कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह किया था कि उन्हें सभी राजनीतिक जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया जाए। दरअसल, बतौर राज्यपाल महाराष्ट्र में उनका कार्यकाल कई कारणों से विवाद में रहा। समझा जा रहा है कि इसी कारण उन्होंने पद छोडऩे की इच्छा जताई।यद्यपि तब उन्होंने कहा था कि अब वह पढऩे-लिखने और अन्य गतिविधियों में समय बिताने के इच्छुक हैं। अब जबकि, वह राज्यपाल के पद से मुक्त हो गए हैं तो उत्तराखंड के राजनीतिक गलियारों में राज्य में उनकी भूमिका को लेकर चर्चा होना स्वाभाविक है। भगतदा उत्तराखंड में भाजपा के उन बड़े नेताओं में शामिल हैं, जिनकी छवि कुशल प्रशासक की रही है। उन्हें कुशल सांगठनिक क्षमता वाला राजनेता भी माना जाता है।
भाजपा के बड़े नेताओं में शामिल भगत सिंह कोश्यारी
राज्य गठन के बाद पहली अंतरिम सरकार में जब नित्यांनद स्वामी को कमान सौंपी गई तो तब कोश्यारी ने कई महत्वपूर्ण मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाली। अक्टूबर 2001 में कोश्यारी अंतरिम सरकार में दूसरे मुख्यमंत्री बने। वर्ष 2007 में भाजपा के सत्तासीन होने पर वह मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में शामिल थे। वर्ष 2008 में कोश्यारी ने केंद्र की राजनीति में दस्तक दी और भाजपा ने उन्हें राज्यसभा भेजा।वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी ने उन्हें नैनीताल सीट से टिकट दिया और कोश्यारी जीत दर्ज कर लोकसभा में पहुंचे। वर्ष 2019 में उन्हें पहले गोवा और फिर महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य का राज्यपाल बनाकर भेजा गया। राज्यपाल के तौर पर उनका कार्यकाल लगभग तीन साल का रहा। अब दायित्व से मुक्त होने के बाद अपने गृह राज्य में सक्रिय हो सकते हैं। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी उनके शिष्य हैं तो उन्हें उनका मार्गदर्शन मिलना स्वाभाविक है।
यही नहीं, भगतदा की अपरिमित राजनीतिक क्षमताओं का देखते हुए भाजपा नेतृत्व नहीं चाहेगा कि वह राजनीति से दूर रहें। राज्य में उनकी छवि एक बड़े राजपूत नेता की तो है ही, जातिगत समीकरण को देखते हुए उनकी उपस्थिति ही भाजपा के लिए बड़ा संबल देने वाली होगी। अब जबकि राज्य में इस वर्ष नगर निकाय चुनाव और अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं तो पार्टी उनका भरपूर उपयोग करेगी।
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