Move to Jagran APP

निकाय चुनाव में भाजपा व कांग्रेस की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती

प्रदेश में अप्रैल होने वाले नगर निकाय चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है। दोनों ही दल पूरी ताकत के साथ चुनाव की तैयारी में जुटे हैं।

By BhanuEdited By: Updated: Tue, 09 Jan 2018 10:52 PM (IST)
निकाय चुनाव में भाजपा व कांग्रेस की कसौटी पर खरा उतरने की चुनौती

देहरादून, [राज्य ब्यूरो]: प्रदेश में अप्रैल होने वाले नगर निकाय चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के सामने खुद को साबित करने की चुनौती है। बीते वर्ष विधानसभा चुनाव में रिकार्ड बहुमत से सत्ता हासिल करने वाली भाजपा पर अब आगामी अप्रैल में होने वाले निकाय चुनाव में बेहतर नतीजे देने का दबाव रहेगा। वहीं, देशभर में बने सियासी हालात और राहुल गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद उत्तराखंड में कांग्रेस एक बार फिर जीत की राह पर चलने को बेकरार है। चुनाव को लेकर कांग्रेस कांटेदार संघर्ष की रणनीति को अंजाम देने में जुट गई है। 

प्रदेश में अब तीन माह बाद, यानी अप्रैल में 88 निकायों में महापौर, पालिका अध्यक्ष और नगर पंचायत अध्यक्ष के साथ ही पार्षद व सभासद चुनने के लिए चुनाव होने हैं। राज्य में यूं तो नगर निकायों की कुल संख्या 92 है, लेकिन इनमें नगर निगम केवल आठ ही हैं। नगर पालिकाओं की संख्या 35 और बाकी 49 नगर पंचायत हैं। 

इनमें से चार नगर पालिकाओं में चुनाव नहीं हो रहे हैं। निकाय चुनाव इसलिए भी अहम माने जा रहे हैं, क्योंकि ये जनता के सरकार के प्रति रुख को जाहिर करेंगे। इस समय प्रदेश में भाजपा की सरकार है। हाल ही में उत्तर प्रदेश में हुए निकाय चुनावों में भाजपा ने 16 में से 14 नगर निगमों में महापौर के पदों पर जीत दर्ज कर शानदार प्रदर्शन किया। 

इसी प्रदर्शन को दोहराने की चुनौती उत्तराखंड सरकार व प्रदेश भाजपा के सामने है। यह चुनाव मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के लिए एक साल के कार्यकाल के नतीजों को जनमत के आधार पर आंकने का अवसर भी बनेगा। 

उधर, कांग्रेस विधानसभा चुनाव में बेहद खराब प्रदर्शन से उबर कर निकाय चुनाव में दमदार प्रदर्शन की तैयारी में है। अध्यक्ष पद संभालने के बाद प्रीतम सिंह के सामने ये पहले चुनाव हैं। ऐसे में इस चुनाव के जरिये उनकी अग्निपरीक्षा भी होगी। निकाय चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस ने विभिन्न मुद्दों पर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। 

पार्टी महंगाई, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार के मुद्दों के जरिये सरकार पर हमला बोलने के साथ ही कार्यकर्ताओं के मनोबल को नई धार दे रही है। प्रदेश की भाजपा सरकार के कार्यकाल को भी कांग्रेस ने निशाने पर रखा हुआ है। स्थानीय मुद्दों को भी कांग्रेस नेता लगातार हवा दे रहे हैं। मकसद यह कि किसी प्रकार शहरी क्षेत्रों में मोदी लहर और भाजपा की पैठ को कमजोर किया जा सके। 

दमदार प्रत्याशियों पर दांव 

निकाय चुनावों में प्रत्याशियों का चयन दोनों ही दल फूंक-फूंक कर रहे हैं। भले ही अभी तक किसी दल ने अपने पत्ते नहीं खोले हैं लेकिन दोनों की मंशा दमदार प्रत्याशियों पर ही दांव खेलने की है। महापौर पदों के लिए वर्तमान महापौर के साथ ही कुछ पूर्व विधायकों के नाम पर भी चर्चा चल रही है। साफ है कि दोनों ही दल केवल जीत पर ही फोकस रख रहे हैं।

यह भी पढ़ें: जीरो टॉलरेंस पर सरकार फेल, विकास कार्य भी ठप: सपा

यह भी पढ़ें: कांग्रेस ने विरासत में दिया प्रदूषण, बनानी होगी कार्ययोजना

आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।