पुलिस अपराधियों को नहीं पकड़ पा रही, बाइक सवारों पर निकाल रही खीझ
दून में लूट के आरोपितों को पकड़ने में नाकाम पुलिस अब चेकिंग के नाम पर बाइक सवारों पर अपनी खीझ उतार रही है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 29 Apr 2019 12:05 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। वसंत विहार में शराब ठेके के मैनेजर से पांच लाख की लूट और पिछले दिनों नेहरू कॉलोनी में सर्राफा कारोबारी से हुई दस लाख रुपये के आभूषणों की लूट के आरोपितों को पकड़ने में नाकाम पुलिस अब चेकिंग के नाम पर बाइक सवारों पर अपनी खीझ उतार रही है। रविवार को चले चेकिंग अभियान से साफ हो गया कि पुलिस ने किस तरह आम बाइक सवारों को जगह-जगह रोक कर अपनी खीझ उतार रही है।
बाइक सवारों को पुलिसकर्मी डंडे दिखाकर ऐसे रोक रहे थे कि जैसे वह आतंकी हमला कर भाग रहे हों। वहीं, कार चलाने वाला शख्स चाहे सीट बेल्ट बांधे हो या न बांधे हो पुलिस ने इस तरफ गौर करने की भी जहमत नहीं उठाई। जिससे यह भी साफ हुआ कि रविवार को यातायात प्रबंधन छोड़कर पुलिस के निशाने पर सिर्फ बाइक सवार ही थे। बेशक ट्रैफिक नियोजन से लेकर हाल के दिनों में घटित अपराधों के खुलासे तक में देहरादून की पुलिस को मुंह की खानी पड़ रही हो, मगर इसका मतलब यह भी नहीं कि बिना प्लानिंग के इस तरह सड़क पर पुलिसिया रौब गांठा जाए।
रविवार को निरंजनपुर मंडी चौक और लक्खीबाग पुलिस चौकी पर ऐसा ही नजारा देखने को मिला। यहां पुलिस कर्मी दो पहिया वाहन चालकों को ऐसे रोक रहे थे, जैसे वह कोई अपराध कर भाग रहे हों। कोई उनसे कारण पूछ लेता तो वह आंखे तरेर देते। पुलिस की इस चेकिंग का नतीजा क्या रहा। कोई लुटेरा पकड़ा गया या नहीं। यह तो पता नहीं, लेकिन मित्र पुलिस का ढिंढोरा पीटने वाली पुलिस को लेकर लोगों के मन में आक्रोश जरूर देखने को मिला।
हालांकि, सच्चाई यह भी है कि लूट, चेन स्नेचिंग की वारदात जब हो जाती है, तब पुलिस कुछ दिन तक इसी तरह हरकत में रहने का दिखावा कर देती है, ताकि अफसरों के कोप से बचा जा सके। ऐसे कोई कदम नहीं उठाए जाते, जिससे अपराधियों में भय व्याप्त हो। इतना ही इन दिनों शहर में चोरों का आंतक है। आए दिन बंद घरों के ताले टूट रहे हैं, इन वारदातों को अंजाम देने वाले गैंग की पहचान तक पुलिस अब तक नहीं कर पाई है। क्या दो पहिया वाहन से चलने वाला हर संदिग्ध है या पुलिस को संदिग्ध व्यक्तियों की पहचान ही नहीं है।
फिर सीपीयू का क्या काम: वाहन चेकिंग के अभियान में थानों की पुलिस के भी उतर जाने से सवाल यह भी है कि क्या सीपीयू के द्वारा की गई चेकिंग से पुलिस को कोई फायदा नहीं हो रहा। सच भी है। सीपीयू की नजर में हेलमेट न लगाना सबसे बड़ा अपराध है। इसके अलावा वह कुछ नहीं देखती। सीपीयू को शायद ही कभी कार चालकों को बिना सीट बेल्ट पहने गाड़ी चलाने के मामले में रोका गया हो। उनकी नजर में भी सारी मुसीबत की जड़ दो पहिया वाहन चालक ही हैं।
इन पर गौर करिए जनाब
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- इन दिनों शहर में ई-रिक्शा की बाढ़ सी आ गई है। ई-रिक्शा ने पूरे शहर के ट्रैफिक के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है। यह चाहे जैसे चलें, जहां मन करें रोक कर सवारी भर लें। इन्हें रोकने-टोकने वाला कोई नही हैं।
- सिटी बस और विक्रम, इन दोनों के लिए यातायात के नियम कोई मायने नहीं रखते और न ही सड़क पर चलने वाले अन्य लोगों की इन्हें परवाह है। मगर इन पर पुलिस की नजर कभी भी तिरछी नहीं होती।
- फड़-ठेली वालों ने शहर के तमाम इलाकों में फुटपाथ से लेकर सड़क तक कब्जा रखी है, लेकिन पुलिस कर्मी इन देख कर भी मुंह फेर लेते हैं।
- शहर में कहीं भी बेतरतीब खड़ी कारें और अन्य वाहन देखे जा सकते हैं। लेकिन ऐसा माहौल बनाने की कोशिश कभी नहीं की कि लोग गलत तरीके से गाड़ी पार्क करने परहेज करें।
- आढ़त बाजार में पूरे दिन गाड़ियों से लोडिंग-अनलोडिंग होती रहती है। सहारनपुर रोड पर जाम लगने का यह सबसे बड़ा कारण है।