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उत्तराखंड: राकेश टिकैत का एलान, मांगें पूरी नहीं हुई तो बार्डर पर भी घेराबंदी करेंगे किसान; भू-कानून का किया समर्थन

भारतीय किसान यूनियन ने एलान किया है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं की गई तो वे उत्तराखंड बार्डर पर घेराबंदी करेंगे। यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने उत्तराखंड में मजबूत भू कानून का समर्थन भी किया है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Wed, 11 Aug 2021 10:09 PM (IST)
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भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत का एलान, मांगें पूरी नहीं हुई तो बार्डर पर भी घेराबंदी करेंगे किसान।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में सरकार बाहरी व्यक्तियों को जमीन बेचने का रास्ता खोलकर प्रदेश को बेचने का काम कर रही है। पहाड़ की जमीन को बिकने से रोकने के लिए पूरे उत्तराखंड को साथ आना होगा। यह बातें उत्तराखंड में किसान आंदोलन को धार देने के लिए देहरादून पहुंचे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहीं। टिकैत ने उत्तराखंड में मजबूत भू-कानून लागू करने की पैरवी की है। कहा कि अगर राज्य सरकार प्रदेश की जनता के हित में काम नहीं करेगी तो किसान पूरे प्रदेश में बार्डर पर धरना देकर सरकार के प्रतिनिधियों की गाड़ि‍यों का रास्ता बाधित करेंगे।

बुधवार को राकेश टिकैत के नेतृत्व में संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) से जुड़े किसानों ने उत्तरांचल प्रेस क्लब में मीडिया से बातचीत की। इस दौरान टिकैत ने बताया कि आगामी पांच सितंबर को मुजफ्फरनगर में होने वाली महापंचायत में उत्तराखंड से करीब पांच हजार किसान समर्थन देने पहुंचेंगे। इस दौरान ऊषा तोमर को भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) का प्रदेश प्रभारी, विपिन खन्ना को देहरादून का महानगर अध्यक्ष और सुरेंद्र सिंह खालसा को देहरादून का जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

उत्तराखंड सरकार को दिए सुझाव

राकेश टिकैत ने सरकार को उत्तराखंड में किसानों और आमजन की स्थिति सुधारने के लिए सुझाव भी दिए। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर यहां भी विलेज टूरिज्म पालिसी लागू की जाए। उन्होंने हिल पालिसी तैयार करने, फसल पर यातायात सब्सिडी देने, स्थानीय फसलों को एमएसपी के अंतर्गत शामिल करने पर भी जोर दिया।

कृषि कानूनों के खिलाफ वैचारिक लड़ाई

राकेश टिकैत ने दोहराया कि केंद्र सरकार के नए कृषि कानून किसानों के हित में नहीं हैैं। कहा कि लागू होने के साथ ही इन कानूनों में सुधार शुरू हो गए हैैं। इनके काले कानून होने का इससे बड़ा सबूत क्या होगा।

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