उत्तराखंड में जंगल सुलगा रहे शरारती तत्वों ने किया नाक में दम, इन्हें रोकना चुनौती
उत्तराखंड में जंगल की आग पिछले एक पखवाड़े से तांडव कर रही है। वन विभाग और अन्य महकमों की तमाम कोशिशों के बावजूद आग पर काबू पाना चुनौती बना हुआ है। ऐसे में वायु सेना के चॉपर भी आग बुझाने में जुटे हैं।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 09 Apr 2021 02:56 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड में जंगल की आग पिछले एक पखवाड़े से तांडव कर रही है। वन विभाग और अन्य महकमों की तमाम कोशिशों के बावजूद आग पर काबू पाना चुनौती बना हुआ है। ऐसे में वायु सेना के चॉपर भी आग बुझाने में जुटे हैं। हाल ही में प्रदेश में हुई बारिश के बाद आग काफी हद तक बुझ भी गई, लेकिन अब भी खतरा बरकरार है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती उन शरारती तत्वों को रोकना है, जो जानबूझकर जंगलों में आग लगा रहे हैं। ऐसे कई मामले सामने भी आए हैं और विभाग आरोपितों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई भी कर रहा है। तमाम जागरूकता अभियान और अन्य कदम उठाने के बावजूद वन विभाग आग लगाने वाले शरारती तत्वों पर नकेल नहीं कस पा रहा है।
पिछले आठ दिन में प्रदेश में आग लगने की कुल 693 घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें वन आरक्षित क्षेत्रों में 441 और वन पंचायतों में 252 घटनाएं शामिल हैं। इन घटनाओं में उत्तराखंड के 969.89 हेक्टेयर वन क्षेत्र को भारी नुकसान पहुंचा है। इसमें भी आरक्षित वन क्षेत्र में 602.19 और वन पंचायतों में 367.7 हेक्टेयर वन क्षेत्र शामिल है। इस दौरान 20 लाख रुपये से अधिक की वन संपदा खाक हो चुकी है। जबकि, 10 लोग आग से झुलसकर जान गवां चुके हैं।
यह आंकड़े केवल अप्रैल के हैं, जबकि मार्च की स्थिति को देखें तो आंकड़े और भयावह नजर आते हैं। मवेशियों की जान जाने से भी ग्रामीणों को भारी नुकसान हो रहा है, जबकि अभी वन्यजीवों की मौत का कोई रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं है। पिछले एक सप्ताह में ही वन विभाग ने अलग-अलग क्षेत्रों से आधा दर्जन व्यक्तियों को जंगल में आग लगाते गिरफ्तार किया है।
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