पुष्पांजलि के फ्लैट खरीदारों को बड़ी राहत, परियोजना पूरी कराने को रेरा तैयार; फरार चल रहा बिल्डर
उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) की ओर से पुष्पांजलि फ्लैट खरीददारों के लिए अच्छी खबर है। फ्लैट खरीदार लंबे समय से रियल एस्टेट एक्ट 2016 के सेक्शन-08 के तहत अन्य बिल्डर से अधूरा निर्माण पूरा कराने की मांग कर रहे थे। अब रेरा अध्यक्ष रबिंद्र पंवार सदस्य नरेश सी मठपाल और अमिताभ मैत्रा की खंडपीठ ने सेक्शन-08 को मंजूरी प्रदान करते हुए सरकार से परामर्श मांगा है।
सुमन सेमवाल, देहरादून। पुष्पांजलि इंफ्राटेक का निदेशक दीपक मित्तल पत्नी राखी मित्तल के साथ 90 फ्लैट खरीदारों के 45 करोड़ रुपये लेकर वर्ष 2020 से फरार है। उसके और कंपनी के अन्य निदेशकों के विरुद्ध पुलिस ने नौ से अधिक मुकदमे दर्ज किए हैं।
आवासीय परियोजना के नाम पर सहस्रधारा रोड पर महज दो टावर के अधूरे ढांचे ही खड़े हैं। लोग अपनी धनराशि मांगने के लिए लंबे समय से उत्तराखंड रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) के चक्कर भी काट रहे हैं। हालांकि, अब रेरा की फुल बेंच के आदेश से फ्लैट खरीदारों के लिए राहत की खबर निकलकर सामने आई है।
अधूरा काम पूरा करने की हो रही थी मांग
पुष्पांजलि इंफ्राटेक की ग्रुप हाउसिंग परियोजना में कुल 08 टावर में 320 फ्लैट का निर्माण प्रस्तावित किया गया था। निर्माण के नाम पर स्थल पर दो टावर के अधूरे ढांचे खड़े किए गए और 90 फ्लैट की बुकिंग कर 45 करोड़ रुपये के करीब भी बिल्डर दीपक मित्तल ने प्राप्त कर लिए। जबकि, परियोजना का निर्माण वर्ष 2018 से ही बंद कर दिया गया था।फ्लैट खरीदारों ने जब निर्माण पूरा करने या धनराशि वापस करने की मांग की तो कंपनी निदेशक बिल्डर दीपक मित्तल पत्नी राखी मित्तल के साथ वर्ष 2020 में फरार हो गया। जिसके बाद रेरा में शिकायत का नकद बढ़ता गया और आर्किड पार्क (फेज एक और दो) के फ्लैट खरीदारों की कुल 62 शिकायतें दर्ज कर दी गई।
प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए रेरा ने मामले की सुनवाई के लिए फुल बेंच गठित कर दी। जिस पर अब जाकर कुछ निर्णायक स्थिति वाला आदेश पारित किया जा सका है।
पीएनबी के ऋण और ईडी की एंट्री से पेचीदा हुआ मामला
पुष्पांजलि इंफ्राटेक प्रा. लि. कंपनी के अंतर्गत बिल्डर दीपक मित्तल ने परियोजना का निर्माण अन्य पार्टनर/निदेशक राजपाल वालिया और उसकी पत्नी शेफाली वालिया के साथ मिलकर आवासीय परियोजना का निर्माण किया था।
फ्लैट की बुकिंग के रूप में खरीदारों से धनराशि एकत्रित करने के साथ बिल्डर ने पीएनबी की इंदिरा नगर शाखा से 21 करोड़ रुपये का ऋण भी लिया था, जो अब एनपीए घोषित हो चुका है। इसकी वसूली के लिए पीएनबी ने सरफेसी एक्ट के तहत परियोजना को सील करने भी पहुंची थी, लेकिन खरीदारों के हित को देखते हुए रेरा ने वर्ष 2022 में सीलिंग पर रोक लगा दी थी।प्रकरण में मनी लांड्रिंग के एंगल को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की देहरादून शाखा ने मार्च 2022 में ही परियोजना और निदेशकों के फ्लैट अटैच कर दिए थे। यहीं से मामला और पेचीदा होता चला गया। जिसके बाद रेरा ने मामले में ईडी को भी पार्टी बनाया। यह भी एक कारण रहा कि सेक्शन-08 की तरफ कदम बढ़ाने में लंबा समय लग गया।
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