Uttarakhand Budget 2020: गवाहों की सुरक्षा को कानून बनाने को विधेयक सदन में पेश
अब अपराध की महत्वपूर्ण सूचना देने वाले अथवा गवाही देने वालों को पुलिस का सुरक्षा कवच मिलेगा। इसके लिए सदन में उत्तराखंड साक्षी संरक्षण विधेयक सदन में प्रस्तुत कर दिया गया है।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Thu, 05 Mar 2020 07:50 AM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। अब अपराध की महत्वपूर्ण सूचना देने वाले अथवा गवाही देने वालों को पुलिस का सुरक्षा कवच मिलेगा। यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि साक्षी और आरोपित का जांच या परीक्षण के दौरान आमना सामना न हो और साक्षी यानी गवाह का पूरी सुरक्षा मिल सके। जल्द ही अब कानून बनने जा रहा है। इसके लिए सदन में उत्तराखंड साक्षी संरक्षण विधेयक सदन में प्रस्तुत कर दिया गया है।
केंद्र ने बीते वर्ष साक्षी संरक्षण नीति लागू की है। इसके बाद सभी प्रदेशों को अपने यहां इसी आधार पर नीति बनाने को कहा गया। वैसे तो गवाहों को सीआरपीसी में पहले से ही सुरक्षा देने का प्रविधान है, लेकिन अब इसके लिए प्रदेश के हिसाब से कानून बनाया जा रहा है। दरअसल, यह देखा गया था कि सबूतों व गवाहों के अभाव में कई बार गंभीर अपराध करने वाले अपराधी बरी हो जाते हैं। सजा से बचने के लिए ये कई तरह के हथकंडे अपनाते हैं। इनमें गवाह को प्रलोभन देना अथवा धमकी देना आम है। इसे देखते हुए गवाहों की सुरक्षा के लिए कानून बनाया जा रहा है।
विधानसभा सदन में इसके लिए पेश विधेयक के अनुसार ऐसे अपराध जिनमें सात वर्ष से लेकर मृत्युदंड व कारावास तक की सजा के संबंध में पंजीकृत अपराधों पर गवाहों को सुरक्षा दी जाएगी। मामले की गंभीरता के अनुसार गवाह व उसके परिवारों की पहचान तक को छिपाने का प्रविधान किया गया है। यहां तक कि मीडिया को भी उसकी पहचान उजागर करने का अधिकार नहीं होगा। जरूरत पड़ने पर गवाही और गवाहों की स्थिति को देखते हुए उन्हें आर्थिक सुरक्षा देने, उनका पुनर्वास करने और उनकी पहचान छिपाने के भी प्रविधान किए गए हैं। इन सबका खर्च उठाने के लिए साक्षी संरक्षण निधि का गठन किया गया है।
यह भी पढ़ें: गैरसैंण होगी उत्तराखंड की ग्रीष्मकालीन राजधानी, बजट सत्र के दौरान सीएम ने की घोषणा इसके अलावा हर जिले में साक्षी संरक्षण समिति भी बनाई जाएगी। समिति में सेवानिवृत्त जज से लेकर पुलिस व विधि के अधिकारी शामिल होंगे। इस समिति के सामने गवाह अपनी सुरक्षा के लिए आवेदन कर सकता है। समिति अपराध की स्थिति और अन्य पहलुओं की जानकारी लेने के बाद यह तय करेगी कि गवाहों को सुरक्षा दी जाएगी अथवा नहीं। विधेयक में गवाह द्वारा धमकी आदि की झूठी सूचना दिए जाने का भी प्रविधान किया गया है।
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